टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के चार साल पूरे, जानिए कैसा रहा सफर

N Chandrasekaran.एन चंद्रशेखरन ने वर्ष 2017 में टाटा संस का कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्होंने तीन व्यापक क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। इसमें समूह की सभी कंपनियों को वन टाटा रणनीति के तहत करीब लाना प्रमुख है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 10:31 AM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 09:01 PM (IST)
टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के चार साल पूरे, जानिए कैसा रहा सफर
एन चंद्रशेखरन को टाटा समूह में बतौर चेयरमैन चार वर्ष पूरे हो चुके हैं।

जमशेदपुर, जासं। Tata Group एन चंद्रशेखरन को टाटा समूह में बतौर चेयरमैन चार वर्ष पूरे हो चुके हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह के मार्केट कैपिटल में 8.6 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो चुका है। इसमें 85 प्रतिशत टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाइटन से आए हैं।

एन चंद्रशेखरन ने वर्ष 2017 में टाटा संस का कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्होंने तीन व्यापक क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। इसमें समूह की सभी कंपनियों को वन टाटा रणनीति के तहत करीब लाना, दूसरा परिचालन प्रदर्शनों को बढ़ाना और तीसरा कंपनियों में निवेश की नीतियों को और अधिक मजबूती प्रदान करना शामिल है। चार साल बाद चंद्रा ने टाटा समूह के अगले चरण में ई-कॉमर्स के बढ़ते बाजार को देखते हुए सुपर एप प्लेटफार्म, इलेक्ट्रिक वाहन, बेहतर स्वास्थ्य सेवा पर जोर दे रही है।

चेयरमैन ने अपने लक्ष्य का 70 प्रतिशत हासिल कर लिया

एक सहायक कंपनी के पार्टनर का कहना है कि चंद्रा ने समूह की बागडोर संभालने के बाद ढ़ांचे को सरल बनाने, व्यवसायों को लाभ के दृष्टिकोण से पुर्नगठित करने और उभरते हुए व्यवसायों को मजबूती से बनाए रखने के अपने प्रयास को जारी रखा। इस वजह से कंपनी के मूलभूत सिद्धांत जैसे विश्वास, पारदर्शिता और अखंडता बरकरार है। चंद्रा के करीबी अधिकारियों के अनुसार चेयरमैन ने अपने लक्ष्य का 70 प्रतिशत हासिल कर लिया है। टाटा वन विजन ने टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट और टाटा रियल्टी जैसे समूह की दूसरी कंपनियों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया। उन्होंने 20 हजार करोड़ से अधिक के फंड इंफ्यूजन से समूह की कंपनियों को मजबूती प्रदान की। टाटा समूह के चेयरमैन के रूप में एन चंद्रशेखरन का पांचवां वर्ष और भी अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है।

कमजोर कड़ी

चंद्रा द्वारा लिए गए प्रमुख निर्णयों में से एक टाटा स्टील की सहायक कंपनियों की संख्या में कमी लाना था। टाटा स्टील की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहायक कंपनियों को 292 से घटाकर 182 तक करने में वे सफल भी रहे। लेकिन यूरोप में संपत्ति बेचने में प्रबंधन दो बार विफल रही। अब इसका स्थायी समाधान खोजने के लिए टाटा स्टील नीदरलैंड और टाटा स्टील यूके को अलग किया जा रहा है। वहीं, टाटा कैमिकल्स और टाटा ग्लोबल बेवरेजर्स के साथ विलय कर दिया गया है। जिसका नाम बदलकर टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स रखा गया है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ी है।

विमानन सेवा पर ध्यान दें समूह

एंबिट कैपिटल के एवीपी वरुण गिनोदिया का कहना है कि टाटा समूह की विमानन कंपनी विस्तारा अपने परिचालन को बड़े पैमाने तक पहुंचाने में सक्षम नहीं थी। क्योंकि दोनो की बाजार में हिस्सेदारी छह से सात प्रतिशत ही है। विस्तारा की सेवा बेहतर है और ग्राहकों के बीच इन्हें काफी पंसद भी किया जाता है। लेकिन इसे लगातार बाजार में अपनी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अन्य कंपनियों से मूल्य निर्धारण पर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। इसके अलावे एयर इंडिया के संभावित अधिग्रहण से टाटा को विमानन बाजार का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा मिल सकता है।

होटल व्यवसाय में बढ़ा लाभ

होटलाइ नेट के मैनेजिंग पार्टर अचिन खन्ना का कहना है कि चंद्रा के पदभार ग्रहण करने के बाद टाटा समूह ने अपने बेहतर दृष्टिकोण से व्यवसाय को बढ़ाया। कई होटलों को किराए पर लेकर काम किया। पिछले कुछ समय में पुनील चटवाल के पद संभालेन के बाद कंपनी के ग्रोथ और राजस्व में दोगुना बढ़ोतरी हुई। अब बाजार में होटल इंडस्ट्री में इनकी हिस्सेदारी सात से आठ फीसदी तक हो गई है। पहले टाटा समूह में ताज ब्रांड के लिए जाना जाता था। अब अपने अन्य ब्रांड जैसे विवांता, जिंजर और अमा का निर्माण करने में सक्षम रही।

ऑटोमोबाइल बदलाव

ऑटोमोबाइल कारोबार में सबसे बड़ा उलटफेर हुआ है। टाटा मोटर्स ने अपनी पुनरुद्धार योजना के तहत पिछले पांच-छह वर्ष पहले ही कंपनी ने इस दिशा में बड़ा निवेश करते हुए खुद को भविष्य की जरूरत के अनुरूप ढ़ालने का प्रयास किया और इसमें अब मार्केट लीडर बनकर उभरी। नवीनतम डिजाइन, बेहतर तकनीक के माध्यम से कंपनी इस दिशा में आगे बढ़ रही है और इस क्षेत्र में कंपनी के राजस्व में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। इंस्टीट्यूशनल डेस्क रिलाइंस सिक्योरिटीज लिमिटेड के अनुसंधान प्रमुख मितुल शाह का कहना है कि कंपनी ने अपनी लागत में कटौती के साथ-साथ वैश्विक कारोबार और मुनाफे पर भी फोकस किया। कंपनी ने भारतीय बाजार में पीवी सेगमेंट में कंपनी की नई शुरुआत दी है।

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