ये चार कदम उठाइए बदल जाएगी जिंदगी, जिसको हिंदी नहीं आती थी वह आज इंग्लैंड में नौकरी कर रहा है

Super 30 Anand Kumar सुपर-30 के पहले बैच में अभिषेक राज के पास कपड़ा पहनने तक का पैसा नहीं था लेकिन आज वह अमेरिका में काम कर रहा है। शशि नारायण के घर में खाने को लाले थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 05:40 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 05:40 PM (IST)
ये चार कदम उठाइए बदल जाएगी जिंदगी, जिसको हिंदी नहीं आती थी वह आज इंग्लैंड में नौकरी कर रहा है
सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार जमशेदपुर शहर में थे।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार रविवार को शहर में थे। वेदांता इंस्टीट्यूट के उद्घाटन समारोह के मौके पर साकची स्थित रवींद्र भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आनंद कुमार उपस्थित थे। उन्हें सुनने के लिए भारी संख्या में लोग जुटे थे। आनंद कुमार पर एक फिल्म भी बनी है, जिसमें अभिनेता ऋतिक रौशन ने आनंद कुमार का रोल निभाया है। इस फिल्म का नाम भी सुपर-30 ही हैं। आनंद कुमार ने छात्र-छात्राएं और अभिभावकों को संबोधित करने से पूर्व अपनी संघर्ष की कहानी बताई।

इसके माध्यम से उन्होंने समझाने का प्रयास किया कि जो लड़ेगा वह जीतेगा और जो भागेगा वह हारेगा। आनंद कुमार ने कहा कि जीवन में कोई भी चीज असंभव नहीं है। बस, उसे पूरा करने को जोश, जुनून आपके पास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए चार कदम उठाइए। यह आपकी जिंदगी बदल देगी। पहला कदम प्रबल प्रयास, दूसरा सकारात्मक सोच, तीसरा कठिन परिश्रम व चौथा असीम धैर्य होनी चाहिए। अगले एक साल तक इसे अपना जीवन में उतार कर देखिए आपका जीवन में काफी बदलाव नजर आएगा। वह चाहे कोई भी क्षेत्र हो।

सपना पूरा करने को पूरी ताकत लगा दो

आनंद कुमार ने कहा कि जब कोई व्यक्ति सपना देखना है तो उसे पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो। उन्होंने कई सफल छात्रों की संघर्ष कहानी बताई। कहा कि सुपर-30 के पहले बैच में अभिषेक राज नामक एक युवक के पास कपड़ा पहनने तक का पैसा नहीं था लेकिन आज वह अमेरिका में काम कर रहा है। वहीं, शशि नारायण के घर में खाने को लाले थे। उसे हिंदी में बात करने भी नहीं आता था लेकिन आज वह इंग्लैंड में नौकरी कर रहा है और विदेशी लड़की से शादी भी कर ली है। इसी तरह, निधि रिक्शा वाली की बेटी थी लेकिन उसका पोस्टर फ्रांस में लगा था। आनंद कुमार ने इन सफल छात्रों की कहानी से यह बताने का प्रयास किया कि इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। बस करने का जुनून होना चाहिए।

बच्चों को डांटे नहीं बल्कि उनकी समस्या को समझें

आनंद कुमार ने कहा कि कई बार देखा जाता है कि जब बच्चे पढ़ने नहीं तो उनके माता-पिता या अभिभावक मारने-पीटने या डांटने लगते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। बल्कि उसके कारण को जानना चाहिए। इसके बाद उस बच्चे को मोटिवेट करना चाहिए। इसके लिए सक्सेस स्टोरी भी उसे दिखाया जा सकता है। आनंद कुमार ने कहा कि इंसान को हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए। खूब पढ़ना चाहिए। खूब मेहनत करिए। मेहनत का कोई जवाब नहीं है। आप अपने लाइफ में जो भी बनना चाहते हैं उसपर पूरा फोकस करें।

पापड़ बेचा पर नौकरी नहीं की

आनंद कुमार ने कहा कि मेरी मां पापड़ बेचती थी। वहीं, पिता सरकारी नौकरी में थे। उनके निधन के बाद मुझे अनुकंपा पर नौकरी मिल रही थी लेकिन मैंने नहीं की। उसके स्थान पर मैंने पापड़ बेचना ही बेहतर सोचा। क्योंकि आज नौकरी करते तो बस वहीं तक सिमट कर रह जाते। सुपर-30 का सपना पूरा नहीं हो पाता। आनंद कुमार ने कहा कि जब सुपर-30 के माध्यम से बच्चे विश्वभर में झंडा गाड़ने लगे तो मुझे कई राजनीतिक दलों की और से चुनाव लड़ने का भी मौका मिला लेकिन मैंने नहीं लड़ा।

डरिए नहीं, शुरू कर दीजिए

आनंद कुमार ने कहा कि कोई भी चीज शुरू करने से पूर्व उनके मन में कई तरह के सवाल चलते हैं। वह हर किसी के साथ होता है। ऐसे में आप अगर उससे दूर भागेंगे और तो आप भागते हीं रहेंगे।

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