Makar Sankranti 2021: सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा पुण्यकाल, मकर संक्रांति पर इन चीजों का दान करना विशेष फलदायी
Makar Sankranti 2021. मकर संक्रांति पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पुण्यकाल रहेगा। सूर्य 14 जनवरी गुरुवार को अपराह्न काल में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। पुण्यकाल में काला तिल तिल निर्मित मिष्ठान्न गुड़ काला कंबल गौ एवं वस्त्रादि दान से फलदायी होगा।
जमशेदपुर, जासं। काशी व मिथिला के पंचांग के अनुसार इस बार वार्षिक गोचरीय परिभ्रमण के हिसाब से सूर्य 14 जनवरी गुरुवार को अपराह्न काल में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। हृषीकेश पंचांग के अनुसार भी सूर्य मकर राशि में गुरुवार को अपराह्न 2:37 बजे प्रवेश कर रहे हैं।
चूंकि सूर्य मकर राशि में सूर्यास्त से पूर्व ही प्रवेश कर रहे हैं, अत: धर्मशास्त्रीय मतानुसार मकर संक्रांति जन्य विशेष पुण्यकाल 14 जनवरी गुरुवार को ही सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। मकर संक्रांति का पावन व पुण्यकारी पर्व गुरुवार को ही मनाना शास्त्र सम्मत, पुण्यप्रद व उचित रहेगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित रमाशंकर तिवारी बताते हैं कि सूर्य के राशि-परिवर्तन के संक्रमण काल को संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तो उस संक्रमण काल को मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति के साथ ही सूर्यदेव उत्तरायण हो जाते हैं तथा शिशिर ऋतु का प्रारंभ एवं खरमास की समाप्ति हो जाती है। लोकाचार की भाषा में इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
14 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम को 5 बजकर 46 मिनट तक है। वहीं, मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त एक घंटा 45 मिनट का है, जो सुबह 8 बजकर 30 मिनट से दिन में 10 बजकर 15 मिनट तक है।
स्नान के बाद तिल-गुड़ दान की परंपरा
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर पवित्र नदियों तथा तीर्थ स्थलों में स्नान दान का विशेष पुण्यफल धर्म शास्त्रों में वर्णित है। इसी विशेष पावन अवसर पर गंगासागर का पुण्यकारी स्नान भी किया जाता है। मकर संक्रांति के पुण्यकाल में काला तिल, तिल निर्मित मिष्ठान्न, गुड़, काला कंबल, गौ एवं वस्त्रादि दान से सुख- समृद्धि के साथ आरोग्यता की प्राप्ति होती है। यदि पवित्र नदी या तीर्थ स्थल में स्नान संभव न हो तो किसी भी नदी में स्नान अथवा पवित्र नदियों का ध्यान करके घर में भी जल में तिल डालकर स्नान करना पुण्यप्रद रहेगा।
स्नान के समय पवित्र नदियों के ध्यान के लिए मंत्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले असि्मन सनि्नधिं कुरु।। स्नानोपरांत भगवान सूर्यदेव एवं अपने इष्ट देवी-देवता व गुरु का ध्यान करने के उपरांत दानादि कार्य करना चाहिए।