Success Story : मछली उत्पादक सपन कैवर्त की सफलता की कहानी, आपको भी पढनी चाहिए

Success Story. मजदूरी करनेवाले सपन वर्ष 2006 से जिला मत्स्य विभाग से जुड़े। इसके बाद उन्होंने मछली बीज उत्पादन एवं मछली पालन के स्वरोजगार को अपनाते हुए अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी। मत्स्य विभाग से जुड़ने के बाद उन्होंने रांची से प्रशिक्षण प्राप्त किया।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 17 Feb 2021 05:46 PM (IST) Updated:Thu, 18 Feb 2021 09:47 AM (IST)
Success Story : मछली उत्पादक सपन कैवर्त की सफलता की कहानी, आपको भी पढनी चाहिए
पटमदा प्रखंड के बिडरा ग्राम के रहने वाले सपन कैवर्त

जमशेदपुर, जासं। Success Story झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा प्रखंड के बिडरा ग्राम के रहनेवाले सपन कैवर्त का मछली बीज उत्पादन एवं मछली पालन में जाना पहचाना नाम है। मजदूरी करने वाले सपन वर्ष 2006 से जिला मत्स्य विभाग से जुड़े। इसके बाद उन्होंने मछली बीज उत्पादन एवं मछली पालन के स्वरोजगार को अपनाते हुए अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी।

सपन बताते हैं कि मत्स्य विभाग से जुड़ने के बाद उन्होंने रांची से मत्स्य बीज उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने मत्स्य विभाग के बीज उत्पादन योजना से जुड़कर शुरुआत में लीज पर एक तालाब लेकर बीज उत्पादन का कार्य शुरू किया था, जिससे पहले साल ही उन्हें लगभग 30000 रुपये-पैसे की आमदनी हुई। इस रोजगार से जुड़ने के पहले बाजार की मांग तथा मछली उत्पादन को लेकर जानकारी नहीं थी, लेकिन जिला मत्स्य विभाग से निरंतर मिली तकनीकी जानकारी एवं सहयोग से आज उनका व्यवसाय काफी लाभकारी साबित हो रहा है।

ओडिशा, बिहार व पश्चिम बंगाल में करते मछली बीज आपूर्ति

सपन कैवर्त बताते हैं कि पहले साल की आमदनी को देखते हुए उन्होंने इस काम को विस्तार देने का प्लान बनाया। एक तालाब से शुरू किए गए काम को बढ़ाकर आज लगभग छोटा व बड़ा 20-22 तालाब लीज पर लेकर मछली बीज उत्पादन एवं मछली पालन करते हैं। वहीं 10-15 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैैं। उनके काम में उनका बेटा बिपिन भी सहयोग करता है, जिससे वे स्थानीय बाजार पटमदा, कटिन, जमशेदपुर व पश्चिम बंगाल अंतर्गत पुरुलिया जिला के बांदवान में नियमित मछली भेजते हैं। इसके साथ ही वर्तमान में वे झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों में मत्स्य बीज आपूर्ति के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा, बिहार व पश्चिम बंगाल में भी बीज आपूर्ति कर रहे हैं। मछली बीज उत्पादन से वह सालाना लगभग 10 लाख रुपये की आमदनी कर लेते हैं। आज उनके पास लीज के तालाब के अलावा एक अपना तालाब भी है। सभी तालाब में रेहू, कतला, मिरगल, ग्लास कप, सिलवर कप आदि मछली के बीच का उत्पादन किया जाता है।

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