छात्रों ने बताया- पारिवारिक संबंधों को तरजीह देने का सबक दे गया कोरोना

Jamshedpur Jharkhand News करीम सिटी कॉलेज के मास कम्युनिकेशन विभाग में विद्यार्थियों के लिए वी-कनेक्ट कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका विषय था मेरी कोविड कहानी। जानिए इसमें विद्यार्थियों ने क्या कहा।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 10 Jul 2021 05:02 PM (IST) Updated:Sat, 10 Jul 2021 05:02 PM (IST)
छात्रों ने बताया- पारिवारिक संबंधों को तरजीह देने का सबक दे गया कोरोना
कोविड-19 को हल्के में लेना बड़ी भूल रही।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। करीम सिटी कॉलेज के मास कम्युनिकेशन विभाग में विद्यार्थियों के लिए वी-कनेक्ट कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक स्वास्थ्य पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका विषय था मेरी कोविड कहानी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत उन तमाम विद्यार्थियों को जिन्होंने लॉकडाउन में करोना को नजदीक से महसूस किया और मानसिक त्रासदी झेली, उन्हें खुद को अभिव्यक्त करने का मौका दिया गया।

इस कार्यक्रम में करीम सिटी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर फिरोज इब्राहिमी विशेषज्ञ के रूप में मौजूद थे। मुख्य अतिथि के रूप में कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर मोहम्मद रियाज ने अपनी आपबीती भी बच्चों को सुनाई और कोरोना में पर्याप्त सावधानी बरतनी का संदेश दिया। सभी विद्यार्थियों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए यह बताया कि कोविड-19 को हल्के में लेना उनकी बड़ी भूल रही। प्रथम सेमेस्टर के अभिषेक बाजराई ने बताया कि उनकी लापरवाही से उनके पिता की जान जाते-जाते बची जिससे उन्हें बहुत बड़ा सबक मिला। तुषार गुप्ता इस लॉकडाउन में अपनी तमाम उलझनों की अंतर यात्रा कर इस नतीजे पर पहुंचे कि उन्हें मास कम्युनिकेशन में करियर बनाना चाहिए और यह उनके लॉकडाउन की एक उपलब्धि रही ।

इन्होंने भी साझा किए अनुभव

एक अन्य विद्यार्थी निखिल ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे पिता ने कंपनी बंद हो जाने के बावजूद हम लोगों का हौसला बनाए रखने के लिए सब कुछ सामान्य होने का दिखावा किया। अंकित पासवान ने मानसिक अवसाद का जिक्र करते हुए यह कहा कि एकबारगी तो लगा कि सारी दुनिया सुन्न हो गई है पर फिर यूट्यूब के सहारे तकनीकी ज्ञान अर्जित करके उन्होंने अपने आपको उस मानसिक अवसाद से उबारा। स्तुति रानी ने स्वीकार किया कि लॉकडाउन के दौरान माता-पिता से उनके रिश्ते मजबूत हुए हैं और उन्होंने कई नई चीजें बनानी भी सीखीं। रिमशा आलम के लिए यह लॉकडाउन बहुत कुछ सिखाने वाला रहा । पिता से दूरी और फिर पड़ोसियों का बदलता व्यवहार उन्हें जीवन भर के लिए पारिवारिक संबंधों को तरजीह देने का सबक दे गया। कई बच्चों ने बातचीत के क्रम में यह बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से मिलने वाली सच्ची झूठी जानकारियों की वजह से भी मन में कई बार खौफ पैदा हो जाता है।

इनकी भी रही भागीदारी

कार्यक्रम के अंत में बोलते हुए डॉ फिरोज़ इब्राहिमी ने बच्चों को जीवन में लक्ष्य रखने का संदेश दिया और साथ ही लॉकडाउन में ही में भी एक सुनिश्चित दिनचर्या का पालन करने को कहा ताकि जीवन में नियमितता बनी रहे। अपने स्वागत संबोधन में मास कम्युनिकेशन विभाग विभागाध्यक्ष डॉ नेहा तिवारी ने बताया कि यूजीसी के निर्देश पर विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के आयोजन में तुषार और शिल्पी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन उज्जवला मालविका और धन्यवाद ज्ञापन कहकशां ने किया। कार्यक्रम में सैयद साजिद और सैयद शाहजे़ब भी उपस्थित थे।

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