शिक्षा की ज्योति जलाने वाले ने पकड़ी किसानी की राह

ग्रामीण क्षेत्र में पारा शिक्षक अपनी जमीन में खेती-बाड़ी कर परिवार का खर्च वहन करने का विचार कर रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Thu, 22 Nov 2018 04:32 PM (IST) Updated:Thu, 22 Nov 2018 04:32 PM (IST)
शिक्षा की ज्योति जलाने वाले ने पकड़ी किसानी की राह
शिक्षा की ज्योति जलाने वाले ने पकड़ी किसानी की राह

गालूडीह पूर्वी सिंहभूम, जेएनएन। हठी पारा शिक्षक। अपने बयान पर कायम राज्य सरकार। दोनों की आपसी तनातनी में बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है असर। पारा शिक्षकों की सातवें दिन भी हड़ताल जारी रही। हड़ताल से स्कूलों में पढ़ाई बाधित होने के साथ-साथ शिक्षकों का परिवार भी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसी आर्थिक संकट को दूर करने के लिए पारा शिक्षकों ने अपने पारे पर नियंत्रण रखते हुए कलम की जगह हाथ में कुदाल थाम ली है। ग्रामीण क्षेत्र में पारा शिक्षक अपनी जमीन में खेती-बाड़ी कर परिवार का खर्च वहन करने का विचार कर रहे हैं।

पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला प्रखंड के बनकाटी पंचायत के सूदूर गांव पोड़ाडीह के पारा शिक्षक सुदीप रजक अपनी जमीन पर सब्जी की खेती करते देखा गया। शिक्षक सुदीप कुदाल लिए सुबह से ही अपने जमीन पर पालक, बैगन, धनिया की खेती में व्यस्त रहे। सब्जी उगा कर गांव के निकट बाजार में बेचकर दैनिक जुगाड़ करने की योजना है।

सुदीप का कहना है कि सरकार से जो मानदेय मिलता है इससे परिवार का खर्च किसी तरह चलता था। कई माह तक मानदेय का भुगतान भी नहीं हुआ। इसके कारण पारा शिक्षक हड़ताल पर गए हैं। ऐसे में दुकानदार भी उधार देने से हिचकिचा रहे हैं। खेती के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं समझ आ रहा है। सब्जी बेचकर पत्नी, बच्ची सहित परिवार के अन्य सदस्यों का भरण-पोषण कर रहे है। खेती नहीं करेंगे तो खाने के लाले पड़ जाएंगे। 

chat bot
आपका साथी