ये हैं दूसरों के दर्द में हमदर्द : नेकी से पेश की ऐसी म‍िसाल कि सभी कर रहे तारीफ, आप भी पढ़ें

इस कहानी में कुछ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी हैं तो कुछ समाजसेवी जिन्होंने अपनी नेकी से ऐसी मिसाल पेश की जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 26 Oct 2019 01:52 PM (IST) Updated:Sat, 26 Oct 2019 01:52 PM (IST)
ये हैं दूसरों के दर्द में हमदर्द : नेकी से पेश की ऐसी म‍िसाल कि सभी कर रहे तारीफ, आप भी पढ़ें
ये हैं दूसरों के दर्द में हमदर्द : नेकी से पेश की ऐसी म‍िसाल कि सभी कर रहे तारीफ, आप भी पढ़ें

जमशेदपुर, जेएनएन। बहुत आसान होता है अपने अधिकारों व बल का प्रयोग कर किसी पर धमक जमाकर राज करना। वो बिरले ही होते हैं जो गरीब व असहाय लोगों की थोड़ी सी खुशी के लिए बड़ी परेशानी लेने को तैयार होकर तन, मन और धन से समर्पित भाव से सेवा करते हैं। जो पल-पल उन असहाय लोगों को ये अहसास दिलाते रहते हैं कि कोई तो है तो उनकी परेशानी में हर वक्त उनके साथ खड़ा है। लौहनगरी में भी कुछ ऐसे लोग हैं जो दूसरों के दर्द में हमदर्द बनने को तत्पर रहते हैं। इनमें से कुछ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी हैं तो कोई समाजसेवी शामिल है। जिन्होंने अपनी नेकी से ऐसी मिसाल पेश की जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है।

नक्‍सल क्षेत्र के अंधियारे को दूर कर रहे एसएसपी

लोगों के दिलों को रोशन करने से बड़ी जीत क्या हो सकती है जब नफरत और अलगाव को सेवा भाव से जीत लिया जाए। पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा, बोड़ाम, गालूडीह, एमजीएम और घाटशिला आदि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बदलाव की बयार बह चली है। पुलिस को ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिल रहा है और नक्सली स्थान बदल दिया और सुरक्षित स्थान की ओर पलायन कर गए हैं।

खुलवाए पुस्तकालय, उपलब्ध कराए खेल के सामान

एसएसपी अनूप बिरथरे ने पटमदा के झुझका के प्राथमिक विद्यालय में पुस्तकालय खुलवाया। यह वही झुझका गांव है जहां सांसद सुनील महतो हत्याकांड सहित तमाम मामलों में वांटेड नक्सली रामप्रसाद मार्डी उर्फ सचिन का घर है। पुस्तकालय में 400 किताबें, अखबार, मैगजीन, प्रतियोगी किताबे उपलब्ध कराई गई हैं। पढ़ने के लिए कुर्सी, टेबुल और पंखे लगवाए गए हैं। खेलकूद का सामान रखा गया तो पढ़ने-पढ़ाने में सुविधा के लिए एलक्ष्डी स्क्रीन भी लगाई गई है। अनूप बिरथरे इन इलाकों में थोड़े-थोड़े अंतराल पर स्कूली बच्चों के बीच कॉपी-किताब और खेलने-कूदने का सामान वितरित करते हैं।

कोल्‍हान के गरीब बच्‍चों का जीवन रोशन कर रहा यह अफसर

बहुत कम लोग होते हैं, जो बड़ा आदमी बनने के बाद अपनी गुरबत की जिंदगी को याद करते हैं। याद भी करते हैं तो उन लोगों के लिए कुछ नहीं करते, जो पैसे के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पाते, लेकिन इन्हीं गुदड़ी के लाल हैं संजय कच्छप।परसुडीह स्थित कृषि उत्पादन बाजार समिति के सचिव कच्छप कभी एक-एक पैसे के लिए मोहताज थे। मेधावी होने की वजह से इन्होंने किसी तरह अपनी पढ़ाई कर ली। अधिकारी भी बन गए, लेकिन इन्होंने बचपन में ही ठान लिया था कि जब वे सक्षम होंगे, तो किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई पैसे के अभाव में बंद नहीं होने देंगे। भूख-प्यास की परवाह किए बिना दिन-रात पढ़ाई कर संजय कच्छप परसुडीह बाजार समिति के सचिव हैं। आज संजय कच्छप अपने वेतन का आधा पैसा गरीब छात्र-छात्रओं के पढ़ाई पर खर्च करते हैं।

सरकारी क्‍वार्टर में खोल दिया पुस्‍तकालय

संजय बाजार समिति के परिसर स्थित जिस सरकारी क्वार्टर में रहते हैं, उसी में पुस्तकालय खोल दिया है। यहां दूरदराज के छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं। इन्होंने आसपास के कई गांव में किराये पर घर लेकर पुस्तकालय खोला है, जहां बच्चे पढ़ाई तो करते ही हैं, परीक्षा के दौरान वहीं रहते भी हैं। कुछ पुस्कालय नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हैं। उद्देश्य है कि बच्चे पढ़ाई से भटककर गलत रास्ते पर न जाएं। इन्होंने कुछ मेधावी छात्रों को चंदा करके साइकिल तक दी है। इनके पुस्तकालय में 11 हजार से अधिक किताबें हैं।

दो बच्‍चों की जिंदगी रोशन कर रहे संतोष महतो

दीपावली के त्योहार पर सभी अपने घर-आंगन को रोशन करेंगे। वहीं इससे इतर समाज में कई लोग हैं जो दूसरों की जिंदगी को रोशन करने में जुटे हैं। ऐसे लोगों की शुमार में एक नाम है संतोष महतो का। संतोष महतो पूर्वी सिंहभूम जिला पुलिस एसोसिएशन में सचिव हैं। उन्होंने दो बच्चों के पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई है। इनमें एक पटमदा प्रखंड के गोबरघुसी गांव के सबर समुदाय के लालू सबर और दूसरा चाकुलिया के अमन महतो शामिल है। लालू सबर फिलहाल सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं। शहर में उनके रहने, खाने-पीने और पढ़ाई पर होने वाले खर्च का वहन संतोष महतो उठाते हैं। वहीं चाकुलिया के अमन महतो अभी कक्षा पहली में पढ़ रहे हैं। पिछले साल उनके पिता भोलानाथ महतो का निधन हो गया। पिता के निधन के बाद उनके परिवार में कोई कमाने वाला नहीं रह गया। उनके सिर पर सिर्फ मां का हाथ है। संतोष ने छोटे से बालक की पूरी पढ़ाई का बीड़ा उठाने का ऐलान किया और स्कूल में दाखिला कराकर पढ़ाई प्रारंभ कराया। संतोष महतो ने बताया कि दोनों बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्च वे आगे भी वहन करते रहेंगे।

गरीब बच्चों का बचपन बचा रहीं कुसुम

कुसुम अग्रवाल ने टॉय बैंक शुरू किया है। इसके माध्यम से वे गरीब बच्चों के बचपन को बचा रही है। अभी तक कुसुम 70 कैंपों के माध्यम से 3000 से ज्यादा बच्चों को खिलौने बांट चुकी हैं। कुसुम का कहना है कि बच्चे बड़े होने पर उनके खिलौने बेकार हो जाते हैं। कुसुम टॉय बैंक के माध्यम से ऐसे खिलौनों का संग्रह करती हैं। गरीब बच्चे जो पैसों के अभाव में खिलौने नहीं खरीद पाते हैं। कुसुम सरकारी स्कूलों में कैंप लगाकर बच्चों को निश्शुल्क खिलौने देती हैं। उनका कहना है कि हर बच्चे को अपना बचपन सही तरीके से जीने और खिलौनों से खेलने का अधिकार है। इनपुट: अन्‍वेष अम्‍बष्‍ठ और मनोज सिंह।

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