International Yoga Day : इस तरह करें योग की शुरुआत, फायदे ही फायदे; 84 साल के उम्र में भी निरोग हैं लोग

International Yoga Day कोरोना काल में योग का महत्व और भी बढ़ गया है। हर घर में योग होने लगा है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक अब इसे अपनाने लगे हैं। कोरोना की अभी तक दवा नहीं आई है ऐसे में योग ही सहारा बना हुआ है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 04:57 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 04:57 PM (IST)
International Yoga Day : इस तरह करें योग की शुरुआत, फायदे ही फायदे; 84 साल के उम्र में भी निरोग हैं लोग
कोई योग कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहा है तो कोई अपना फेफड़ा मजबूत कर रहा है।

अमित तिवारी, जमशेदपुर।  योग से सारे रोग ठीक होते हैं। कहा जाता है कि जो लोग नियमित योग करते हैं उनका पूरा जीवन स्वस्थ रहता है। जमशेदपुर में कई ऐसे उदाहरण भी मौजूद हैं, जिनकी उम्र 84 साल हो गई है। उसके बावजूद वह बिल्कुल स्वस्थ हैं।

कोरोना काल में योग का महत्व और भी बढ़ गया है। हर घर में योग होने लगा है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक अब इसे अपनाने लगे हैं। कोरोना की अभी तक दवा नहीं आई है, ऐसे में योग ही सहारा बना हुआ है। कोई योग कर शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा रहा है तो कोई अपना फेफड़ा मजबूत कर रहा है। योग से मन मजबूत होकर रोग से लड़ने की शक्ति विकसित होती है। कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए कई लोगों ने योग को अपने जीवन में शामिल कर लिया है। योग से कई फायदे है। इससे ब्लड प्रेशर से लेकर मधुमेह व दिमाग को शांत रखा जा सकता है।

ठीक हो गया ब्लड प्रेशर

मानगो दाईगुट्टू निवासी लालू राम की उम्र 83 साल है। ये बीते दस साल से नियमित योग कर रहे हैं। फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ हैं। वह कहते हैं कि दस साल पूर्व मुझे ब्लड प्रेशर की समस्या थी। इससे परेशानी बढ़ने लगी तो डॉक्टर ने दवा दी। कुछ दिन तक खाया भी लेकिन उसके बाद मैं रोज सुबह गांधी घाट जाने लगा। वहां सुबह-शाम योग करता था। कुछ माह के बाद मेरा ब्लड प्रेशर नियंत्रण में आ गया। बीते कई वर्षों से दवा नहीं खाया हूं। लालू राम योग शिक्षक भी हैं। वह गांधी घाट पर योग सिखाते भी हैं।

84 साल के शिव पूजन सिंह पूरी तरह फिट हैं

सिंहभूम वरिष्ठ नागरिक समिति के अध्यक्ष शिव पूजन सिंह की उम्र 84 साल है लेकिन वह पूरी तरह से फिट हैं। उन्हें न तो ब्लड प्रेशर की शिकायत है और न ही मधुमेह की। आंख भी ठीक है। शिव पूजन सिंह कहते हैं कि मैं वर्ष 2006 से लगातार योग कर रहा हूं। मेरे जीवन में योग का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। योग से लाभ ही लाभ है। भागदौड़ की जिंदगी में सभी को योग करना चाहिए।

मेरे घर में हर कोई करता योग

गोलमुरी नामदा बस्ती निवासी ज्योति पांडे की उम्र 24 साल है। वह कहती है कि मैं खुद को फिट रखने के लिए सुबह-शाम योग करती हूं। इससे मन शांत रहता है। शरीर निरोग रहता है। मेरे घर में सभी लोग योग करते हैं। मैं लगातार तीन साल से योग कर रही हूं, जिसे आगे भी जारी रखूंगा। कोरोना काल में योग की महत्व और भी ज्यादा बढ़ गई है। योग करने से मैं अच्छा महसूस करती हूं। योग सबसे के लिए जरूरी है।

रेणु सिंह दस साल से कर रही योग

मानगो माधव बाग कालोनी निवासी रेणु सिंह की उम्र 65 साल से अधिक हो रहा है लेकिन वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। वह बीते दस साल से योग करती हैं। वह स्वस्थ होने के पीछे योग को बताती है। रेणु सिंह कहती है कि जब वे 56 साल की थी तब उन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या शुरू हुई लेकिन उसके बाद वे नियमित रूप से योग करने लगी। अब ब्लड प्रेशर बिल्कुल कंट्रोल में रहता है। वे कहती है कि योग की शुरुआत किसी योग शिक्षक के देखरेख में करें। ताकि आगे सही ढंग से कर सकें

इस तरह करें योग की शुरुआत, फायदे ही फायदे

भस्त्रिका प्राणयाम से करें शुरुआत : योग की शुरुआत भस्त्रिका प्राणयाम से करें। इससे आपके शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ-साथ श्वसन संबंधी रोग पूरी तरह से ठीक होता है। इसे करने का सही विधि आनी चाहिए। इस प्राणयाम में सांस दोनों नाक से भरना तथा छोड़ना है। सांस गहरा और स्वाभाविक होना चाहिए। चूंकि सांस सीधे फेफड़ा में न जाकर डायाफ्राम से होते हुए फेफड़ा में जाता है। सांस छोड़ने का समय, भरने के समय से हमेशा ज्यादा होना चाहिए। सांस भरते और छोड़ते समय थोड़ा भी आवाज नहीं होना चाहिए।

 कपालभाति प्राणयाम से दूर होती पेट की बीमारी : पेट संबंधी रोग के लिए कपालभाति प्राणयाम काफी लाभदायक होता है। ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने और मेटाबॉलिज्म में सुधार के लिए कपालभाति अवश्य करें। इससे गैस और एसिडिटी की समस्या भी दूर होती है। इसके साथ ही फेफड़ा और याददाश्त बढ़ती है। कपालभाति चार प्रकार से किया जाता है। इसका विधि आनी चाहिए। तभी फायदा करेगा।

 अनुलोम-विलोम प्राणायाम : अनुलोम-विलोम से फायदे होते हैं। यह पूरे शरीर में शुध्द ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है। तनाव और चिंता को कम करता है। पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है। मांसपेशियों की प्रणाली में सुधार, गठिया के लिए फायदेमंद व फेफड़ों को मजबूत करता है। इसके करने का विधि भस्त्रिका प्राणायाम जैसा ही है, बस अंतर यह है कि पहले बायां नाक से सांस भरा जाता है फिर दायां नाक से छोड़ा जाता है।

 उज्जयी प्राणायाम : उज्जयी प्राणायाम से थायराइड, खर्राटा, गला में खराश आदि ठीक हो जाता है। इसे करने का विधि कंठ को सिकुड़कर सांस भरा जाता है और कुछ समय रुक कर दाहीना नाक बंद करके बायां नाक से सांस छोड़ देते है। इसमें कंठ पर ध्यान केंद्रित करना होता है और कंठ से ही घर्षण कर आवाज निलकता है।

 भ्रामरी प्राणायाम से शरीर को शांति मलती है : भ्रामरी और नादानुसंधान के अभ्यास से मन, शरीर को शांति मिलती है।

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