बेटा इंग्लैंड तो बेटी फंसी बंगलुरु में, जीवन भर साथ निभाने वाली पत्नी ने जिंदगी के बाद भी दिया साथ, किया अंतिम संस्कार

पति अखिल किशोर शुक्ला (70) एनएमएल के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं। भले चंगे थे लेकिन अचानक तबीयत बिगड़ी और संभलने तक का मौका नही दिया। गुरुवार की सुबह टीएमएच में उन्होंने अंतिम सांस ली। जब उनकी पत्नी पूनम शुक्ला को पता चला तो वे परेशान हो गईं।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 02:21 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 09:34 PM (IST)
बेटा इंग्लैंड तो बेटी फंसी बंगलुरु में, जीवन भर साथ निभाने वाली पत्नी ने जिंदगी के बाद भी दिया साथ, किया अंतिम संस्कार
जीवन भर साथ निभाने वाली पत्नी ने जिंदगी के बाद भी दिया साथ

जमशेदपुर : दोपहर के लगभग तीन बजे हैं। स्वर्णरेखा घाट पर इंसान तो नजर आ रहा है, लेकिन अजीब तरह का सन्नाटा। हर तरफ मौत का सन्नाटा। शव के साथ आए स्वजन भी विलाप नहीं कर रहे हैं। सभी सन्न हैं, निश्शब्द हैं। तभी एक एंबुलेंस आकर रुकती है। और एक शव। लेकिन शव के साथ सिर्फ एक महिला भी है। शव महिला के पति का है। जीवन भर साथ निभाने वादा करने वाली यह जीवट महिला जिंदगी के बाद भी पति का साथ निभा रही है। उफ्फ यह महामारी। नीयति को शायद यही मंजूर है।

नेशनल मेटर्लिजकल लेबोरेटरी के पूर्व अधिकारी थे पति

पति अखिल किशोर शुक्ला (70) एनएमएल के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं। भले चंगे थे, लेकिन अचानक तबीयत बिगड़ी और संभलने तक का मौका नही दिया। गुरुवार की सुबह टीएमएच में उन्होंने अंतिम सांस ली। जब उनकी पत्नी पूनम शुक्ला को पता चला तो वे परेशान हो गईं। अकेली महिला का रो-रोकर बुरा हाल था, लेकिन मदद को कोई आगे नहीं आया।

15 दिन पहले ही बेटा बना पिता

बेटा इंग्लैंड में और बेटी बेंगलुरू में है, दोनों शादीशुदा हैं। बेटा इसलिए आने में असमर्थ है कि उसके बेटे का जन्म 15 दिन पूर्व ही हुआ है। इतने छोटे बच्चे को लेकर अभी विमान से आने की अनुमति नहीं दी जा रही है। बेटी को भी आने में एक-दो दिन लग जाएंगे। पत्नी पूनम ने साहसिक फैसला लिया और पति को खुद मुखाग्नि देने की ठानी। लेकिन जैसे ही शव जुगसलाई के कुंवर सिंह चौक स्थित उनके आवास पर पहुंचा, घर के पास बस इक्का-दुक्का लोग ही जुटे। कोरोना ने हमें तो शारीरिक दूरी का पालन करना सिखाया था, लेकिन हम तो सामाजिक दूरी ही बना बैठे। इस महामारी का भय ऐसा कि लोगों की आंखों की पानी सूख रहा है। तभी तो मौत के बाद भी आस-पड़ोस के लोग सुध नहीं ले रहे हैं। हाय, यह कैसी क्रूरता है। क्रूरता ही तो हैं, जब हम किसी के काम नहीं आ सके। लानत है ऐसी जिंदगी पर। इतने असंवेदनशील तो हमारा समाज नहीं था।

ब्राह्मण युवा शक्ति संघ ने पेश की मिसाल

घटना की जानकारी ब्राह्मण युवा शक्ति संघ को मिली तो उन्होंने मदद के लिए हाथ बढ़ाया। ब्राह्मण युवा शक्ति संघ से जुड़े जुगसलाई निवासी सुनील जोशी ने इसकी जानकारी संघ के संस्थापक सदस्य अप्पु तिवारी को दी। अप्पु तिवारी ने संघ के अन्य सहयोगी सदस्यों संग जाकर शुक्ला की पत्नी से से मुलाकात की और दुख प्रकट किया। इसके बाद अंतिम संस्कार की तैयारी की जाने लगी तो पता चला कि शवों की लंबी कतार है। जिसके कारण गुरुवार को संभव नहीं है। इसे देखते हुए संघ ने पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी और उपायुक्त सूरज कुमार से संपर्क किया और यथास्थिति से अवगत कराया। इसके बाद गुरुवार शाम लगभग पांच बजे कोरोना प्रोटोकॉल के तहत शव को दाह संस्कार के लिए भुइयांडीह बर्निंग घाट के लिए ले जाया गया।

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