जमशेदपुर की स्मृति के डिजायन किए कॉस्ट्यूम का बॉलीवुड है कायल, जानिए
बॉलीवुड फिल्मों में टेल्को इलाके के घोड़ाबांधा की स्मृति चौहान ने बतौर कॉस्ट्यूम डिजाइनर अपनी अलग पहचान बना ली है।
जमशेदपुर [निर्मल प्रसाद]। जमशेदपुर की एक और बेटी ने बॉलीवुड में जोरदार धमक दी है। बॉलीवुड फिल्मों में टेल्को इलाके के घोड़ाबांधा की स्मृति चौहान ने बतौर कॉस्ट्यूम डिजाइनर अपनी अलग पहचान बना ली है। शहर की इस बेटी ने अजय देवगन की फिल्म ‘वंस अपोन ए टाइम इन मुंबई’ और हाल में रिलीज हुई ‘तुम्बाड़’ में कास्ट्यूम डिजाइन किया है। इन दोनों फिल्मों से स्मृति को खास पहचान मिली और अब इनके पास कई प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं। फिलहाल स्मृति, आर्ट एपिसोड के रूप में तैयार हो रही दिल्ली पुलिस प्रोजेक्ट में काम कर रही है जो दिसंबर 2019 तक टेलीविजन पर आएगी।
इन फिल्मों भी कर चुकी हैं काम
स्मृति की पहली फिल्म थी मधुर भंडारकर निर्देशित दिल तो बच्चा है जी (2012-13)। इसके बाद 2013-14 में अमित कुमार निर्देशित मानसून शूटआउट में काम किया। तुम्बाड़ फिल्म में स्मृति के काम को काफी सराहा गया। बतौर कास्ट्यूम डिजाइनर स्मृति एक सौ से ज्यादा एड फिल्मों में काम कर चुकी है।
मुंबई में बहुत संघर्ष है
स्मृति बताती हैं कि मुंबई में अधिकतर लोग बॉलीवुड और मीडिया में पहचान बनाने के लिए आते हैं। लेकिन यहां बायोडाटा दिखाने से काम नहीं मिलता बल्कि पूर्व में किए गए काम के आधार पर नए प्रोजेक्ट मिलते हैं।
टाटा में ही पली-बढ़ी हैं स्मृति चौहान
स्मृति के पिता अरविंद सिन्हा टाटा हिताची (सेल्स एंड मार्केटिंग) से सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकि मां मीना सिन्हा गुलमोहर स्कूल में टीचर है। स्मृति ने सेक्रेड हार्ट कान्वेंट स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा के बाद नई दिल्ली के एनआइएस एकेडमी से बीबीए और एमबीए किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद इंडियन ऑयल कंपनी में बतौर एचआर ज्वाइन तो किया, लेकिन काम रास नहीं आया तो प्रोडक्शन हाउस मीडी टेक में बतौर एसोसिएट प्रोड्यूसर ज्वाइन किया।
दस का दम में थी कंटेंट राइटर
तीन वर्षो तक काम करने के बाद 2008 में मुंबई आई और ‘दस का दम’ में बतौर कंटेंट राइटर काम किया। प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद इन्हें वापस दिल्ली लौटना था। लेकिन वर्ष 2009 में सौरभ शुक्ला निर्देशित ‘पप्पू कैन डांस साला’ में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम मिल गया। पिता अरविंद कहते हैं कि शुरू-शुरू में महानगर में बेटी को भेजने में डर लगता था लेकिन बेटी का खुद पर विश्वास देखकर उन्होंने भी स्मृति का हौसला बढ़ाया। स्मृति के बड़े भाई विक्रांत सिन्हा पुणो में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं जबकि मामा विनीत कुमार जमशेदपुर में बतौर कारखाना निरीक्षक कार्यरत हैं।