Jusco Union: एसएल दास ने रघुनाथ पांडेय पर किया हमला, कहा- व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कर रहे हैं फंड का दुरुपयोग

Jusco Unionजुस्को श्रमिक यूनियन अध्यक्ष के रघुनाथ पांडेय पर उनके ही करीबी मित्र और इनके कार्यकाल में महामंत्री रहे एसएल दास ने हमला बोला है। एसएल दास ने आरोप लगाया है कि रघुनाथ पांडेय सत्ता का सुख भोगने के आदी हो चुके हैं इसलिए इनसे कुर्सी छूट नहीं रही है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 06 Apr 2021 03:31 PM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 09:10 AM (IST)
Jusco Union: एसएल दास ने रघुनाथ पांडेय पर किया हमला, कहा- व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कर रहे हैं फंड का दुरुपयोग
जुस्को श्रमिक यूनियन के पूर्व महामंत्री एसएल दास। फाइल फोटो

जमशेदपुर, जासं। जुस्को श्रमिक यूनियन अध्यक्ष के रघुनाथ पांडेय पर उनके ही करीबी मित्र और इनके कार्यकाल में महामंत्री रहे एसएल दास ने हमला बोला है। एसएल दास ने आरोप लगाया है कि रघुनाथ पांडेय सत्ता का सुख भोगने के आदी हो चुके हैं इसलिए इनसे कुर्सी छूट नहीं रही है। ये अपने स्वार्थ के लिए मजदूरों की गाढ़ी कमाई से जमा जुस्को श्रमिक यूनियन कोष का दुरुपयोग कर रहे हैं।

एसएल दास का कहना है कि रघुनाथ पांडेय हर समय जुस्को कर्मचारियों को भटकाने की कोशिश करते हैं। इनसे आम पूछो तो ये इमली का जवाब देते हैं। फंड के दुरुपयोग के मामले में इन्होंने यही किया। उप श्रमायुक्त ने जब इन्हें पत्र भेजकर फंड के दुरुपयोग पर जवाब मांगा तो इन्होंने हाईकोर्ट के उस आदेश को दिखाते हुए यह कह रहे हैं जिसमें असंवैधानिक तरीके से हुई एजीएम की जांच पर रोक लगी थी। इसमें फंड के दुरुपयोग की कोई बात नहीं है। लेकिन रघुनाथ पांडेय हाईकोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए उप श्रमायुक्त को किसी भी तरह का जवाब देने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। एसएल दास का कहना है कि कर्मचारियों काे हक है कि वे अपनी मेहनत की कमाई के एक-एक रुपये का हिसाब ले जो एक बाहरी व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए फंड का गलत इस्तेमाल कर रहा है।

मनमानी का आरोप

यूनियन के पूर्व महामंत्री का कहना है कि आज रघुनाथ पांडेय जो कुछ भी कर लें लेकिन कर्मचारी एक दिन इनसे पाई-पाई का हिसाब जरूर लेंगे। ये चिरकाल तक अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे। साथ ही ये जुस्को श्रमिक यूनियन में भी आम मजदूर यूनियन, ड्राइवर यूनियन, कांग्रेस कामगार यूनियन सहित अन्य राजनीतिक पार्टियों की जो बैठक करते हैं, उसका भी हिसाब कर्मचारी इनसे मांग रहे हैं। लेकिन इनके सत्ता का मोह भंग नहीं हो रहा है। कर्मचारी तय करें कि यह सब कब तक चलेगा और वे कब तक एक बाहरी आदमी की मनमानी को बर्दाश्त करेंगे।

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