एसएल दास ने रघुनाथ पांडेय से पूछा सवाल, जाने क्या है वो सवाल

जुस्को श्रमिक यूनियन के चुनाव पर रोक के बाद से निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय और पूर्व महामंत्री एसएल दास के बीच जुबानी नुकता-कशी शुरू हो गई है। ऐसे में आने वाला समय में यह चुनाव और दिलचस्प होता जा रहा है।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 11:49 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 11:49 AM (IST)
एसएल दास ने रघुनाथ पांडेय से पूछा सवाल, जाने क्या है वो सवाल
जुस्को यूनियन का चुनाव दिलचस्प हो गया है। एसएल दास (ऊपर) व रघुनाथ पांडेय के बीच जुबानी जंग जारी है।

जासं, जमशेदपुर : जुस्को श्रमिक यूनियन के चुनाव पर रोक के बाद से निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय और पूर्व महामंत्री एसएल दास के बीच जुबानी नुकता-कशी शुरू हो गई है।

अपर निबंधक के निर्देश पर जुस्को श्रमिक यूनियन के निवर्तमान अध्यक्ष ने अपना जवाब सौपा तो उसमें एसएल दास को बाहरी बताते हुए उसके द्वारा की गई शिकायत को गंभीरता से नहीं करने की अपील की थी। रघुनाथ पांडेय के बाहरी कहने पर एसएल दास ने भी जवाबी हमला किया है। एसएल दास ने रघुनाथ पांडेय से एक सवाल किया है। उनका कहना है कि यदि मैं बाहरी हूं तो रघुनाथ पांडेय क्या है। वे भी बाहरी है जिनका जुस्को श्रमिक यूनियन और जुस्को श्रमिक यूनियन से कोई संबंध नहीं है।

वर्ष 2017 की आमसभा में मेरा और रघुनाथ पांडेय का एक साथ को-ऑप्शन हुआ था। मौजूदा सत्र की सदस्यता के लिए आमसभा ने अनुमति दी थी। लेकिन चुनाव में रघुनाथ पांडेय जीत गए और मैं हार गया। ऐसे में जब तक नया चुनाव और नई कमेटी पदभार नहीं लेती तब तक मैं और रघुनाथ पांडेय दोनो ही यूनियन सदस्य है।

उन्होंने कहा कि फिर रघुनाथ पांडेय किस आधार पर मुझे बाहरी कह रहे हैं। यदि मैं बाहरी हूं तो रघुनाथ पांडेय भी बाहरी हैं। रघुनाथ पांडेय पुराने यूनियन नेता है लेकिन हल्की बात बोल उन्हें शोभा नहीं देती।

अब तक पूर्व कमेटी मेंबर और कर्मचारी भी सामने आ गए हैं कि कि आमसभा को असंवैधानिक तरीके से कराने के बाद उन्होंने ही 16 मार्च 2020 को उप श्रमायुक्त सहित श्रमायुक्त व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार से शिकायत की थी। इसलिए रघुनाथ पांडेय को बाहरी और भीतरी का विलाप बंद कर देना चाहिए।

उन्होंने आमसभा संवैधानिक तरीके से कराया या असंवैधानिक तरीके से, उन्हें श्रमायुक्त को अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए। क्योंकि सभी कर्मचारियों को सच्चाई पता है इसके बावजूद वे रघुनाथ पांडेय के जवाब का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

रघुनाथ पांडेय में दम है तो सच्चाई का सामना करे। वे किसी बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं। सभी कर्मचारी पढ़े-लिखे हैं इसलिए उन्हें बरगलाने से कोई फायदा नहीं है। फैसला कर्मचारियों के हाथों में छोड़ देना चाहिए।

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