School Fee Hike : चोरी-चोरी, चुपके-चुपके आपकी जेब पर डाला जा रहा डाका

कोरोना संक्रमण के कारण मार्च 2020 से स्कूलों में पढ़ाई बंद है लेकिन नया सत्र आते ही निजी स्कूलों में ट्यूशन फीस दोगुनी कर दी गई। निजी स्कूलों ने चोरी-चोरी चुपके-चुपके आपके जेब पर डाका डाला है। अगर नहीं विश्वास है तो इस रिपोर्ट को पढ़िए....

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 06:00 AM (IST)
School Fee Hike :  चोरी-चोरी, चुपके-चुपके आपकी जेब पर डाला जा रहा डाका
School Fee Hike : चोरी-चोरी, चुपके-चुपके आपकी जेब पर डाला जा रहा डाका

जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर ः जी हां, आप माने या ना माने, लेकिन यह सौ फीसद सच है। चोरी-चोरी, चुपके-चुपके निजी स्कूल आपकी जेब पर डाका डाल रहा है। नहीं विश्वास है तो जेब टटोलकर देख लीजिए जनाब। पिछले एक साल से ऑनलाइन क्लास चल रहा है, लेकिन कई ऐसे स्कूल है जो ट्यूशन फीस दोगुना बढ़ा चुके हैं। जाहिर है, जब ऑफलाइन स्कूल खुलेगी तो यही स्कूल प्रबंधन ट्यूशन फीस के अलावा लैब चार्ज, लाइब्रेरी चार्ज, स्मार्ट क्लास, साइंस लैब, कंप्यूटर लैब, न्यू एडमिशन फी के नाम पर आपसे और पैसे वसूलेंगे।

नया एडमिशन के लिए जेब में रखे 65 हजार

अगर आप अपने बच्चे का किसी प्रतिष्ठित निजी स्कूल में एडमिशन कराने की हिम्मत कर रहे हैं तो जेब में कम से कम 65 हजार रुपये तैयार रखिए। चाहे वह इंट्री क्लास हो या फिर ऊंचा क्लास। हर जगह यही हाल है। नया एडमिशन लेने की सोच रहे हैं तो 35 से 65 हजार रुपये लगना तय है। इसके अलावा ड्रेस व कॉपी किताब का खर्च अलग से।

सरकार के दिशानिर्देश के अनुसार यह दूसरा सीजन है जब फी में बढ़ोतरी नहीं की गई, लेकिन निजी स्कूल ट्यूशन फी में दोगुनी बढ़ोतरी कर पिछले दरवाजे से इसकी भरपाई कर रही है। कोरोना संक्रमण के कारण मार्च 2020 से सभी स्कूल बंद हैं। लेकिन निजी स्कूल किसी ना किसी बहाने अभिभावकों पर बढ़ी फीस देने का दबाव डालते रहते हैं।

चुपके से वार्षिक फी को ट्यूशन फी में जोड़ दिया

दरअसल कई निजी स्कूल नए सत्र में ली जाने वाली एनुअल फीस को ट्यूश्न फीस में जोड़ दे रहे हैं। सालना चार्ज को 12 माह में विभक्त कर ट्यूशन फीस में जोड़ा जा रहा है। कई निजी स्कूलों ने चुपके से 20 से 40 प्रतिशत तक ट्यूशन फीस बढ़ा दी हैं। जमशेदपुर के निजी स्कूलों का सालाना फीस 5 हजार से लेकर 8 हजार रुपए तक हैं। इस राशि को कई स्कूल ट्यूश्न फीस में जोड़ चुके हैं।

स्कूलों ने 15 फीसद तक की ट्यूशन फी में बढ़ोतरी

शहर के अधिकतर स्कूलों ने ट्यूशन फीस में इस बार 10-15 प्रतिशत तक वृद्धि की है। इन स्कूलों का कहना है कि हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते हैं। हमें भी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को प्रत्येक माह राशि देनी होती है। इनलोगों ने एसोसिएशन के निर्देश पर ट्यूशन फीस में सरकार के नियमानुसार ही बढ़ोत्तरी की है।

इस तरह से अभिभावकों की जेब हो रही खाली

1. जुस्को स्कूल कदमा : इस स्कूल में सत्र 2020-21 में तीन माह का ट्यूश्न फीस एलकेजी से कक्षा चार तक के लिए रुपया 5480 लिए जाते थे, लेकिन सत्र 2021-22 में उसे बढ़ाकर 7260 रुपया कर दिया गया है। यानि कुल 1780 की बढ़ोत्तरी की गई है।

2. काशीडीह हाई स्कूल साकची : इस स्कूल द्वारा सत्र 2020-21 में कक्षा पांच से आठवीं के लिए तीन महीने का ट्यूशन फीस 3535 रुपया था। वहीं सत्र 2021-22 में तीन माह के ट्यूशन फीस में 1465 रुपए की वृद्धि कर अब 5000 रुपया लिया गया।

3. जुस्को स्कूल साउथ पार्क : इस स्कूल में कक्षा चार एवं पांच की ट्यूशन फीस 5200 रुपए त्रैमासिक थी, लेकिन अब 7200 रुपया लिया जा रहा है। तीन माह में 2000 की बढ़ोत्तरी यानि एक साल में 8000 रुपए की बढ़ोत्तरी की गई। यह आठ हजार रुपए इस स्कूल का सालाना चार्ज है।

4. रामकृष्ण मिशन इंग्लिश स्कूल बिष्टुपुर : इस स्कूल द्वारा सत्र 2020-21 की अपेक्षा इस सत्र 2021-22 में नर्सरी क्लास से कक्षा दशम तक में 225 से लेकर 535 प्रति माह की गई है।

5. राजेंद्र विद्यालय साकची : इस स्कूल द्वारा अपने अभिभावकों से ट्यूशन फीस के साथ वार्षिक शुल्क के रूप में रुपया 3 हजार की मांग की जा रही है। राजेंद्र विद्यालय जहां कक्षा आठ से दस तक के छात्रों के लिए पिछले वर्ष 2265 रुपए लिए वहीं इस वर्तमान सत्र 2021-22 में 2500 रुपया मासिक लिया जा रहा है। इस स्कूल ने कंप्यूटर फीस को ट्यूश्न फीस में मर्ज कर दिया है।

6. माउंट लिटरा जी स्कूल पारडीह : इस स्कूल में प्रतिमाह जिन्हें 2000 रुपए ट्यूशन फीस देना पड़ता था, अब उन्हें 3900 रुपए देना पड़ रहा है।

7. विग इंग्लिश स्कूल गोविंदपुर : इस स्कूल में कक्षा छह के छात्रों का ट्यूश्न फीस प्रतिमाह 2050 कर दिया गया है, जबकि कक्षा पांच में 1650 रुपया था। एक ही कक्षा चार सौ रुपए का अंतर है। इसके अलावा वार्षिक शुल्क 5 हजार से लेकर 8 हजार रुपया तक लिया जा रहा है।

इंट्री क्लास में एडमिशन को देने पड़ते हैं 62 हजार की राशि

तीन से चार साल का स्टूडेंट का नामांकन शुल्क कितना हो चाहिए। जमशेदपुर में इंट्री क्लास में एडमिशन को अभिभावकों को 62 हजार रुपए देने पड़े तो सहसा यह विश्वास के योग्य नहीं होता। जमशेदपुर के कई निजी स्कूल इंट्री क्लास में एडमिशन के मद में वार्षिक 60 हजार रुपए से अधिक की राशि वसूलते हैं। इंट्री क्लास में बच्चों को जमशेदपुर शहर में पढ़ाना में धीरे-धीरे महंगा होता जा रहा है। पिछले साल सेक्रेड हार्ट कान्वेंट स्कूल में नर्सरी की फीस 60 हजार रुपए से ऊपर थी। उसे लेकर बहुत हंगामा भी हुआ था। शिक्षा विभाग ने जांच कर रिपोर्ट आला अधिकारी को दी, लेकिन मामला ढाक के तीन पात ही साबित हुआ।

फीस बढ़ाने में अव्वल डीएवी बिष्टुपुर

सत्र 2021-22 के लिए इंट्री क्लास में इस बार डीएवी बिष्टुपुर नर्सरी में नामांकन की फीस के मामले में सबसे टॉप पर थी। डीएवी बिष्टुपुर में नर्सरी में नामांकन के दौरान कुल 62 हजार 330 रुपए का स्लीप थमाया गया। तत्काल एडमिशन के समय 25 हजार एडमिशन फीस तथा वार्षिक चार्ज सहित अन्य फीस 18970 रुपए यानि एक साथ 43, 970 रुपए का भुगतान अभिभावकों ने किया। इसके बाद त्रैमासिक ट्यूश्न फीस का भुगतान 6120 रुपया प्रति तीन माह में अभिभावक भुगतान कर रहे हैं।

पिछले दो साल से नहीं हुई फीस निर्धारण समिति की बैठक

दो साल हो गए है। राज्य सरकार के आदेश के बावजूद पिछले दो साल से फीस निर्धारण समिति की बैठक अब तक नहीं हो पाई है। शिक्षा विभाग भी इस दिशा में तत्पर है। बिना फीस निर्धारण समिति की बैठक हुए ही निजी स्कूलों अपने हिसाब से फीसों में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं तथा फीस की गणना भी कर रहे हैं। झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के अनुसार जिला स्तरीय फीस निर्धारण समिति को निजी स्कूलों की फीस का निर्धारण करना है कि वे कितना प्रतिशत तक फीस बढ़ा सकते हैं। इसमें सभी पक्षों की रजामंदी भी आवश्यक है।

 

बस उपायुक्त को शो-कॉज होता है : डा. उमेश

निजी स्कूलों में फीस वृद्धि को लेकर तथा तमाम तरह की प्रताड़नाओं को लेकर उपायुक्त से लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग तक को शिकायत की जाती है। निजी स्कूलों की शिकायत करने में जमशेदपुर अभिभावक संघ के अध्यक्ष डा. उमेश कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। स्थानीय स्तर पर मामले का समाधान न होने पर मामले को आयोग तक लेकर जाते हैं। आयोग की ओर से उपायुक्त को पत्र भेजकर जांच के निर्देश दिए जाते हैं। जांच में कोताही बरतने और समय पर प्रतिवेदन समर्पित न करने पर उपायुक्त तक को शो-कॉज होता है। इसके आगे स्कूलों को कुछ नहीं होता। इस कारण निजी स्कूल मनमानी करते हैं। कोई अभिभावक स्कूल के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो उन्हें टारगेट में ले लिया जाता है। पिछले वर्ष जिला शिक्षा अधीक्षक ने कान्वेंट स्कूल में फीस व अन्य मामलों की जांच की थी। जांच रिपोर्ट आयुक्त को उन्होंने समर्पित किया था। कान्वेंट इस मामले में दोषी भी था, लेकिन संचिका उपर ही दब गई। इससे स्कूलों की सांठ-गांठ किससे और किन-किन अधिकारियों को है यह पता चलता है। अभिभावकों को निजी स्कूलों में पढ़ाना मजबूरी है, इसका फायदा निजी स्कूल उठा रहे हैं।

फीस मामले में सरकार ने जो भी नीति बना रखी है, उसे निजी स्कूलों को पालन करना होगा। इसको लेकर विभागीय अधिकारियों व स्कूलों को निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। कोई भी स्कूल मनमानी नहीं कर सकता है। फीस बढ़ोत्तरी के लिए फीस निर्धारण समिति बनी हुई है। अगर स्कूलों ने फीस बढ़ोत्तरी अपने स्तर से अप्रत्याशित वृद्धि की है तो उन स्कूलों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी।

- एसडी तिग्गा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम।

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