Jamshedpur Agitation: नगर निकायों के सफाई कर्मचारियों ने न्यूनतम मजदूरी के लिए किया प्रदर्शन, दी ये चेतावनी

Sanitation workers Demonstration. यूनियन सदस्य रमेश मुखी ने आरोप लगाया कि निकायों में अधिकतर एजेंसियां मंत्री और विभाग के अधिकारियों के ही हैं। इसलिए बार-बार शिकायत करने के बावजूद न तो एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई होती है और न ही न्यूनतम मजदूरी दी जाती है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 03:16 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 03:16 PM (IST)
Jamshedpur Agitation: नगर निकायों के सफाई कर्मचारियों ने न्यूनतम मजदूरी के लिए किया प्रदर्शन, दी ये चेतावनी
झारखंड असंगठित मजदूर यूनियन के बैनर तले प्रदर्शन करते ठेका कर्मचारी।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : झारखंड सरकार ने भले ही ठेका कर्मचारियों को 373.50 रुपये न्यूनतम मजदूरी तय कर दी हो लेकिन इसका लाभ अब तक उन्हें नहीं मिल रहा है। झारखंड असंगठित मजदूर यूनियन के बैनर तले बुधवार को जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति, मानगो नगर निगम, जुगसलाई नगर परिषद और आदित्यपुर नगर निगम के लगभग 350 सफाई कर्मचारियों ने उप श्रमायुक्त कार्यालय में प्रदर्शन किया और न्यूनतम मजदूरी देने की मांग की।

यूनियन के महासचिव एसके घोषाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने जो न्यूनतम मजदूरी तय की हुई है उसके बदले में सफाई कर्मचारियों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 200 रुपये दैनिक मजदूरी दी जाती है। वह भी पैसा बैंक के माध्यम से देने की बजाए हाथ में दिया जाता है। इस मामले की शिकायत 25 अगस्त व 15 नवंबर को श्रम विभाग से लेकर सभी निकायों में की गई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इसलिए अपना हक मांगने के लिए हम सभी एकत्रित हुए हैं। यदि 14 दिसंबर तक हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो 15 दिसंबर से हम सभी अनिश्चितकाल के लिए धरने पर बैठ जाएंंगे और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती, हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।

मंत्री व अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है गाेरखधंधा

यूनियन सदस्य रमेश मुखी ने आरोप लगाया कि निकायों में अधिकतर एजेंसियां मंत्री और विभाग के अधिकारियों के ही हैं। इसलिए बार-बार शिकायत करने के बावजूद न तो एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई होती है और न ही न्यूनतम मजदूरी दी जाती है। अधिक होता है तो एजेंसी को बदल दिया जाता है। फिर नई एजेंसी आती है तो वो कहती हैं कि पुराना पैसा किसका कितना लंबित है उसका हिसाब पुराने एजेंसी मालिक से लो। यही गोरखधंधा पिछले कई सालों से चल रहा है।

पीएफ और ईएसआइसी में भी चल रही है धांधली

यूनियन महासचिव एसके घोषाल ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को 200 पर हस्ताक्षर कराकर उन्हें 150 से 160 रुपये दिए जाते हैं और बाकी 40 रुपये पीएफ और ईएसआईसी के नाम से काट लिए जाते हैं। लेकिन न तो इनका पीएफ जमा होता है और न ही अब तक ईएसआईसी कार्ड बना हुआ है। हमने मामले की शिकायत की है लेकिन अब तक इस पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। पिछली बार हमने पूरे मामले की शिकायत मंत्री बन्ना गुप्ता के पास भी जाकर की थी लेकिन अब तक वहां से भी कोई मदद किसी कर्मचारी को नहीं मिली।

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