Samvad in jamshedpur : गोपाल मैदान में महकी लाहौल फेस्टिवल की खुशबू Jamshedpur news

Samvad. टाटा स्टील की ओर से आयोजित जनजातीय सम्मेलन संवाद की चौथी शाम में हिमाचल प्रदेश के लाहौल फेस्टिवल की महक चारों ओर बिखरी।

By Edited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 11:43 AM (IST)
Samvad in jamshedpur : गोपाल मैदान में महकी लाहौल फेस्टिवल की खुशबू Jamshedpur news
Samvad in jamshedpur : गोपाल मैदान में महकी लाहौल फेस्टिवल की खुशबू Jamshedpur news

जमशेदपुर, जासं। टाटा स्टील की ओर से आयोजित जनजातीय सम्मेलन संवाद की चौथी शाम में हिमाचल प्रदेश के लाहौल फेस्टिवल की महक चारों ओर बिखरी। देव स्थान हिमाचल प्रदेश की लाहौल जिले का स्पीति अत्यंत दुर्गम स्थानों में से एक है। ठंड के समय में यहां लगभग छह माह तक बर्फबारी होती है तो देश के विभिन्न हिस्सों से यह क्षेत्र कट जाता है। तब यहां के लोगों मनोरंजन का एकमात्र साधन है नृत्य और संगीत।

सोमवार की शाम स्वांगला बोध कला मंच की टीम ने नृत्य प्रस्तुत कर अपने शौर्य और संस्कृति से परिचय कराया। आठ महिलाएं एक दूसरे का हाथ थामे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पहले पूजा की फिर संगीत की धुन पर कदमताल करते हुए हिमाचल की परंपरा से जमशेदपुरवासियों को अवगत कराया। छत्तीसगढ़ से आए आदिवासी जनजाति के कलाकारों ने धेमसा नृत्य प्रस्तुत कर अपनी माटी की पहचान सभी से कराई।

थकान मिटाने की कवायद

ये समुदाय दिनभर की थकान मिटाने के लिए नाचते-गाते हैं। इसे आपसी सौहार्द और भाई-चारे का भी प्रतीक माना जाता है। इसके अलावे मुंडारी समुदाय द्वारा करम पूजा के समय प्रस्तुत किए जाने वाले जदुर नृत्य, केरल के माविलन जनजाति द्वारा मंगलाकाली नृत्य प्रस्तुत किया। यह फसल कटाई, वैवाहिक समारोह और शुभ अवसरों पर प्रस्तुत किया जाना वाला नृत्य है। इसके अलावे मेघालय राज्य से खासी और जयतिया जनजातियों द्वारा रोंगकुसी नृत्य से अपने युद्ध कौशल का परिचय कराया। इस नृत्य में महिलाओं ने आतंरिक घेरे का निर्माण किया। इसमें पारंपरिक पोशाक पहने कलाकार अपने वाद्य यंत्र काबम और तंगमुरी की धुन पर हाथों में हथियार लेकर अपनी युद्ध कला का परिचय कराया। राजस्थान के भील जनजाति द्वारा गारसिया नृत्य प्रस्तुत किया गया।

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