आरएसएस के समरसता मंच ने मनाई भगिनी निवेदिता की जयंती Ranchi News
इस अवसर पर आरएसएस समरसता मंच के झारखंड प्रांत के सदस्य डा. राजेश प्रसाद ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने उदबोधन में विवेकानन्द रामकृष्ण परमहंस मां शारदा देवी के साथ भगिनी निवेदिता के संबंधों पर प्रकाश डाला।
रांची (जागरण संवाददाता) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामाजिक समरसता मंच,रांची विभाग के तत्वावधान में बुधवार को स्वर्णिमा एकेडमी परिसर,कांके में भगिनी निवेदिता का जन्मोत्स्व मनाया गया। मंच के झारखंड प्रांत के सदस्य डा. राजेश प्रसाद मुख्य वक्ता के रूप में अपने उदबोधन में विवेकानन्द, रामकृष्ण परमहंस, मां शारदा देवी के साथ भगिनी निवेदिता के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आयरलैंड की रहनेवाली निवेदिता ने 1898 से लेकर 1911 तक भारत में रहकर भारतवर्ष के लिए उल्लेखनीय कार्य किया।
स्वतंत्रता संग्राम के लिए युवाओं को प्रेरित करने का किया काम
उन्होंने कहा कि इनके जैसा दूसरा कोई नहीं है। मानव सेवा का कार्य करते हुए इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम हेतु अनेकों युवाओं को प्रेरित करने का काम किया।महिलाओं में इनके प्रति श्रद्धा का भाव स्वतः जाग्रत होना स्वाभाविक ही है। इनका बचपन में नाम था मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल। इनकी माता का नाम मैरी इसाबेल और पिता का नाम सैमुएल रिचमंड नोबल था।पिता पुजारी थे और उन्होंने मार्गरेट को बताया था कि मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर भक्ति है। 1895 में इनकी मुलाकात स्वामी विवेकानंद से हो गई फिर ये कोलकता आ गईं। इन्होंने स्वामी जी से दीक्षा ग्रहण की और सामाजिक कार्यों में पूरे मन से जुट गईं। प्लेग फैलने पर उन्होंने भारतीय बस्तियों में प्रसंसनीय कार्य किया।
भगिनी निवेदिता की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित
प्राचीन हिंदू आदर्शों को शिक्षित लोगों तक पहुंचाने के लिए अंग्रेजी भाषा में पुस्तकें लिखीं और घूम घूमकर हिंदू धर्म की विशेषताओं का प्रचार भी अंतिम समय तक करती रहीं।इनका जन्म आज ही के दिन 1867 में हुआ।
इस अवसर पर कांके क्षेत्र के युवा और स्त्री,पुरुष उपस्थित थे।डा. अनुराधा प्रसाद, जयराज प्रसाद, आकांक्षा राज,मुकेश प्रसाद,सुमेधा शरण, निशा झिंगन आदि गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही।