सदर अस्पताल को कायाकल्प का अवार्ड दिलाने वाली उपाधीक्षक का इस्तीफा
जिला स्वास्थ्य विभाग में बहुत कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सदर अस्पताल को कायाकल्प का अवार्ड दिलाने वाली उपाधीक्षक डॉ. वीणा सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अचानक लिए गए इस निर्णय से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जिला स्वास्थ्य विभाग में बहुत कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सदर अस्पताल को कायाकल्प का अवार्ड दिलाने वाली उपाधीक्षक डॉ. वीणा सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अचानक लिए गए इस निर्णय से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई है।
वीणा सिंह अपनी इस्तीफा सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद को सौंप दी है। अब आगे की कार्रवाई उनपर निर्भर करता है। सूत्रों के अनुसार, वीणा सिंह को उच्च पदाधिकारियों का सहयोग नहीं मिल रहा था। उनपर कई तरह के दवाब पड़ रहे थे और एक पत्र से भी वह खासे नाराज चल रही थीं। उसमें अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया गया था। जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा देने का निर्णय लिया। वहीं वीणा सिंह ने कहा कि उनपर काम का दवाब अधिक है और कुछ नहीं। प्रसव की संख्या लगातार बढ़ने के कारण उनका अधिकतम समय महिला एवं प्रसूति विभाग में ही गुजरता है। ऐसे में वह अस्पताल चलाने में असमर्थ हैं। इधर, ओपीडी में चिकित्सक अपने मनमुताबिक ड्यूटी पर आते और जाते हैं। अधिकांश अस्पताल देर से पहुंचते हैं और जल्दी चले जाते हैं। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है और छवि अस्पताल की खराब होती है। इन सारे खामियों को लेकर उपाधीक्षक परेशान चल रही थीं। वीणा सिंह सदर अस्पताल की पांचवीं उपाधीक्षक हैं।
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झारखंड का नंबर वन अस्पताल बनाने में वीणा का अहम योगदान
अप्रैल 2017 में उपाधीक्षक पद संभालने के बाद वीणा सिंह सदर अस्पताल की व्यवस्था सुधारने में जुटी रहीं। खुद समय से अस्पताल आती हैं और देर रात घर लौटती हैं। उनके सफल नेतृत्व में सदर अस्पताल वर्ष 2018 में झारखंड का नंबर वन अस्पताल बना। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने अस्पताल को कायाकल्प अवार्ड से नवाजा। इस दौरान अस्पताल को 50 लाख रुपये पुरस्कार मिला। सदर अस्पताल में प्रसव की संख्या बढ़ाने में वीणा सिंह अहम योगदान है। वे खुद ही महिलाओं का सामान्य प्रसव व सर्जरी द्वारा कराती हैं। हर माह 150-160 सर्जरी हो रहा है, जो पहले बहुत कम था।