एमजीएम में नहीं थम रहा हंगामा, डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप, मरीजों ने किया हंगामा

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों का हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। डॉक्टर कर्मचारियों की लापरवाही रोजाना सामने आ रही है जिसके कारण मरीज हंगामा करने को मजबूर हैं। बुधवार को फिर अस्पताल में हंगामा हुआ।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 05:57 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 05:57 PM (IST)
एमजीएम में नहीं थम रहा हंगामा, डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप, मरीजों ने किया हंगामा
उत्तम कुमार मोदक की कमर के पास की हड्डी टूट गई है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों का हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। डॉक्टर, कर्मचारियों की लापरवाही रोजाना सामने आ रही है, जिसके कारण मरीज हंगामा करने को मजबूर हैं। बुधवार को फिर अस्पताल में हंगामा हुआ। हालांकि, नए अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मरीज को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। तब जाकर मामला शांत हुआ।

दरअसल, बिरसानगर जोन नंबर एक निवासी उत्तम कुमार मोदक की कमर के पास की हड्डी टूट गई है। इसके बाद वह इलाज कराने के लिए पहुंचे थे लेकिन यहां उनको बेहतर चिकित्सा नहीं मिल रही थी। इसे देखते हुए उन्होंने ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों से गुहार भी लगाई लेकिन इसके बावजूद ध्यान नहीं दिया गया। इस दौरान मरीज व उनके अटेंडर ने नाराजगी भी जाहिर की। साथ ही, इसकी सूचना उन्होंने भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विमल बैठा को भी दी। मौके पर वे पहुंचे और इसकी शिकायत उन्होंने अधीक्षक से की। इस दौरान उनके समर्थकों ने हंगामा भी किया। हालांकि, अधीक्षक को इसकी सूचना मिलते ही मरीज को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। विमल बैठा ने कहा कि एमजीएम में चिकित्सक व कर्मचारियों की लापरवाही लगातार सामने आ रही है। इसके बावजूद सरकार सोयी हुई है। स्वास्थ्य मंत्री ने तीन माह के अंदर अस्पताल की सूरत बदलने की बात कही थी लेकिन डेढ़ साल के बाद भी एक ड्रेसर की बहाली नहीं हुई, जो दुखद है। जब स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र के अस्पताल का यह हाल है तो बाकी जगहों में क्या होगी, इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।

नए अधीक्षक के सामने कई चुनौतियां

नए अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार के सामने कई चुनौतियां हैं। अस्पताल को पटरी पर लाना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए मैनपावर की कमी को दूर करना होगा। इसके साथ ही सबकी जिम्मेदारी तय करनी होगी। ड्यूटी से गायब होने वाले कर्मचारियों पर सख्ती से कार्रवाई करनी होगी। तब जाकर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार देखा जा सकता है।

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