Rohini Court Firing : झारखंड के जमशेदपुर कोर्ट में पहले ही हो चुकी है इस तरह की वारदात, ये रही पूरी जानकारी
Rohini Court Firing. रोहिणी कोर्ट जैसी घटना जमशेदपुर कोर्ट में भी हो चुकी है। 30 नवंबर 2016 को बागबेड़ा निवासी ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उपेंद्र पक्ष के लोगों ने भी गोलियां चलाई थी।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। दिल्ली के रोहणी कोर्ट परिसर में शुक्रवार को जो कुछ भी हुआ उससे अदालत की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा होने लगे हैं। दिल्ली जैसी वारदात न हो इसको लेकर आम लोगों से लेकर न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं तक में चर्चा होने लगी है जो लाजिमी है। सुरक्षा व्यवस्था में सेंध की बात होने पर जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय परिसर में हुई वारदात सामने आ ही जाती है। कारण अदालत परिसर के बार भवन में ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह की हत्या, अखिलेश सिंह पर हमला और रवि चौरासिया पर हमले की घटना होना है।
हालांकि, सुरक्षा को लेकर जमशेदपुर पुलिस के वरीय अधिकारी समय-समय पर मुआयना करते हैं। खामियों को सुधारने का प्रयास करते हैं। धनबाद में जज की हत्या के बाद एसएसपी एम तमिल वाणन ने अदालत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण विगत 10 अगस्त को किया था।
केस नंबर एक : हरीश सिंह अदालत में पेश होकर निकल गया
गैंगस्टर अखिलेश सिंह का गुर्गा हरीश सिंह की तलाश जमशेदपुर पुलिस को भुइयांडीह गैंगवार मामले रही है। वांटेड होने के बावजूद वह अधिवक्ता की वेशभूषा में विगत 5 मार्च को अदालत परिसर में प्रवेश कर गया। उपेंद्र सिंह हत्याकांड के आर्म्स एक्ट मामले में उसके बयान दर्ज होने थे। 10 मिनट तक वह अदालत परिसर में रहा और बड़े आराम से निकल गया। वह कोर्ट परिसर के गेट नंबर तीन से अंदर घुसा था जिस गेट से अधिवक्ताओं का प्रवेश होता है। मामला सामने आने के बाद एसएसपी ने सब इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। सीतारामडेरा थाना में हरीश सिंह समेत अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
केस नंबर दो : उपेंद्र सिंह की हत्या
न्यायालय परिसर के बार एसोसिएशन भवन के दूसरे तल्ले में 30 नवंबर 2016 को बागबेड़ा निवासी ट्रांसपोर्टर उपेंद्र सिंह की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जवाब में उपेंद्र सिंह पक्ष के लोगों ने भी गोलियां चलाई। अधिवक्ताओं और भीड़ की सक्रियता के कारण दो शूटर मौके से ही पकड़ लिए गए थे। जबकि अन्य फरार होने में सफल रहे। हत्या का आरोप अखिलेश सिंह, हरीश सिंह समेत अन्य पर लगा था। सीतारामडेरा थाना में सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस घटना के बाद अधिवक्ताओं ने सुरक्षा मामले को लेकर सवाल उठाए थे।
केस नंबर तीन : अखिलेश सिंह पर हुआ था जानलेवा हमला
14 मई 2014 को अखिलेश सिंह की जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय में पेशी थी, जब जेल में बंद अखिलेश सिंह को पेशी के लिए अपर जिला व सत्र न्यायाधीश दीपकनाथ तिवारी की अदालत में लाया गया। सुनवाई के बाद अदालत से निकलते ही सीतारामडेराो रमना खलखो ने उसे रोक और बातचीत करने लगी। सरबजीत सिंह ने उस पर फायरिंग कर दी, लेकिन गोली नहीं चली। सरबजीत भागने लगा। उसका साथी भी भाग गए। दोनों को अखिलेश सिंह के समर्थकों ने पकड़ लिया। सरबजीत और हरविंदर सिंह उर्फ हनी सिंह को अधमरा कर दिया था। घटना से अदालत परिसर में अफरा-तफरी मच गई थी।
केस नंबर चार : रवि चौरासिया पर अखिलेश सिंह ने किया था हमला
घटना 2005 की है। कोर्ट में साकची निवासी रवि चौरसिया और अखिलेश सिंह अदालत में पेशी के लिए आया था। अखिलेश सिंह ने रवि को किसी मामले में गवाही देने से मना किया था। इस बात को लेकर कहा-सुनी हो गई थी। तब अखिलेश सिंह ने हथकड़ी से ही रवि चौरासिया पर हमला कर दिया था।