सेकेंड भर की चूक से हो जाता हादसा
सीआइआइ-वाइआइ स्कूली बचों को कर रही ागरूक ला-ग्रेविटी चला रही नो हॉर्न कैंपेन ा
जासं, जमशेदपुर : जमशेदपुर शहर की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही शहर में दोपहिया वाहनों की तादाद भी बढ़ रही है। प्रति व्यक्ति दो बाइक-स्कूटी तक हो गए हैं। स्कूली बच्चे भी बाइक-स्कूटी चलाते हुए सड़क पर मिल जाएंगे। ये जिस लापरवाही से दोपहिया वाहन चलाते हैं, उससे हर कोई हैरान रह जाता है। इन्हें ना अपनी जान की परवाह होती है, ना दूसरों की। रैश ड्राइविग के भी ज्यादातर मामले स्कूल-कालेज के छात्रों में देखने को मिलते हैं। सेकेंड की चूक से बड़ा हादसा हो जाता है, लेकिन इसके प्रति ना बच्चे गंभीर हैं, ना अभिभावक।
इससे चितित होकर ही पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त सूरज कुमार ने सोमवार को यातायात सुरक्षा संबंधी समीक्षा बैठक में स्कूलों के प्रधानाचार्य-प्राचार्य को निर्देश दिया है कि वे अभिभावकों से शपथ-पत्र लें कि उनके बच्चे बाइक-स्कूटी से स्कूल नहीं जाते हैं। अभिभावक जिन बच्चों को अपनी बाइक या स्कूटी पर बैठाकर लाते हैं, वे हेलमेट पहने हुए होते हैं।
स्कूली बच्चों को जागरूक करने में सीआइआइ-वाइआइ (कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री-यंग इंडियंस) भी जुटी है। संस्था के अध्यक्ष (रोड सेफ्टी) पुलकित झुनझुनवाला बताते हैं कि लॉकडाउन में ही उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए ऑनलाइन प्रतियोगिता कराई थी कि वे सड़क पर लगे संकेत (रोड साइन) की कितनी समझ रखते हैं। इसमें करीब 500 बच्चे शामिल हुए थे, जिसमें 10 बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया था।
वहीं ला-ग्रेविटी के अविनाश दुगड़ 'नो हॉर्न कैंपेन' चला रहे हैं। अविनाश कहते हैं कि सड़क दुर्घटना की एक वजह अचानक तेज आवाज वाले हॉर्न बजाना भी है, जिससे बाइक या साइकिल सवार के साथ पैदल यात्री भी इधर-उधर भागने लगता है और दुर्घटना हो जाती है। हम बिना हॉर्न बजाए भी वाहन चला सकते हैं। मैं खुद पिछले 14 वर्ष से हॉर्न बजाए बिना शहर में आवागमन कर रहा हूं। मैं करीब 20 देश में गया हूं, आश्चर्य हुआ कि 19 देशों में लोग हॉर्न नहीं बजाते हैं। इनमें कुछ देश तो काफी गरीब हैं, लेकिन उनमें ट्रैफिक सेंस काफी ज्यादा है। क्या अपने देश में ऐसा नहीं हो सकता, हमें सोचना चाहिए।
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जमशेदपुर में दुर्घटना की वजह व मौत (जनवरी-जून 2020)
- बाइक-स्कूटी : 47 फीसद : 46 फीसद
- टेंपो-ट्रैक्टर : 6 फीसद : 5 फीसद
- ट्रक-लॉरी : 10 फीसद : 19 फीसद
- भारी वाहन : 21 फीसद : 19 फीसद
- बस : 3 फीसद
- अज्ञात वाहन : 2 फीसद