Singhbhum Chamber Election : अद्श्य शक्ति का दबाव सब पर भारी, उम्मीदवारों ने नामांकन लिया वापस

Singhbhum Chamber Election चैंबर चुनाव को लेकर जो कार्यक्रम तय किए गए हैं। उस पर नामांकन रद किए गए उम्मीदवार सह शिकायतकर्ता राजेश जसूका ने सवाल उठाया है। उनका कहना है कि चैंबर कंपनीज एक्ट में रजिस्टर्ड है तो उन्हें तय चुनाव कार्यक्रम का ही अनुपालन करना है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 05:39 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 05:39 PM (IST)
Singhbhum Chamber Election : अद्श्य शक्ति का दबाव सब पर भारी, उम्मीदवारों ने नामांकन लिया वापस
कंपनीज एक्ट में रजिस्टर्ड इस व्यापारिक संगठन में भाई-भतीजावाद हावी हो गया है।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में यह चर्चा आम हो गई है कि वह अदृश्य शक्ति कौन है जिसके दबाव में नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद भी एक साथ 19 उम्मीदवारों ने नामांकन ले लिया। शिकायत सभी की है लेकिन खुलकर कोई बोलना नहीं चाहते। चैंबर चुनाव की वर्तमान प्रक्रिया में जो कुछ अभी घटित हुआ। वह शायद पहले कभी नहीं हुआ था।

पिछले दिनों तक अध्यक्ष पद के उम्मीदवार चल रहे सुरेश सोंथालिया ने पहले अखबारों में बयान दिया कि वे चुनाव लड़ेंगे। लेकिन एक दिन बाद ही वे चुनाव प्रक्रिया से हट गए। नतीजन, ऑफिस बियरर के 11 में से नौ पदों पर सुरेश की टीम से किसी ने नामांकन नहीं किया और नौ पदाधिकारी पहले चरण मे निर्विरोध हो गए। ऐसे में उपाध्यक्ष (उद्योग) के पद पर महेश सोंथालिया व संदीप मुरारका और उपाध्यक्ष (जनसंपर्क एवं कल्याण) के पद पर मुकेश मित्तल और सत्यनारायण अग्रवाल के बीच सीधा मुकाबला हो गया। लेकिन जब नाम वापसी का समय आया तो अचानक संदीप मुरारका और सत्यनारायण अग्रवाल ने चुुनाव से अपना नाम वापस ले लिया। सभी से पूछा गया तो कोई भी आधिकारिक रूप से बोलने को तैयार नहीं। बस इतना ही कहना है कि अदृश्य शक्ति। सवाल उठता है कि आखिर यह अदृश्य शक्ति कौन है जिसके कारण कोल्हान की सबसे बड़ी व्यापारिक संगठन मजाक बनकर रह गया है।

कंपनीज एक्ट में रजिस्टर्ड इस व्यापारिक संगठन में भाई-भतीजावाद हावी हो गया है। जहां मोहित मूनका प्रकरण इसका ताजा उदाहरण है। जो नौ में से चार बैठक में उपस्थित है और उनके नाम को स्वीकृत कर लिया गया लेकिन जो पांच या आठ बैठक में उपस्थित है उन्हें तकनीकी कारण बताकर चुनावी प्रक्रिया से बाहर कर दिया। अदृश्य शक्ति इतनी कमजोर है जो उन्हें चुनाव लड़ने और अपने लोगों के हारने का डर है इसलिए दबाव की राजनीति पर चाल चली जा रही है।

राजेश जसूका ने चुनावी प्रक्रिया में उठाए सवाल

चैंबर चुनाव को लेकर जो कार्यक्रम तय किए गए हैं। उस पर नामांकन रद किए गए उम्मीदवार सह शिकायतकर्ता राजेश जसूका ने सवाल उठाया है। उनका कहना है कि चैंबर कंपनीज एक्ट में रजिस्टर्ड है तो उन्हें निर्वाचन कमेटी को तय चुनाव कार्यक्रम का ही अनुपालन करना है। वे चैंबर का वृहद फायदा (लार्ज इंटरेस्ट) देखने वाले कौन होते हैं। जब चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया एक दिन पहले समाप्त हो चुकी है तो वे किस आधार पर दूसरे दिन 19 लोगों का नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया फिर से कर सकते हैं। आखिर निर्वाचन कमेटी पर किसका दबाव है।

अध्यक्ष-महासचिव या चुनाव कमेटी ने क्यों नहीं की जांच : राजेश

राजेश का कहना है कि निर्वाचन कमेटी का बयान है कि उन्हें अध्यक्ष-महासचिव की ओर से जो सूची मिली उसी के आधार पर चार उम्मीदवारों का नामांकन रद किया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि जिन उम्मीदवारों का नामांकन रद किया गया उसका अध्यक्ष-महासचिव या चुनाव कमेटी ने सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों की उपस्थिति की जांच क्यों नहीं की या उन पर भी अदृश्य शक्ति का दबाव था। गलती उजागर होने के बावजूद अपनी गलती को ये मानने को तैयार नहीं है। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है।

राजेश-हेमेंद्र आज करेंगे शिकायत

राजेश का कहना है कि हमने गुरुवार तक वेट एंड वॉच की भूमिका में रहे। हमें उम्मीद थी कि निर्वाचन कमेटी या चैंबर के शीर्षस्थ नेतृत्व हमें बात करने बुलाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसलिए हम शुक्रवार को पूरे मामले की शिकायत सेबी, कंपनी रजिस्ट्रार व धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी से करेंगे।

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