Ratan Tata की ये 11 बातें जो उन्हें दूसरे उद्योगपतियों से बनाती है अलग, लोग इसलिए कहते हैं देश का रतन

Ratan Tata. रतन टाटा इंस्टाग्राम पर काफी एक्टिव रहते हैं। इंस्टाग्राम पर उनके 3.5 मिलियन फॉलोअर्स हैं। रतन टाटा पहली बार जब इंस्टाग्राम से जुड़े तो उन्होंने जमीन पर बैठे हुए एक फोटो शेयर करते हुए लिखा कि यहां जुड़ने के बाद कई लोगों से मिलने का मौका मिला।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 03:33 PM (IST) Updated:Sun, 24 Jan 2021 08:19 AM (IST)
Ratan Tata की ये 11 बातें जो उन्हें दूसरे उद्योगपतियों से बनाती है अलग, लोग इसलिए कहते हैं देश का रतन
टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को ऐसे ही देश का रत्न नहीं कहा जाता।

जमशेदपुर, निर्मल।  टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को ऐसे ही देश का रत्न नहीं कहा जाता। उन्होंने अपने जीवन में ऐसे कई उदाहरण पेश किए कि हर कोई उनके दयालुपन का कायल हो गया। व्यापार के उच्चतम शिखर पर हैं इसके बावजूद हमेशा धरातल से जुड़े रहे हैं।

उनमें ऐसी खूबियां हैं जिसके कारण लोग उनकी इज्जत ही देते नहीं, बल्कि पूजते भी हैं। उनकी पहल, अपने कर्मचारी से लेकर एक आम आदमी तक व देश के प्रति लगाव ही उन्हें दूसरों से अलग पहचान दिलाती है। तो आइए जानते हैं कौन-सी है वो बात, जिसके कारण वे दूसरों से अलग है।

1. रतन टाटा इंस्ट्राग्राम पर काफी एक्टिव रहते हैं। इंस्ट्राग्राम पर उनके 3.5 मिलियन फॉलोअर्स हैं। रतन टाटा इससे पहली बार जुड़े तो उन्होंने जमीन पर बैठे हुए अपनी एक फोटो शेयर करते हुए लिखा कि यहां जुड़ने के बाद कई लोगों से मिलने का मौका मिला। इंटरनेट परिवार से काफी लोगों से उनका जुड़ाव हो गया है। यह परिवार यूं ही बढ़ता रहे। जमीन पर बैठे उनके इस फोटो पर कई फॉलोअर ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी। एक महिला फॉलोअर ने उन्हें छोटू लिखकर संबोधित क्या किया, लोगों ने उक्त महिला को ट्रोल करना शुरू कर दिया। इस पर रतन टाटा ने उस महिला का बचाव करते हुए कहा कि उनकी मंशा कोई गलत नहीं थी। हर इंसान अंदर से एक बच्चा ही है। रतन टाटा की इस अपील के बाद उनके फोलोअर ने महिला काे माफ किया। 

 2. जब दान में दे दिए 500 करोड़

कोविड 19 महामारी की पहुंच सभी देशों तक पहुंच गई है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। कोविड 19 के कारण हुए लॉकडाउन के कारण सभी उद्योग-व्यापार बंद हो गए। इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए जब आवश्यक किट, मास्क व दस्ताने की आवश्यकता थी तब रतन टाटा ने केंद्र सरकार को इस वैश्विक महामारी से लड़ने और पीपीई किट व मास्क खरीदने के लिए 500 करोड रुपये दान में दे दिए। 

 3. लावारिस जानवरों के लिए उनका प्रेम

रतन टाटा को जानवरों खास कर कुत्तों से बहुत प्यार है। सड़क पर आए दिन कोई न कोई जानवर दुर्घटना का शिकार होता है। कोई भी लावारिस पशु दुर्घटना का शिकार न हो इसके लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली। एक एनजीओ के साथ मिलकर उन्होंने आवारा पशुओं के गले पर रेडियम वाला बेल्ट पहनाना शुरू किया, ताकि रात के अंधेरे में भी वाहन चालकों को दूर से वो दिखाई दे। इसके अलावे जो कुत्ते किसी दुर्घटना के कारण घायल हो जाते हैं। रतन टाटा ऐसे जानवरों को गोद लेने के लिए अपने इंस्ट्राग्राम पेज पर अपील भी करते हैं। अभी तक वे कई जानवरों की मदद कर चुके हैं।

 4. जब एक बीमार कर्मचारी के घर पहुंच गए

पिछले दिनों रतन टाटा अपने एक बीमार कर्मचारी से मिलने अचानक मुंबई से केवल अपने ड्राइवर के साथ पुणे पहुंचे गए। जब उन्होंने घर का डोर बेल बजाया तो रतन टाटा को सामने देखकर पूरा परिवार अचंभित हुआ। रतन टाटा ने न सिर्फ अपने बीमार कर्मचारी का हालचाल पूछा, बल्कि बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठाया। 

 5.कर्मचारियों की मदद के लिए आगे आए

 मुंबई के होटल ताज में जब 26/11 का हमला हुआ, तब रतन टाटा अपने कर्मचारियों की मदद के लिए आगे आए। इस आतंकी घटना में जितने भी कर्मचारी घायल हुए, उन्हें पूरी तरह से ठीक होने तक पूरा वेतन दिया। इसके अलावा जो कर्मचारी इस हमले में मारे गए उनके बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च रतन टाटा खुद वहन कर रहे हैं। 

6. भ्रामक खबरों से बचने की अपील

रतन टाटा से जुड़ी कई भ्रामक खबरे आए दिन इंटरनेट मीडिया में वायरल होते रहते हैं। पिछले वर्ष भी ऐसा ही एक वाकया हुआ, जब एक दैनिक अखबार ने उनके नाम से एक खबर प्रकाशित कर दी। रतन टाटा ने दैनिक अखबार पर बिना किसी टिप्पणी के उक्त खबर को अपने इंस्ट्राग्राम पेज पर शेयर किया और अपील की कि भ्रामक खबरों से सभी को बचना चाहिए। 

 7. कुपोषण के खिलाफ शुरू की लड़ाई

भारत कुपोषण जैसी गंभीर समस्या के खिलाफ मजबूती से डटा रहे। इसके लिए वर्ष 2012 में रतन टाटा ने देश के बच्चों को कुपोषण मुक्त करने का फैसला किया। इसके लिए टाटा ट्रस्ट ने संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर स्थायी विकास-2 योजना देश के 13 राज्यों में शुरू की। सुदूर गांवों के स्कूलों में मध्याह्न भोजन देन की व्यवस्था शुरू की गई, ताकि बच्चों और गर्भवती सहित स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पौष्टिक भोजन मिल सके और वे मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सके। 

8. मुनाफे के बजाए नैतिकता का दिखाया आईना

कोविड 19 के कारण जब देश भर के उद्योग, कल-करखाने, आईटी कंपनियां बंद हो गए। कंपनियों के पास ऑर्डर नहीं थे तब रतन टाटा ने उन कंपनियों को नैतिकता का आईना दिखाया, जो कंपनी को मुनाफे में रखने के लिए कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहे थे। इस पर रतन टाटा ने इंस्ट्राग्राम में अपना संदेश पोस्ट करते हुए कहा कि वो कर्मचारी जिसने किसी कंपनी को बनाने में अपना कई साल दे दिया। आज मुनाफा कमाने के लिए वही कंपनी अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दे यह गलत है। कंपनी मालिकों को अपने आप से सवाल पूछना चाहिए कि वे जो निर्णय ले रहे हैं, वह कितना सहीं है। 

 9. युवाओं को पढ़ाई के लिए दी वित्तीय सहायता

देश में कई ऐसे होनहार युवा हैं, जिन्हें स्कूल-कॉलेज में बेहतर अंक मिले और वे आगे पढ़ना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं है। ऐसे युवाओं के लिए रतन टाटा की पहल पर टाटा ट्रस्ट ने वित्तीय सहायता देने की योजना शुरू की, ताकि कोई भी युवा पैसों की कमी के कारण अपने सपनों को पूरा करने से पीछे न रह जाए। 

 10. जब बिजनेस क्लास की जगह इकोनॉमी में किया सफर

रतन टाटा कई बार ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो दूसरों को भी सबक देते हैं कि चाहे जितनी भी संपत्ति क्यों न हासिल कर लें, वे भी दूसरों की तरह आम इंसान हैं। वर्ष 2014 में एयर एशिया की फ्लाइट में गोवा जाते समय रतन टाटा एक आम यात्री की तरह बिजनेस क्लास के बजाए इकोनॉमी क्लास में सफर किया। इस दौरान उन्होंने अपने बगल में बैठे यात्रियों के साथ न सिर्फ बात की, बल्कि उनके साथ फोटो भी खिंचवाए। 

11. ड्राइवर के बगल में बैठते हैं रतन टाटा

किसी बिजनेस टायकून का लक्जरी गाड़ी में अपने ड्राइवर के बगल में बैठना शायद ही गंवारा हो। लेकिन रतन टाटा ने हमेशा अपने ड्राइवर का सम्मान दिया। इसलिए वे हमेशा अपने ड्राइवर के बगल में ही बैठकर यात्रा करते हैं। उन्हें यह अहसास नहीं होने देते कि वे उनसे काफी समृद्ध है। कई बार तो रतन टाटा उन्हें अपने बगल में बैठाकर खुद कार चलाते हैं।

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