Indian Railways : गुटखे के दाग साफ करने में इतने करोड़ खर्च करती है रेलवे, आप भी जानकर हैरान रह जाएंगे
Indian Railways Spittoon pouches कई बार आप रेलवे स्टेशन से गुजरते होंगे तो हर कोना लाल रंग में रंगा नजर आता है। लोग पान या गुटखा खाकर यत्र-तत्र थूक देते हैं। क्या आपको पता है इसे साफ करने में रेलवे कितना खर्च करती है। आप भी दंग रह जाएंगे...
जमशेदपुर : देश की विभिन्न राज्य सरकारों ने अपने यहां गुटखा को बैन कर दिया है लेकिन चोरी-छिपे लोग खाते हैं और कहीं किसी दीवार में या सड़क पर थूक देते हैं। गुटखा वाले इस लाल रंग के थूक में कत्था, जर्दा सहित कई हानिकारक तत्व मिले रहते हैं जो पूरी तरह से कैमिकल युक्त होता है।
इस लाल रंग के थूक को साफ करने में काफी परेशानी होती है। क्या आपको पता है कि जो लोग गुटखा खाकर ट्रेन की बोगी टॉयलेट, स्टेशन परिसर या दीवारों पर थूक देते हैं उसकी सफाई करने में कितना खर्च होता है। आपको नहीं पता तो आइए हम बताते हैं।
गुटखे के थूक को साफ करने में रेलवे खर्च करती है इतने करोड़ रुपये
स्टेशन परिसर पर यात्री थूक देते हैं तो उसकी सफाई में रेलवे हर साल 1200 करोड़ रुपये खर्च करती है। यह आंकड़ा काफी बड़ा है लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार रेलवे अपने सभी जोन व मंडल में इस तरह के सफाई अभियान चलाती रहती है।
ट्रेनों की संख्या और हर दिन यात्रियों की आवाजाही पर नजर दौड़ाएं तो इतनी बड़ी राशि खर्च होना संभव है क्योंकि रेलवे के देश भर में 14 जोन हैं। हालांकि रेल प्रबंधन सभी स्टेशनों पर यहां न थूके और स्टेशन व ट्रेन को साफ रखने का संदेश देती है। इसके बावजूद कई यात्री अपने बर्ताव में जरा भी सुधार नहीं लाते।
गुटखे की थूक से निपटने के लिए रेलवे कर रही है यह पहल
ट्रेन व स्टेशन परिसर गंदा न हो। इसके लिए रेलवे नागपुर की एक स्टार्टअप कंपनी ईजीपिस्ट के साथ करार किया है। इस करार के तहत स्टार्टअप कंपनी रेलवे के पश्चिम, उत्तर व मध्य रेल जोन के लिए वेंडिंग मशीन या कियोस्क लगाने की तैयारी कर रही है।
इन कियोस्क की मदद से कोई भी यात्री अपने गुटखा को थूकने के लिए पीकदान या स्पिटून पाउच खरीद सकते हैं। छोटे वाले की कीमत पांच जबकि बड़े वाले पाउच की कीमत 10 रुपये होगी। फिलहाल यात्रियों के इस्तेमाल के लिए देश के 42 स्टेशनों पर ऐसे स्टॉल लगाने की तैयारी कर रही है।
पाउच इस तरह से करेगा काम
स्पिटून या पीकदान पाउच पूरी तरह से बायो डिग्रेबल होगा। जिसे 15 से 20 बार इस्तेमाल किया जा सकता है। ये पाउच थूक को तरल से ठोस प्रद्धार्थ में बदल देता है। एक बार पूरी तरह से इस्तेमाल के बाद इन पाउचों को मिट्टी में डाल दिया जाए तो यह पूरी तरह से मिट्टी में मिल जाता है।