Premchand Jayanti : प्रेमचंद का साहित्य कालजयी, इसे हर समय पढ़ा जाएगा, नव पल्लव साहित्यिक संस्था ने किया याद

Premchand Jayanti नव पल्लव साहित्यिक संस्था की ओर से प्रेमचंद जयंती मनायी गई। इस मौके पर संस्था की अध्यक्ष माधुरी मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य कालजयी है हर समय में पढा जाएगा। उनकी भाषा सहज सरल ग्राह्य थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 05:09 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 05:09 PM (IST)
Premchand Jayanti : प्रेमचंद का साहित्य कालजयी, इसे हर समय पढ़ा जाएगा, नव पल्लव साहित्यिक संस्था ने किया याद
प्रेमचंद हिन्दी उर्दू के महान लेखक थे, उनकी रचना आज भी प्रासंगिक है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। नव पल्लव साहित्यिक संस्था की ओर से प्रेमचंद जयंती मनायी गई। इस मौके पर संस्था की अध्यक्ष माधुरी मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य कालजयी है, हर समय में पढा जाएगा। उनकी भाषा सहज, सरल ग्राह्य थी। उनके साहित्य में आम आदमी की परेशानी थी, किसान की त्रासदी, शोषित, दलितों की पीड़ा सम्माहित है।

पुष्पा उपाध्याय ने कहा कि प्रेमचंद हिन्दी उर्दू के महान लेखक थे, उनकी रचना आज भी प्रासंगिक है। प्रेमलता ठाकुर ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद कथाकार, उपन्यासकार थे जो अपने समय से लेकर आज तक प्रासंगिक है। मीना सिन्हा ने प्रेमचंद को आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह महान कथाकार व उपन्यास का सम्राट बताया।  पुष्पांजलि मिश्रा ने कहा कि प्रेमचंद की आनंदी भी घर तोड़ना नहीं चाहती थी और आज की कामकाजी स्त्री भी घर तोड़ना नहीं चाहती है। बस जरूरत है कि घर के लोगों को एक-दूसरे को समझने का। निर्मला राव ने प्रेमचंद की दृष्टि में प्रतिष्ठित से प्रतिष्ठित व्यक्ति से लेकर छोटे छोटे आदमी पर थी। राय साहब से लेकर होरी, सिरिया, निर्मला, सुमन से भी था।

इन्होंने भी रखे विचार

नीता चौधरी ने कहा कि प्रेमचंद की  कथा कहानी, बंगला कथा शिल्पी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय से मिलती जुलती है। मुंशी प्रेमचंद बंगाल साहित्य से बहुत प्रभावित थे। वीणा पांडेय ने कलम के सिपाही माने जाने वाले मुंशी प्रेमचंद की सरल सहज एवं व्यवहारिक बताया। अनीता निधि ने कहा कि 1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक, सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर समाज सुधार आंदोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। वीणा कुमारी नंदनी ने कहा कि  प्रेमचंद की रचनाओं के किरदार ना कि अपनी तरफ खींचते हैं बल्कि हमें उस स्थिति में लाकर खड़ा कर देते हैं जो हू ब हू हमें उस हकीकत में लाकर खड़ा कर देते हैं। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. अनीता शर्मा ने किया।

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