POK सहित एक करोड़ रुपये में महाराजा गुलाब सिंह ने लिया था संपूर्ण जम्मू-कश्मीर, इसी आधार पर भारत जता रहा हक

भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने कहा कि पीओके तो पहले भारत का ही अंग था। सन 1846 में अंग्रेज और सिख युद्ध की समाप्ति हुई। अंग्रेजों को विजय मिली थी। उन्होंने पंजाब के सिख सत्ताधारियों से एक करोड़ रुपये की मांग की थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 01:11 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 01:11 PM (IST)
POK सहित एक करोड़ रुपये में महाराजा गुलाब सिंह ने लिया था संपूर्ण जम्मू-कश्मीर, इसी आधार पर भारत जता रहा हक
1915 के बाद महाराजा हरि सिंह ने गद्दी संभाली।

जमशेदपुर, जासं। एक बार फिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर या पीओके की चर्चा सुर्खियों में है। वहां पाकिस्तान द्वारा कराए जा रहे चुनाव का पीआेके के लोगों ने विरोध कर दिया है, तो भारत सरकार ने भी पाकिस्तान सरकार से पीओके छोड़ देने की बात कह दी है।  भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने कहा कि पीओके तो पहले भारत का ही अंग था। सन 1846 में अंग्रेज और सिख युद्ध की समाप्ति हुई। अंग्रेजों को विजय मिली थी।

उन्होंने पंजाब के सिख सत्ताधारियों से एक करोड़ रुपये की मांग की थी। महाराजा गुलाब सिंह एक करोड़ रुपये देने के लिए प्रस्तुत हुए। उनकी शर्त थी कि जम्मू और कश्मीर का भूभाग स्वतंत्र रूप से उनके अधीन रहे। अंग्रेजों ने शर्त स्वीकार की। वह संधिपत्र 16 मार्च 1846 को अमृतसर में संपन्न हुआ। इस प्रकार निकटस्थ काल में जम्मू और कश्मीर प्रांत का निर्माण हुआ। सन 1857 में गुलाब सिंह का देहांत हो गया। उनके पुत्र हरि सिंह ने गद्दी संभाली और 1885 तक गद्दी पर रहे। उनके पश्चात प्रताप सिंह 1915 तक राज करते रहे।

महाराजा हरि सिंह ने गद्दी संभाली

1915 के बाद महाराजा हरि सिंह ने गद्दी संभाली। यहां यह बताना आवश्यक है कि हरि सिंह के दादा का नाम भी हरि सिंह ही था। गुलाब सिंह के ही वंशज महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर का सन 1947 में भारत में विलय किया। इस प्रकार संपूर्ण कश्मीर भारत का है। पीओके पर भारत का स्वाभाविक अधिकार है। पोद्दार ने कहा कि नापाक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भी दोबारा भारत में मिलाना आवश्यक हो गया है। कहा कि हमने जो मांग रखी थी, वह अब पूरी होती दिखाई दे रही है। भारत ने अब दोटूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि पीओके समेत संपूर्ण जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान को चाहिए कि वह स्थान छोड़ दे। इससे भारतीय जन महासभा के सारे लोग हर्षित हैं।

पीओके की जनता ने नकार दिया चुनाव

अभी जो पाकिस्तान ने पीओके में चुनाव करवाने की बात की, तो पीओके की अवाम ने उस चुनाव को नकार दिया। पीओके की अवाम का कहना है कि हम पाकिस्तान के साथ नहीं, हम भारत के साथ रहेंगे। इस प्रकार पीओके की अवाम भी चाहती है कि वह फिर से भारत में मिल जाए। पीओके तो भारत का ही है। सही मायने में देखा जाए तो इसका विलय तो महाराजा हरि सिंह के समय में ही किया जा चुका है। हम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करते हैं कि अब और देर न की जाए। पीओके को शीघ्रातिशीघ्र हस्तगत करने की कार्रवाई करनी चाहिए। अगर इसको लेकर युद्ध की स्थिति बनती है तो संपूर्ण देश प्रधानमंत्री के साथ है।

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