पीएफ खाताधारकों को अब जीवन बीमा का मिलेगा सात लाख रुपये तक लाभ, एक रुपया भी नहीं कटेगा प्रीमियम, जानिए

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) अब अपने खाताधारकों को जीवन बीमा के मद में सात लाख रुपये तक लाभ देगा। पहले इसकी सीमा छह लाख रुपये थी। जीवन बीमा का दावा परिवार का वही सदस्य कर सकता है जिसका नाम खाताधारक ने नामिनी के रूप में दर्ज कराया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 04:13 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 09:06 PM (IST)
पीएफ खाताधारकों को अब जीवन बीमा का मिलेगा सात लाख रुपये तक लाभ, एक रुपया भी नहीं कटेगा प्रीमियम, जानिए
पीएफ खाताधारकों को विभाग की ओर से तीन तरह की सेवा-सुविधा मिलती है।

 जमशेदपुर, जासं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) अब अपने खाताधारकों को जीवन बीमा के मद में सात लाख रुपये तक लाभ देगा। पहले इसकी सीमा छह लाख रुपये थी। पीएफ खाताधारकों को विभाग की ओर से तीन तरह की सेवा-सुविधा मिलती है, जिसमें इपीएफ, इपीएस और इडीएलआई शामिल है।

जीवन बीमा का लाभ इडीएलआई से ही दिया जाता है, जिसका पूरा नाम इम्प्लाइज डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस है। इसके तहत यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा अवधि के दौरान हो जाती थी, तो नामिनी को पहले दो से छह लाख रुपये तक का भुगतान किया जाता था। अब इसे न्यूनतम 2.5 लाख और अधिकतम सात लाख रुपये मिलेगा। वहां इपीएफ में मूल वेतन व महंगाई भत्ता (डीए) का 12 फीसद जमा होता है। इस खाते में नियोक्ता भी इतनी ही राशि का योगदान देता है। वहीं इपीएस का लाभ उसी कर्मचारी को मिलता है, जिसकी नौकरी को 10 वर्ष पूरे हो गए हों और पीएफ राशि की कटौती व जमा नियमित रूप से हुई हो। इस खाते से भविष्य निधि संगठन उस कर्मचारी को पेंशन का भुगतान करता है।

कौन कर सकता दावा

जीवन बीमा का दावा परिवार का वही सदस्य कर सकता है, जिसका नाम खाताधारक ने नामिनी के रूप में दर्ज कराया है। यदि खाताधारक ने नामिनी में किसी का नाम नहीं लिखाया है या नामिनी की भी मृत्यु हो चुकी है तो विभाग में जाकर कानूनी औपचारिकता पूरी करने के बाद नामिनी बनना होगा। यह प्रक्रिया हर जगह अपनानी पड़ती है।

नॉमिनी को इस तरह मिलता है पैसा

खाताधारक की मौत होने के बाद उसके नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को इम्प्लाइज डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस का दावा करने के लिए फार्म भरने की जरूरत होती है। भरे हुए फॉर्म को भविष्य निधि कार्यालय में जमा करने से पहले नियोक्ता से उसे सत्यापित कराना जरूरी होता है। अगर नियोक्ता का हस्ताक्षर नहीं हो पाता है तो किसी राजपत्रित कर्मचारी के हस्ताक्षर के साथ इस फॉर्म को जमा किया जा सकता है।

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