भवन हो गए बहुत, डाक्टर-नर्स सीमित
दैनिक जागरण जमशेदपुर की स्थापना के 16 वर्ष पूरे हो गए हैं। इन 16 वर्षो में झारखंड के उतार-चढ़ाव को दैनिक जागरण ने नजदीक से देखा-महसूस किया। इस मौके पर हमने राज्य के विकास में बाधक 16 मूल बिंदुओं को निकाला, ताकि उस पर बहस हो।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : दैनिक जागरण जमशेदपुर की स्थापना के 16 वर्ष पूरे हो गए हैं। इन 16 वर्षो में झारखंड के उतार-चढ़ाव को दैनिक जागरण ने नजदीक से देखा-महसूस किया। इस मौके पर हमने राज्य के विकास में बाधक 16 मूल बिंदुओं को निकाला, ताकि उस पर बहस हो। हमारे पाठक भी इसे शिद्दत से महसूस कर रहे हैं और बिंदुवार प्रतिदिन हो रही बहस में हिस्सा ले रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार को डिमना रोड स्थित दैनिक जागरण के कार्यालय में 'प्राथमिक स्वास्थ्य' पर चर्चा हुई, जिसमें स्थानीय लोगों, भुक्तभोगियों के साथ शहर के वरिष्ठ चिकित्सक अपने विचार रखे।
सभी का कहना था कि राज्य सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए बेशुमार स्वास्थ्य केंद्र बना दिए, लेकिन डॉक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ की संख्या नहीं बढ़ाई। इसकी वजह से कई केंद्र बेकार पड़े हुए हैं। कई भवन जर्जर हो गए हैं। ढांचा बनने के बावजूद वहां के लोग इलाज के लिए शहर के बड़े अस्पतालों में आ रहे हैं। आयुष्मान कार्ड से इलाज हो रहा है, लेकिन कुछ अस्पताल इसमें टालमटोल कर रहे हैं। सभी का यही मानना था कि डाक्टर-नर्स की पर्याप्त संख्या में बहाली के बिना स्वास्थ्य सुविधा पटरी पर नहीं आ सकती।
----------
हर जगह डाक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ की कमी है। पुराने ढांचों को दुरुस्त किए बिना नए-नए केंद्र खोल दिए गए। कुछ केंद्र ऐसे स्थान पर हैं, जहां स्टाफ नहीं रह सकते। ऐसे में बेहतर इलाज कैसे संभव है।
- डॉ. एके लाल
----------
जमीनी स्तर पर काम नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य मौलिक अधिकार है, लेकिन इसे नीति नियंता गंभीरता से नहीं लेते, ऐसा लगता है। दो तरह की व्यवस्था है, एक बहुत अच्छी तो दूसरी बहुत खराब।
- इश्तियाक अहमद जौहर
--------
एक डाक्टर और नर्स पूरे दिन कोई स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी-सीएचसी) कैसे चला सकता है, लेकिन उम्मीद यही की जाती है। जिले में रिक्त पदों की तुलना में 20 फीसद डाक्टर-नर्स हैं, तो स्वास्थ्य सुविधा बेहतर कैसे होगी।
- डॉ. मृत्युंजय सिंह, सचिव, आइएमए जमशेदपुर
----------
आजादी के 70 साल बाद भी हम स्वास्थ्य सुविधा की चिंता कर रहे हैं, इससे दुखद बात कुछ हो ही नहीं सकती। यह मौलिक अधिकार है, लेकिन सरकार सभी को यह सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इसके लिए हम भी जिम्मेदार हैं।
- चंदन
-------------
चिकित्सा पर सरकार का ध्यान नहीं है। सरकार को इस पर पूरी तरह नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि निजी अस्पताल व नर्सिग होम इलाज के नाम पर लूट रहे हैं।
- राकेश चौरसिया
--------
डाक्टर कम और रोगी ज्यादा हैं, तो इलाज बेहतर कैसे होगा। सरकार को डाक्टर और पारा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए।
- जसप्रीत सिंह
--------
एमजीएम में काफी गंदगी है, जिससे मरीज को इंफेक्शन होने का डर रहता है। मेटरनिटी वार्ड का तो बहुत ही बुरा हाल है। वहां सफाई पर ध्यान देना चाहिए।
- परविंदर सिंह
---------
अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डाक्टरों की संख्या बहुत ही कम है। रोगी के परिजन भी डाक्टरों पर बहुत ज्यादा दबाव डालते हैं, जिससे कभी-कभी स्थिति बिगड़ जाती है।
- करण ओझा
---------
सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर और संसाधन नहीं हैं, जिसका नाजायज फायदा निजी अस्पताल-नर्सिग होम उठाते हैं। गर्भवती महिलाओं व उनके परिजनों को डराकर आपरेशन पर जोर देते हैं।
- गंगाधर पांडेय
----------
डाक्टरों की कमी के बावजूद सदर अस्पताल की स्थिति अच्छी है, जबकि एमजीएम अस्पताल की खराब। एमजीएम में सफाई क्यों नहीं रहती।
- घनश्याम ओझा
-----------
सरकारी अस्पताल में भी डाक्टर कुछ मरीजों को बरगलाकर पैसा ऐंठने की कोशिश करते हैं। यह भयावह स्थिति है। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
- चंद्रप्रकाश शुक्ला
------------
गांव में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर हुई है। एएनएम और स्वास्थ्य सहिया की वजह से छोटी-मोटी बीमारियों और डिलीवरी आसान हुई है। अस्पताल में सुविधा सुधारनी होगी।
- काकुली महतो
----------
एमजीएम अस्पताल में कई कीमती मशीनें सड़ रही हैं, क्योंकि उसे चलाने वाला कोई नहीं है। ऐसा लगता है कि बजट देते समय इसका ध्यान रखा ही नहीं जाता कि इन मशीनों का उपयोग कैसे होगा।
- नारायण चंद्र महतो
-----------
संसाधन बढ़े हैं, तो लोगों की अपेक्षा भी बढ़ी है। ढांचे बन गए हैं, लेकिन डाक्टर-नर्स नहीं हैं। इससे मौजूद डाक्टरों पर लोड बढ़ गया है। सरकार की मंशा में कमी नहीं है, लेकिन मैनपावर की कमी से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा। - डॉ. आरएल अग्रवाल
---------
बिल्डिंग तो बहुत बन गए, लेकिन कई स्वास्थ्य केंद्र स्टाफ की कमी से नहीं चल पा रहे हैं। डाक्टरों की रिक्ति निकलती है, तो बहुत कम आवेदन आते हैं। इसकी कई वजह है। - डॉ. साहिर पाल
----------
जितना संसाधन सरकार ने उपलब्ध कराया है, वह पर्याप्त नहीं है। सरकारी अस्पताल में कर्मचारियों की मानसिकता भी ठीक नहीं रहती। मुफ्त की सुविधा के लिए भी पैसे मांगते हैं। - रायना पूर्ति
---------
जिले में एमजीएम अस्पताल की स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन सदर अस्पताल अच्छा है। यदि यहां आइसीयू बन जाए तो वहां के लोगों का कल्याण हो जाएगा। - भरत सिंह
--------
इन्होंने भी लिया भाग : दशरथ दुबे, गणपति करुवा व रवि करुवा।