Jamshedpur News : अभिभावक संघ ने मानगो के साउथ प्वाइंट स्कूल के खिलाफ जिला शिक्षा अधीक्षक से की शिकायत, आरक्षित बच्चों की रोकी रिपोर्ट कार्ड

मानगो स्थित साउथ प्वाइंट स्कूल द्वारा आरक्षित बच्चों से परीक्षा शुल्क मांगने और पैसे नहीं देने पर उनकी वार्षिक रिपोर्ट कार्ड नहीं देने का मामला तूल पकड़ रहा है। इस संबंध में जमशेदपुर अभिभावक संघ का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जिला शिक्षा अधीक्षक से मिला।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 05:47 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 05:47 PM (IST)
Jamshedpur News : अभिभावक संघ ने मानगो के साउथ प्वाइंट स्कूल के खिलाफ जिला शिक्षा अधीक्षक से की शिकायत, आरक्षित बच्चों की रोकी रिपोर्ट कार्ड
जमशेदपुर अभिभावक संघ का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जिला शिक्षा अधीक्षक से मिला।

जमशेदपुर, जासं। मानगो स्थित साउथ प्वाइंट स्कूल द्वारा आरक्षित बच्चों से परीक्षा शुल्क मांगने और पैसे नहीं देने पर उनकी वार्षिक रिपोर्ट कार्ड नहीं देने का मामला तूल पकड़ रहा है। इस संबंध में जमशेदपुर अभिभावक संघ का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जिला शिक्षा अधीक्षक से मिला।

शिक्षा अधीक्षक को ज्ञापन सौंपते हुए संघ के अध्यक्ष डा. उमेश कुमार ने बताया कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 की धारा 13-2 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक कोई विद्यालय या व्यक्ति प्रति व्यक्ति फीस प्राप्त करता है, तो उस पर दस गुना तक जुर्माना का भागी होगा। यह दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद मानगो स्थित साउथ प्वाइंट एकेडमी स्कूल द्वारा आरटीई अधिनियम के तहत आरक्षित सीटों पर नामांकन प्राप्त अलग-अलग कक्षाओं में अध्ययनरत कमजोर वर्ग के करीब 12 बच्चों से परीक्षा शुल्क के रूप में 600 रुपये की मांग की गई है। स्कूल प्रबंधन ने कहा है कि यदि बच्चे यह पैसे नहीं देते हैं तो स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों का रिपोर्ट कार्ड बच्चों को नहीं दिया जाएगा।

आरटीई अधिनियम-2009 के तहत कार्रवाई की मांग

जमशेदपुर अभिभावक संघ ने जिला शिक्षा अधीक्षक से मांग की है कि साउथ प्वाइंट एकेडमी स्कूल, मानगो के खिलाफ आरटीई अधिनियम-2009 के तहत कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही जो आरक्षित बच्चे भय की वजह से परीक्षा फीस दे चुके हैं, उनकी राशि स्कूल प्रबंधन लौटाए। सभी बच्चों का वार्षिक रिपोर्ट कार्ड अविलंब स्कूल प्रबंधन से दिलाया जाए। डा. उमेश ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाएगा, तो संभव है कि शहर या जिले के अन्य स्कूल प्रबंधन ऐसा कर सकते हैं। इससे आरक्षित गरीब बच्चों के अभिभावक नए आर्थिक व मानसिक संकट से घिर जाएंगे।

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