अर्का जैन विश्वविद्यालय में शोधार्थियों का हुआ ओरिएंटेशन, मुख्य अतिथि ने कहा- शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है

अर्का जैन विश्वविद्यालय के 2020 सत्र के पीएचडी शोधार्थियों का ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के सभी नव-पंजीकृत शोधार्थियों को मुख्य अतिथि के रूप में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कोलकाता के पूर्व निदेशक प्रो (डा.) रंजन घोष ने संबोधित किया।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 03:14 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 03:14 PM (IST)
अर्का जैन विश्वविद्यालय में शोधार्थियों का हुआ ओरिएंटेशन, मुख्य अतिथि ने कहा- शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है
अर्का जैन विश्वविद्यालय द्वारा शोधार्थियों के लिए आयोजित इंडक्शन मीट में शामिल विद्यार्थी

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अर्का जैन विश्वविद्यालय के 2020 सत्र के पीएचडी शोधार्थियों का ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के सभी नव-पंजीकृत शोधार्थियों को मुख्य अतिथि के रूप में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, कोलकाता के पूर्व निदेशक प्रो (डा.) रंजन घोष ने संबोधित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो (डा.) एसएस रज़ी, निदेशक अमित श्रीवास्तव व डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डा. अंगद तिवारी और स्कूल ऑफ कॉमर्स और मैनेजमेंट के डीन डा. अरुणाभ नारायण मुखर्जी ने भी शोधार्थियों को संबोधित किया। यह ओरिएंटेशन कॉमर्स, मैनेजमेंट, इंग्लिश, अर्थशास्त्र व पत्रकारिता के शोधार्थियों के लिए था।

इससे पहले रिसर्च सेल के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर डा. सोनिया रियात ने सभी का औपचारिक स्वागत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का शोध प्रकोष्ठ अच्छे शोधों के साथ व्यक्तित्व के बौद्धिक विकास के लिए भी कृतसंकल्प है। मुख्य अतिथि डा. रंजन घोष ने शोध की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है तथा ज्ञान भंडार को विकसित एवं परिमार्जित करता है।। उन्होंने यह भी कहा कि शोध पूर्वाग्रहों के निदान और निवारण में सहायक है। शोध अनेक नवीन कार्यविधियों व उत्पादों को विकसित करता है। उन्होंने शोधार्थियों को मनोयोग के साथ शोधकार्य करने की अपील की। उन्होंने नए शोधार्थियों को बधाई देते हुए आशा की कि उनके शोध पूर्वाग्रहों के निदान और निवारण में सहायक सिद्ध होंगे। कुलपति प्रो एसएस रज़ी ने कहा कि शोध ज्ञान का फव्वारा है और ऐसे में शोधार्थियों को ईमानदारी बरतनी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय में शोधोपयोगी स्टडी मटेरियल एवं इनफ्लिबनेट की सुविधा रहने की बात कही। निदेशक अमित श्रीवास्तव ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन शोधार्थियों का हर संभव सहयोग करने के लिए कटिबद्ध है और उन्होंने रचनात्मक विकास के लिए शोधार्थियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। डा. अंगद तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है और इसीलिए शोधार्थियों को सही दृष्टि रखनी चाहिए ताकि सूक्ष्म अध्ययन किया जा सके। डा. अरुणाभ नारायण मुखर्जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि शोध कठिन परिश्रम और लगन मांगता है ताकि अभिष्ट परिणाम प्राप्त किया जा सके। उन्होंने शोधार्थियों को अपने क्षेत्र के अद्यतन प्रगति पर नज़र रखने की सलाह दी।

नव-पंजीकृत शोधार्थियों के बीच विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में चल रहे शोध कार्यों की जानकारी चंचल मंडल व कृतिका ने साझा किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक समेत सभी शोध निर्देशक, संकायाध्यक्ष व प्राध्यापक सम्मिलित थे। संचालन का दायित्व विश्वविद्यालय में शोधरत शोधार्थी पूजा कुमारी और पायल सिंह ने किया। विश्वविद्यालय के शोध निर्देशकों की विस्तृत जानकारी अभिषेक उपाध्याय व विशाखा जोसफ ने साझा किया।

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