शिवराज्याभिषेक दिन, हिंदू राष्ट्र संकल्प-दिन विषय पर हुआ ऑनलाइन विशेष संवाद, जमशेदपुर के लोग भी हुए शामिल

हिंदू जनजागृति समिति ने शिव राज्याभिषेक दिन हिंदू राष्ट्र संकल्प-दिन पर ऑनलाइन विशेष संवाद किया जिसमें जमशेदपुर से भी समिति के सदस्य शामिल हुए। जमशेदपुर के सुदामा शर्मा ने बताया कि इसमें जो संवाद हुआ वह इस प्रकार था।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 08:26 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 08:26 AM (IST)
शिवराज्याभिषेक दिन, हिंदू राष्ट्र संकल्प-दिन विषय पर हुआ ऑनलाइन विशेष संवाद, जमशेदपुर के लोग भी हुए शामिल
हिंदू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ऑनलाइन संवाद में शामिल सदस्य।

जमशेदपुर, जासं। हिंदू जनजागृति समिति ने शिव राज्याभिषेक दिन : हिंदू राष्ट्र संकल्प-दिन पर ऑनलाइन विशेष संवाद किया, जिसमें जमशेदपुर से भी समिति के सदस्य शामिल हुए। जमशेदपुर के सुदामा शर्मा ने बताया कि इसमें जो संवाद हुआ, वह इस प्रकार था। ‘सुदर्शन न्यूज’ के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाण ने बताया कि आज महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के अन्य किसी भी राज्य में छत्रपति शिवाजी महाराज का पूरा इतिहास नहीं पढाया जाता। राष्ट्र्रीय स्तर पर केंद्र शासन की ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण संस्था’ अर्थात एनसीईआरटी आधे पृष्ठ से अधिक इतिहास सिखाने के लिए तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण गुजरात में तथा येडीयुरप्पा के कारण कर्नाटक राज्य में इतिहास थोड़ा पढाया गया, परंतु देश से छत्रपति शिवाजी महाराज के विचार समाप्त करने का षडयंत्र चल रहा है। देश की शासन व्यवस्था छत्रपति शिवाजी महाराज आदर्श हिंदू राजा थे, यह देश के युवाओं को सिखाना नहीं चाहती। आज देश में वैसी ही स्थिति है, जैसी छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की शपथ लेने के पूर्व थी। केवल शिवराज्याभिषेक दिन के निमित्त हिंदू राष्ट्र दिन मनाने से कोई लाभ नहीं होगा। काशी-मथुरा मुक्त करने का छत्रपति शिवाजी महाराज का संकल्प था। छत्रपति शिवाजी महाराज के विचार आचरण में लाने होंगे, तो इस देश को हिंदू राष्ट्र बनाना ही एकमात्र पर्याय है।

छत्रपति शिवाजी के राज्य की राजभाषा थी संस्कृत

संवाद को संबोधित करते हुए सनातन संस्था के राष्ट्र्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस ने कहा कि ‘छत्रपति शिवाजी महाराज ने पांच इस्लामी आक्रमणकारियों को पराजित करने के लिए हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। उन्होंने राज्याभिषेक कर भाषा पुनर्जीवित की। अपना राज्य व्यवहार संस्कृत भाषा में किया। राज्य संस्थापना को उन्होंने धर्म संस्थापना का स्वरूप दिया। इसके विपरीत ऐसा कहना होगा कि 1947 में हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई, परंतु राज्य संस्थापना नहीं हुई। क्योंकि ब्रिटिशों द्वारा क्रांतिकारियों का शोषण करने के लिए बनाया गया 1860 का ‘इंडियन पीनल कोड’ अभी भी लागू है। भारत पर सदैव के लिए राज्य करने के लिए बनाया गया ‘इंडियन गवर्मेंट एक्ट 1935’ को संविधान की प्रस्तावना में अंर्तभूत किया गया है। गुरुकुल परंपरा को बंद करने के लिए कानून बनाकर आरंभ की गई। मेकॉले शिक्षापद्धति अभी भी चालू है। अरबी-अंग्रेजी आक्रमणकर्ताआें द्वारा हमारे मार्ग-भवनों को दिए नाम हमने अभी तक परिवर्तित नहीं किए हैं। इस समय विश्‍व हिंदू परिषद के पश्‍चिम महाराष्ट्र प्रांत कार्यकारी सदस्य विवेक सिन्नरकर ने कहा कि 450 वर्ष पूर्व छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य स्थापित करने के लिए किसी से अनुमति नहीं मांगी। औरंगजेब, आदिलशाह, कुतुबशाह इत्यादि मुगल राजाओं की अनुमति नहीं मांगी थी। मुट्ठी भर सैनिकों को (मावळों को) एकत्रित कर शपथ ली। तदुपरांत अपनी सेना, शस्त्रागार, कवच, हिंदुओं के ध्वस्त मंदिर और हिंदवी स्वराज निर्माण किया। उनका आदर्श हिंदुओं को अपने मन में रखना चाहिए। आज भी हम एक ध्येय से संगठित हों, तो इस देश को हिंदू राष्ट्र घोषित कर सकते हैं। यह करने से हमें कोई भी नहीं रोक सकता।

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