Jharkhand Assembly Election 2019 : जिस पर बरसे मधु की माया, उसी के सर ताज

कांग्रेस और भाजपा में मुकाबले की संभावना लड़ाई त्रिकोणीय बनाने में जुटा जेवीएम पानी स्वास्थ्य जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे लोग लेकिन चुनावी मुद्दा नहीं।

By Vikas SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 11:24 PM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2019 09:19 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 :  जिस पर बरसे मधु की माया, उसी के सर ताज
Jharkhand Assembly Election 2019 : जिस पर बरसे मधु की माया, उसी के सर ताज

जगन्नाथपुर (एम. अखलाक)। थोड़ा लीक से हटकर है पश्चिम सिंहभूम की जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र। अन्य क्षेत्रों की तरह यहां पार्टियों की नहीं, बल्कि मधु कोड़ा की चलती है। हां, निर्दलीय विधायक रहते मुख्यमंत्री बनकर देशभर में सुर्खियां बटोरने वाले मधु कोड़ा की।

ओड़िशा से सटे खनिज संपदा वाले इस क्षेत्र की पूरी सियासत उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है। पार्टियां तो यहां महज प्रतीक हैं। लोकतंत्र के मंदिर में जाने का रास्ता मधु कोड़ा के घर से होकर ही गुजरता है। विधायकी छोड़ कर पत्नी गीता कोड़ा के सांसद बन जाने के बाद इसबार खुद मधु कोड़ा कांग्रेस से मैदान में उतरकर पुरानी विरासत संभालने की तैयारी कर रहे थे। अंतिम समय तक कोशिश करते रहे, लेकिन वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव का हिसाब नहीं देने के कारण अदालत ने उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया।

धर्म संकट में फंसी कांग्रेस ने नामांकन खत्म होने के एक रोज पहले देर रात प्रत्याशी मैदान में उतारा। नाम है- सोनाराम सिंकु। वोटर कहते हैं कि मधु कोड़ा की पसंद हैं। भाजपा ने भी काफी मशक्कत के बाद पेशे से प्रोफेसर रहे यहीं के सुधीर सुंडी को प्रत्याशी बनाया है। ये भी किसी जमाने में मधु कोड़ा के ही खास हुआ करते थे। इन नए चेहरों के बाद वोटर थोड़ा असमंजस में थे। मधु कोड़ा की भूमिका का इंतजार कर रहे थे। सोमवार को यह भ्रम भी तब टूटता नजर आया, जब सोनाराम सिंकु के नामांकन का नेतृत्व करते खुद कोड़ा दंपती दिखाई दिए। यहां मैदान में डटे जेवीएम के प्रत्याशी मंगल सिंह बोंबोंगा अपने पूर्व विधायकी का हवाला देकर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। मतदान से पहले वह कितना माहौल बदल पाते हैं, यह तो समय ही बताएगा। 

खैर, चाईबासा सिंहपोखरिया के रास्ते मोंगरा पुल पार करते ही जगन्नाथपुर क्षेत्र शुरू हो जाता है। बाजार में पहुंचकर किसी भी चाय-पान की दुकान पर बस कान टेक दीजिए। चुनावी तासीर साफ समझ में आने लगेगी। पार्टी फैक्टर दिखेगा न प्रत्याशी, बस मधु कोड़ा फैक्टर ही नजर आएगा। सड़क किनारे खिलौना बेच रहे जमील अख्तर और उनकी दुकान पर खड़े सुरेश वर्मा से पूछा- इहां लड़ाई किसके बीच है? जवाब मिला- कांग्रेस और भाजपा में होगी। मैंने फिर पूछा- जीतेगा कौन? जवाब मिला- जिसको मधु कोड़ा चाहेंगे। तभी पड़ोस की दुकान पर खड़े एक सज्जन टपक पड़े- देखिए, दोनों उनके खास रहे हैं? लेकिन जिस प्रत्याशी के बैनर पोस्टर पर मधु कोड़ा और गीता कोड़ा की तस्वीर होगी, गांव-शहर का वोट उसी को जा सकता है। मैंने पूछा- उन पर भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं? जमील अख्तर ने सफाई देते हुए कहा- गांव के लोगों को थोड़े पता है कि उन्होंने क्या किया है। कुछ भी हो इलाके में उन्होंने काम किया है।

सहज भी हैं। सबको नाम से जानते हैं। यही कारण है कि पार्टी कोई भी हो यहां वोट उनके नाम पर पड़ता है। बाजार में ही एक कपड़े की दुकान पर सोहनलाल पूरती रहस्य बताने लगे- देखिए, कोड़ा जी पर तीन साल का प्रतिबंध लगा है, डेढ़ साल पूरा हो गया है। इसलिए अपने आदमी को मैदान में उतारे हैं, ताकि डेढ़ साल बाद इस्तीफा दिलाकर खुद चुनाव लड़ सकें। इस रहस्य पर दुकानदार ने पुष्टि की मुहर लगाई। मैंने पूछा आपका नाम? कहा- रहने दीजिए।

थोड़ी दूर आगे बढ़ने के बाद निर्माणाधीन जलमीनार दिखी। मैंने गुड्डु गोराई से पूछा- कब से बन रही है? जवाब मिला- पांच साल से। काम बंद था, लेकिन चुनाव के मद्देनजर फिर काम शुरू हो गया है। कब बनकर तैयार होगी पता नहीं। गुड्डु गोराई मानते हैं कि यहां लड़ाई कांग्रेस और जेवीएम के बीच हो सकती है। उनकी नजर में भाजपा ने प्रत्याशी देने में चूक कर दी है। चेहरा नया है। लोग ठीक से जानते तक नहीं। जेवीएम के प्रत्याशी विधायक रहे चुके हैं। सो अंत तक लड़ाई में भी आ सकते हैं। पास खड़े बसंत सिंह भी यही मानते हैं। लेकिन दावा करते हैं कि कांग्रेस ही यहां कामयाब हो होगी। वजह पूछने पर कहते हैं- मधु कोड़ा पार्टी प्रत्याशी के साथ हैं। उनकी पत्नी भी कांग्रेस से सांसद हैं। इस क्षेत्र में खनन कंपनियों के बंद होने से नाराज संतोष नागमुंडा कहते हैं कि लड़ाई तो कांग्रेस और भाजपा के बीच होती, लेकिन भाजपा ने कोई पापुलर चेहरा नहीं उतारा। इसका लाभ जेवीएम उठाने की कोशिश करेगा।

इसी बीच अब्दुल समद कहने लगे कि आखिर तक लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगी। इसबार राम मंदिर मुद्दे का लाभ भाजपा को मिलेगा। इनकी बात काटते हुए संग्राम सिंह बोले- यह ठीक है कि लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगी, लेकिन यहां मंदिर मुद्दा नहीं है। जगन्नाथपुर में अनुमंडल अस्पताल बाहर से इतना खूबसूरत दिखता है और डाक्टर का पता ही नहीं। इलाज के लिए ओडिशा जाना पड़ता है। इश्तियाक आलम बात आगे बढ़ाते हुए कहने लगे कि सिर में हल्की चोट लग जाए तो डाक्टर चाईबासा या ओडिशा रेफर कर देते हैं। जगन्नाथपुर बाजार में तरह-तरह के विचार सुनने के बाद देव गांव पहुंचे तो वैतरणी नदी घाट पर स्नान कर रहे पदमपुर गांव के लक्की कुमार मिल गए।

पूछा- भाई, गांव में किसकी लहर है? बोले- पिछले चुनाव में गीता कोड़ा को सबने वोट दिया था, इसबार भी उन्हीं को देंगे। खैर, मैं नदी में स्नान के लिए उतर आया। जेहन में चुनावी तस्वीर साफ हो चुकी थी। यह बात समझ में आ गई थी कि जो वोटरों को मधु कोड़ा की माया से मुक्त कराएगा, सेहरा उसी के सिर सजेगा। हां, यह बात सौ फीसद सही है कि यहां राजनीति के केंद्र बिन्दु मधु कोड़ा ही हैं।

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