Shardiya Navratri : महासप्तमी के दिन ही देवताओं ने असुरों के संहार के लिए मां दुर्गा को प्रदान किए थे अस्त्र-शस्त्र

Shardiya Navratri.नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा - अर्चना की जाती है। इसमें महासप्तमी का सबसे बड़ा ही महत्व माना गया है। पंडित रामकृष्ण झा कहते हैं कि महासप्तमी के दिन ही देवताओं ने असुरों के संहार के लिए माता को 9 अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 07:25 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 01:32 PM (IST)
Shardiya Navratri : महासप्तमी के दिन ही देवताओं ने असुरों के संहार के लिए मां दुर्गा को प्रदान किए थे अस्त्र-शस्त्र
जमशेदपुर के काशीडीह पूजा पंडाल में स्‍थापित मां दुर्गा की प्रतिमा। जागरण

जमशेदपुर, जासं। शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू हो चुका है। नवरात्र में मां दुर्गा के  नौ स्वरूपों की विशेष पूजा - अर्चना की जाती है। इसमें महासप्तमी का सबसे बड़ा ही महत्व माना गया है। पंडित रामकृष्ण झा कहते हैं कि आज यानि महासप्तमी के दिन ही देवताओं ने असुरों के संहार के लिए माता को 9 अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे।

 पंडित रामकृष्ण झा कहते हैं कि नौ दिनों के बाद विजयदशमी से एक दिन पूर्व शारदीय नवरात्र संपन्न होता है, जिसमें मां दुर्गा के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री रूपों का पूजन और अर्चन किया जाता है।  वैसे तो हर दिन का बड़ा ही महत्व है, लेकिन महासप्तमी के दिन ही देवताओं ने देवी को अपने हथियार प्रदान किए थे ताकि वह असुरों के साथ होने वाले युद्ध में जीत हासिल कर सकें। मां दुर्गा के हाथों में नौ अस्त्र-शस्त्र हैं। 

मां दुर्गा द्वारा धारण किए जाने वाले अस्त्र-शस्त्र 

मानगो के गांधी मैदान में महासप्तमी की पूजा करते  पुजारी एवं समिति के सदस्‍य। 

 त्रिशूल- भगवान शंकर ने असुरों से युद्ध के लिए अपने शूल से त्रिशूल निकालकर मां दुर्गा को भेंट किया था। इससे देवी को महिषासुर समेत असुरों का वध करने में मदद मिली थी। 

 चक्र - भगवान विष्णु ने भक्तों की रक्षा करने के लिए मां दुर्गा चक्र अर्पण किया था। यह चक्र उन्होंने खुद अपने चक्र से उत्पन्न किया था। 

 शंख - वरुण देवता ने माता को शंख भेंट किया था। इस शंख की ध्वनि जब गूंजती थी तब धरती, आकाश और पाताल से दैत्यों की सेना भाग खड़ी होती थी। 

वज्र - देवराज इंद्र ने अपने वज्र से दूसरा वज्र उत्पन्न कर माता को भेंट किया था। वज्र के प्रहार से असुरों की सेना युद्ध के मैदान से भाग खड़ी हुई थी। 

 दंड - यमराज ने माता को दंड भेंट किया था। देवी ने युद्ध भूमि में दैत्यों को दंड पाश से बांधकर धरती पर घसीटा था। 

 धनुष-बाण - पवन देव ने देवी को धनुष और बाणों से भरा तरकश प्रदान किया था। मां ने धनुष और बाणों के प्रहार से असुरों की सेना को मार डाला था। 

 तलवार : यमराज ने देवी को तलवार और ढाल भेंट की थी। देवी ने असुरों की गर्दन तलवार से ही काटी थी। 

 घंटा : देवराज इंद्र ने ऐरावत हाथी के गले से एक घंटा उतारकर माता को भेंट किया था। युद्ध के मैदान में असुर घंटे की भयंकर ध्वनि से मूर्छित हो गए थे और फिर उनका संहार हुआ था। 

 फरसा : भगवान विश्वकर्मा ने देवी को फरसा प्रदान किया था। चंड-मुंड नामक राक्षस का सर्वनाश करने वाली देवी ने काली का रूप धारण कर हाथों में तलवार और फरसा लेकर असुरों से युद्ध किया था।

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