International Mother Language Day : ओडिशा सरकार देती झारखंड के शिक्षकों को वेतन, कोल्हान के 105 स्कूलों में ओड़िया भाषा की पढ़ाई

International Mother Language Day 2021. यहां सिर्फ भाषा ज्ञान दिया जाता है। शिक्षक भी स्वैच्छिक सेवा देते हैं। ओडिशा सरकार इन शिक्षकों के बैंक खाते में सालाना पांच हजार रुपये के हिसाब से मानदेय भेज देती है। कोल्हान में 115 स्कूल चल रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 09:38 AM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 06:03 PM (IST)
International Mother Language Day : ओडिशा सरकार देती झारखंड के शिक्षकों को वेतन, कोल्हान के 105 स्कूलों में ओड़िया भाषा की पढ़ाई
ओडिशा सरकार के सौजन्य से देश के हर राज्य में ओड़िया स्कूल चल रहे हैं।

जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा।   International Mother Language Day 2021 इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जिस राज्य में कभी ओड़िया-बांग्ला के सैकड़ों सरकारी स्कूल थे, आज नहीं हैं। इसकी वजह से विकल्प के अभाव में ओड़िया-बांग्ला के छात्र अपनी भाषा भूलते जा रहे हैं। भाषा ज्ञान नहीं होने से अपनी सभ्यता-संस्कृति से भी दूर हो रहे हैं।

इसे देखते हुए उत्कल सम्मेलनी नामक राष्ट्रीय स्तर की संस्था झारखंड में ओड़िया भाषा के स्कूल चला रही है। कोल्हान में करीब 100 स्कूल हैं, जहां ओड़िया भाषा-भाषी भाषा ज्ञान हासिल कर रहे हैं। इन स्कूलों में जो शिक्षक हैं, उनका मानदेय और पाठ्य पुस्तक भी ओडिशा सरकार का शिक्षा विभाग उपलब्ध कराता है।

ओड़िया व बांग्ला काे द्वितीय राजभाषा का दर्जा

संस्था के कोल्हान अध्यक्ष अधिवक्ता रवींद्रनाथ सत्पथी बताते हैं कि देश में शायद ही कोई ऐसी सरकार हो, जो इस तरह अपनी मातृभाषा के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रही हो। उन्होंने बताया कि जब तक बिहार का विभाजन नहीं हुआ था, यहां ओड़िया-बांग्ला के स्कूल थे। मैट्रिक स्तर तक तो पढ़ाई होती ही थी, उच्च शिक्षा भी मिलती थी। लेकिन झारखंड गठन के बाद यह बंद हो गया। जब समाज की बैठकों में यह मुद्दा उठने लगा तो उत्कल सम्मेलनी ने पहल की। आज पूर्वी सिंहभूम में 55, पश्चिमी सिंहभूम में 40 और सरायकेला-खरसावां जिले में करीब 20 स्कूल चल रहे हैं। यहां सिर्फ भाषा ज्ञान दिया जाता है। शिक्षक भी स्वैच्छिक सेवा देते हैं। ओडिशा सरकार इन शिक्षकों के बैंक खाते में सालाना पांच हजार रुपये के हिसाब से मानदेय भेज देती है। सम्मेलनी का काम ओडिशा सरकार और स्कूल के संचालन में समन्वय स्थापित करना है। यह उस राज्य में एक संस्था को करना पड़ रहा है, जहां ओड़िया व बांग्ला काे द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिल चुका है।

हर राज्य में चल रहे ओड़िया स्कूल

ओडिशा सरकार के सौजन्य से देश के हर राज्य में ओड़िया स्कूल चल रहे हैं। संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रवींद्रनाथ सत्पथी बताते हैं कि इस तरह से ओड़िया स्कूल सिर्फ झारखंड ही नहीं, देश के हर राज्य में चल रहे हैं। ओडिशा सरकार हर जगह इसी तरह मदद करती है। शायद ही कोई ऐसा राज्य हो, जहां ओड़िया भाषा का स्कूल नहीं हो। इसमें अधिक उम्र के लोग भी ओड़िया लिखना-पढ़ना सीखते हैं। इन स्कूलों में ओड़िया के अखबार व पत्र-पत्रिकाएं भी मंगाई जाती हैं, ताकि पढ़ने वाले की भाषा के प्रति रुचि बनी रहे।

कोल्हान को ओडिशा में शामिल कराने के लिए हुआ था आंदोलन

रवींद्रनाथ सत्पथी बताते हैं कि एक अप्रैल 1936 को जब ओडिशा राज्य का गठन हुआ था, तो कोल्हान को ओडिशा में शामिल करने और बिहार से अलग रखने के लिए आंदोलन हुआ था। सरायकेला में तो लंबे समय तक आंदोलन चला। उत्कल सम्मेलनी नामक इस संस्था का गठन भी उसी वक्त हुआ था। यह संस्था ओड़िया भाषा के अलावा संस्कृति व सभ्यता को संरक्षित करने के लिए निरंतर सक्रिय रहती है।

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