सारंडा में अब तकनीक के सहारे इंसान और हाथियों का टकराव को रोकने की पहल

conflict between humans and elephants हाथी प्रभावित इलाका सारंडा वन प्रमंडल के जंगल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक के इस्तेमाल में पहले फेज में 47 लाख रुपये खर्च होंगे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 01:10 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 01:10 PM (IST)
सारंडा में अब तकनीक के सहारे इंसान और हाथियों का टकराव को रोकने की पहल
हाथियों का झुंड अगर जंगल से गांव की ओर प्रस्थान कर भी गया तो जंबो हूटर बज जाएगा।

जागरण संवाददाता, चाईबासा । विश्व प्रसिद्ध सारंडा में हाथी-मानव द्वंद को रोकने एवं हाथियों के द्वारा पहुंचाए जाने वाले क्षति पर बहुत हद तक रोक लगाई जा सकेगी। हाथियों का झुंड अगर जंगल से गांव की ओर प्रस्थान कर भी गया तो जंबो हूटर बज जाएगा। इससे गांव के लोग अलर्ट हो जाएंगे। इसके अलावा इंफ्रारेड से जुड़े खास इंस्ट्रूमेंट हाथी प्रभावित इलाके में लगाए लगाएंगे। इसके ज़रिये हाथियों को गांव में जाने से रोका जाएगा।

खास बात यह है कि हाथी प्रभावित इलाका सारंडा वन प्रमंडल के जंगल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक के इस्तेमाल में पहले फेज में 47 लाख रुपये खर्च होंगे। वन विभाग के अनुसार एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम को चालू करने के लिए कोशिश काफी दिनों से चल रही थी। इससे हाथियों की आने की सूचना मिलेगी और वन विभाग हाथियों पर निगरानी रख पाएगा।  पहले फेज में गुवा वन प्रक्षेत्र के नुइया गांव में 6 पैसिव एनाइडर्स और ससंगदा वन प्रक्षेत्र में 2 एक्टिव एनाइडर्स लगाए गए हैं।

रिसर्च के बाद लग रही है मशीन

एनिडर्स को लेकर वर्ल्ड वाइड फंड फ़ॉर नेचर इन इंडिया ने एक रिसर्च भी किया है जिसमें नतीजा यह आया कि यह मशीन 86 प्रतिशत सफलतापूर्वक काम करती है और अब तक जहां भी लगाया गया है वहां किसानों की उपज में 60 प्रतिशत तक वृद्धि भी हुई है।

क्या है एनिडर्स

एनिडर्स यानी एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम।यह एक मशीन है जो जानवरों व आदमियों में फर्क बखूबी समझता है और यह मशीन पूरी तरह से सोलर पावर से चलता है । मशीन के रेंज में जानवरों के आते ही मशीन अपने आप एक्टिव हो जायेगी और जानवरों के खेत व ग्रामीण क्षेत्रों के नजदीक आते ही सेंसर अलार्म चालू हो जाता है साथ उसमें लगे इंफ्रारेड किरण हाथियों को डराना शुरू कर देते है और उसमें लगे एक्टिव और पैसिव सेंसर जानवरों और मानव में बखूबी फर्क पकड़ लेता है । वही उसमें लगे जीएसएम नेटवर्क तुरंत वन विभाग को भी अलर्ट कर देता है । एनाइडर्स में लगे कैमरा हाथियों की एक्टिविटी में रिकॉर्ड करता है जिससे वन विभाग को हाथियों की गणना में मदद करेगा।

वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत होगा काम

पूरे पायलट प्रोजेक्ट पर सारंडा वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी श्चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट में आने वाले खर्च का वहन वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड करेगी । इस प्रोजेक्ट को प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक रांची, झारखंड सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई है। उन्होंने बताया गाजियाबाद की क्यारी नामक कंपनी एनाइडर्स लगा रही है अगले 7 वर्षों तक इस मशीन की रख रखाव की जिम्मेदारी भी इसी कंपनी की होगी । उन्होंने बताया पहले चरण में हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित 18 गांव में एनाइडर्स लगाए जाएंगे बेहतर परिणाम आने पर और भी जगहों लगाई जाएगी। प्रत्येक गांव में 6 एक्टिव इंफ्रारेड सेंसर और 6 पैसिव इंफ्रारेड सेंसर लगाए जाएंगे 18 गांव में लगने वाले एनाइडर्स पर लगभग 47 लाख रुपये खर्च होंगे।

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