खरकई व स्वर्णरेखा ही नहीं, प्रयागराज में गंगा का भी अतिक्रमण कर बना लिया लोगों ने घर
Jamshedpur News जमशेदपुर में खरकई व स्वर्णरेखा नदी का अतिक्रमण करने की खबरें अक्सर आती हैं लेकिन नई बात है कि गंगा जैसी धार्मिक पौराणिक व एतिहासिक नदी को भी अतिक्रमणकारियों ने नहीं छोड़ा। ये रही पूरी जानकारी।
जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर में खरकई व स्वर्णरेखा नदी का अतिक्रमण करने की खबरें अक्सर आती हैं, लेकिन नई बात है कि गंगा जैसी धार्मिक, पौराणिक व एतिहासिक नदी को भी अतिक्रमणकारियों ने नहीं छोड़ा।
प्रयागराज (इलाहाबाद) में अतिक्रमणकारियों ने गंगा नदी के तट व जमीन पर कब्जा करके ऊंची-ऊंची इमारत खड़ी कर ली है। अब जब मानसून की लगातार बारिश से गंगा नदी उफना रही है, तो लोग घर-मकान व दुकान छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं। जिला प्रशासन भी अतिक्रमणकारियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा रहा है। आखिर ऐसी स्थिति क्यों आई। प्रशासन ने उस समय कार्रवाई क्यों नहीं की, जब ये लोग नदी का कब्जा कर रहे थे। यह सवाल गंगा महासभा ने पुरजोर तरीके से उठाया है।
उत्तरप्रदेश सरकार से अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग
जमशेदपुर निवासी गंगा महासभा के उपाध्यक्ष (बिहार-झारखंड) धर्म चंद्र पोद्दार ने कहा कि गंगा जी की भूमि को कानूनी या गैरकानूनी तरीके से दखल करना गलत है। उक्त स्थान पर बसने के लिए सरकार ने अगर अनुमति भी दी है, तो भी इसकी निंदा की जानी चाहिए। महासभा उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करती है कि गंगा को अतिक्रमण से तत्काल मुक्त तो कराए ही, दोबारा कोई वहां बसने की हिम्मत नहीं करे, यह भी सुनिश्चित करे। यह भूमि गंगा जी की है। किसी भी नदी की जमीन सरकार की नहीं होती। यह प्रकृति प्रदत है। इस पर सभी का समान अधिकार है। इस भूमि को दखल करना या होने देना किसी भी सरकार या प्रशासन की नहीं है। पोद्दार ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि अब इस खाली हुई भूमि को जलस्तर घटने पर फिर से दखल नहीं करने दिया जाए।
खरकई-स्वर्णरेखा को मुक्त कराने की सरयू कर चुके मांग
जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक व झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सरयू राय कई बार जमशेदपुर में खरकई व स्वर्णरेखा नदी को अतिक्रमण से मुक्त कराने की मांग कर चुके हैं। कुछ दिनों पूर्व अप्रैल में जब बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी, तो उन्होंने भुइयांडीह से बिरसानगर तक का दौरा किया था। हर जगह स्वर्णरेखा नदी के तट आैर यहां तक कि नदी के अंदर भी लोगों ने घर बना लिया है। कदमा के शास्त्रीनगर और बागबेड़ा व जुगसलाई में खरकई नदी का बेहिसाब अतिक्रमण किया गया है। इसी का नतीजा है कि जब भी ओडिशा के ब्यांगबिल व खरकई डैम का फाटक खुलता है, तो जिला प्रशासन के हाथ-पैर फूलने लगते हैं। इस बार ताे नदी तट पर बसे लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ तक को लगाना पड़ा था। आखिर ऐसी नौबत क्यों आती है। जिला प्रशासन नदी तट को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए स्थायी प्रयास क्यों नहीं करता।