पुनर्वास को लेकर प्रबंधन के साथ नहीं हुई वार्ता, ग्रामीणों में नाराजगी

पोटका प्रखंड के भाटिन पंचायत के चाटीकोचा गांव के ग्रामीण पुर्नवास के मुद्दे को लेकर ग्रामीण अब उग्र होते दिख रहे है। पिछले 24 साल से पुर्नवास के आस में बैठे ग्रमीणों का भरोसा एक बार फिर से सोमवार को टूट गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 06:30 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 06:30 AM (IST)
पुनर्वास को लेकर प्रबंधन के साथ नहीं हुई वार्ता, ग्रामीणों में नाराजगी
पुनर्वास को लेकर प्रबंधन के साथ नहीं हुई वार्ता, ग्रामीणों में नाराजगी

अरविद प्रसाद, जादूगोड़ा : पोटका प्रखंड के भाटिन पंचायत के चाटीकोचा गांव के ग्रामीण पुर्नवास के मुद्दे को लेकर ग्रामीण अब उग्र होते दिख रहे है। पिछले 24 साल से पुर्नवास के आस में बैठे ग्रमीणों का भरोसा एक बार फिर से सोमवार को टूट गया। जिससे ग्रामीण काफी नाराज दिखे। ग्रामीणों को यूसिल प्रबंधन ने पुर्नवास के मुद्दे पर वार्ता के लिए सोमवार को बुलाया था। जिसके बाद प्रबंधन ने ग्रामीणों को यह कह कर लौटा दिया कि सीओ साहब नहीं आए हैं। आज वार्ता नहीं होगी। इसके बाद ग्रामीणों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रबंधन हम लोगों को पिछले 24 साल से टाल रहा है और आज भी वही काम किया। हम लोगों का अब प्रबंधन के ऊपर से विश्वास उठ गया है। समय रहते इस सप्ताह प्रबंधन सटीक फैसला नहीं लेगी है तो मजबूरन आंदोलन की ओर जाना होगा। हम लोग यूसिल प्रबंधन के टेलिग पोंड का काम ठप कर देंगे। अब हमलोग इनके झांसे में नहीं आएंगे। कोई ऐसा बेवकूफ नहीं होगा जो किसी के झांसे में आकर पिछले 24 साल से बेवकूफ बन रहा हो। ग्रामीणों को प्रबंधन भोला भाला समझ कर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। पुनर्वास की आस में कई लोगों का देहांत हो चुका है। परंतु प्रबंधन के कान में जूं तक नही रेंग रहा है। प्रबंधन ग्रामीणों के साथ-साथ जिला प्रशासन को भी बेवकूफ बना रहा है। 24 साल में कई पदाधिकारी आए और कई चले गए। हमेशा अधिकारी बदलते रहते हैं। जब तक प्रबंधन को समझाते हैं तब तक उनका पीरियड खत्म हो जाता है। और जब नए अधिकारी आते हैं तो उन्हें समझने में ही कई साल लग जाते हेैं। सटीक फैसला नहीं लिया तो कॉलोनी में खाली पड़े घरों का तोड़ेंगे ताला : ग्रामीण पिथो माझी ने कहा कि अगर रविवार तक प्रबंधन की ओर से कोई सही फैसला नहीं लिया और पुन: टालमटोल की गई तो टेलिग पोंड का काम रोकेंगे। साथ ही कॉलोनी में खाली पड़े घरों के ताले तोड़ कर घुस जाएंगे। अब इस टेलिग पोंड के हानिकारक पानी से खुद को क्षति नहीं पहुंचने देंगे। हमलोग किसी के झांसे में नहीं आएंगे। कॉलोनी के आसपास में काफी जगह है। प्रबंधन चाहे तो वहां पर पुर्नवास कर सकता है। जानबूझ कर प्रबंधन विस्थापितों को विवादित जगह पर लेकर जाती है। किसी न किसी विवाद के कारण काम आगे नहीं बढ़ पाता। यदि प्रबंधन का मन होता तो हमें पुनर्वास करने की दिशा में आश्वासन नहीं दिया जाता। प्रबंधन हमें बेवकूफ बना रही है। 24 साल पहले यूसिल प्रबंधन से मांग की गई थी कि यहां के लोगों का पुनर्वास हो, लेकिन अब तक नहीं हुआ। मजबूरी वश यहां लोग रह रहे हैं। यहां के लोगों को अविलंब पुनर्वासित किया जाए। अब इनके रवैए से कोई भी इंसान 24 साल में अपना आपा खो देगा। हम लोग ऐसे इंसान हैं जो अपना सब कुछ देकर रेडियशन से ग्रसित हो रहे हैं। अब फैसला होगा। टालमटोल बहुत हो गया।

- सालुका हेंब्रम, ग्राम प्रधान। रेडिएसन से प्रभावित हैं चाटिकोचा के लोग : यूसिल के अधिकारी बोलते कुछ है और करते कुछ और हैं। यूसिल के अधिकारियों से बार-बार वार्ता होती है, लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई अमल नहीं किया जाता। चाटिकोचा के लोग संपूर्ण रूप से रेडिएशन से प्रभावित हैं। इनका पुनर्वास अविलंब होना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार आग से घिरे लोगों को बचाया जाता है, उसी प्रकार स्लाइम डैम के पास के लोगों को जल्द से जल्द बचाने का काम किया जाए। प्रबंधन ग्रामीणों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यहां के लोगों का संपूर्ण रूप से पुनर्वास होना चाहिए।

- दशमथ मुर्मू, देश नायके।

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