नोटिस पे पर नहीं हुआ फैसला, चार अक्टूबर को धनबाद में होगी बैठक

सुरदा माइंस मुसाबनी कंसंट्रेटर प्लांट और सुरदा फेज- 2 के लगभग 14 सौ कर्मचारियों के नोटिस पे के मुद्दे पर मुसाबनी माईन्स ईम्पलाइज यूनियन इंटक झारखंड कॉपर माइंस वर्कर्स यूनियन झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी के सदस्यों की सहायक श्रमायुक्त (केंद्रीय) चाईबासा के कार्यालय में बैठक आयोजित हुई। जिसमें एचसीएल/आइसीसी के प्रतिनिधि और दोनों ठेका कंपनी श्रीराम ईपीसी एवं एवरेस्ट ह्यूमन रिसोर्सेज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 06:00 AM (IST)
नोटिस पे पर नहीं हुआ फैसला, चार अक्टूबर को धनबाद में होगी बैठक
नोटिस पे पर नहीं हुआ फैसला, चार अक्टूबर को धनबाद में होगी बैठक

संसू, मुसाबनी : सुरदा माइंस, मुसाबनी कंसंट्रेटर प्लांट और सुरदा फेज- 2 के लगभग 14 सौ कर्मचारियों के नोटिस पे के मुद्दे पर मुसाबनी माईन्स ईम्पलाइज यूनियन इंटक, झारखंड कॉपर माइंस वर्कर्स यूनियन, झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी के सदस्यों की सहायक श्रमायुक्त (केंद्रीय) चाईबासा के कार्यालय में बैठक आयोजित हुई। जिसमें एचसीएल/आइसीसी के प्रतिनिधि और दोनों ठेका कंपनी श्रीराम ईपीसी एवं एवरेस्ट ह्यूमन रिसोर्सेज के प्रतिनिधि उपस्थित थे। बैठक में नोटिस पे पर फैसला नहीं हो सका। जिसके बाद सभी को 4 अक्तूबर को धनबाद कार्यालय में आयोजित बैठक में उपस्थित होने की निर्देश दिया गया है। जहां आइडी एक्ट 25 ट्रिपल एफ के तहत फैसला सुनाया जाएगा। अन्यथा टर्मिनल डूयूज पर ट्रिब्यूनल में केस दर्ज हो जाएगा और प्रत्येक कर्मचारियों को 15 दिन के हिसाब से वेतन का भुगतान करना ठेका कंपनियों के लिए अनिवार्य हो जाएगा। इस बैठक में यूनियन प्रतिनिधि राजेंद्र सिंह, पीटर दास, शमशेर खान, गुरदास मुर्मू, धनंजय मार्डी, सुभाष मुर्मू आदि उपस्थित थे। यूसिल प्रबंधन ने रोजगार से किया वंचित : यूसिल जादूगोड़ा माइंस 2016-17 स्वैच्छिक इस्तीफा योजना मंच के सदस्यों ने शनिवार को राज्यसभा सांसद सह राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति मोर्चा के समीर उरांव से मिलकर एक ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कहा गया है कि 2016-17 में यूसिल द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु एक सर्कुलर जारी किया गया था। जिसमें यह स्पष्ट लिखा गया था कि जो इस सर्कुलर में लिखे उल्लेखित शर्तों के अधीन आता है और मेडिकल अनफिट है। वह कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु आवेदन दे सकता है। जिसके लिए आवेदक को अपने नौकरी का पांच साल छोड़ना पड़ेगा। बदले में यूसिल प्रबंधन द्वारा उनके पुत्र को उनके योग्यता अनुसार नौकरी दिया जाएगा। उस समय हमारे अभिभावकों का मेडिकल जांच एवं अन्य कार्यवाही कर डॉक्टरों व अधिकारियों द्वारा अनफिट भी किया गया था। नियमानुसार सारी प्रक्रिया हो गई थी। तत्पश्चात उनके अभिभावकों को वीआरएस दिया गया था। इसके बाद हम लोगों का भी जॉब के लिए मेडिकल करवाया गया था और नौकरी का आश्वासन दिया गया था। परंतु प्रबंधन ने सुनियोजित साजिश रचते हुए जॉब संबंधित आवश्यक सभी क्रियाकलाप करने के बाद पुन: अवैध रूप से यूसिल प्रबंधन ने डॉक्टर के सहयोग से उनके पिता को जबरन फिट घोषित कर दिया। उसके बाद उनसे जबरन कार्य लिया जा रहा है। मंच के सदस्यों ने बताया कि उन्हें रोजगार से वंचित कर दिया गया, जबकि वे अपने भविष्य को लेकर उच्च शिक्षा ले रहे थे। कुछ लोग विभिन्न जगहों पर जॉब कर रहे थे। यूसिल प्रबंधन के इस कृत्य के कारण उनका भविष्य और जीवन अंधकारमय हो गया है। प्रबंधन की ओर से 2016-17 से लेकर अब तक इस योजना के तहत फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर करीब 30 से 40 लोगों को नौकरी दिया गया है, जो संस्थान के लिए गंभीर मामला है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इस मामले की जांच कर दोषी पदाधिकारियों व फर्जी चिकित्सा प्रमाण देने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की जाए। मंच के सदस्यों ने सीबीआइ जांच व लोकसभा में इस मामले को उठाने का आग्रह भी किया।

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