नेताजी के नेतृत्व में टूटी थी टिस्को में हड़ताल, यहां हुआ था हमला, जानिए
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में ही टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी में 12 सितंबर 1928 को हड़ताल टूटी और टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी व लेबर एसोसिएशन में समझौता हुआ।
जमशेदपुर [वीरेंद्र ओझा]। भारत को अंग्रेजों की त्रासदी से मुक्त करने के लिए जापान की मदद से जिस क्रांतिकारी नेता ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की उनका नाम है सुभाषचंद्र बोस। 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा' देने वाले सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था। इनकी पहचान भारत में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी व सबसे बड़े नेता के रूप में है, लेकिन बहुत कम ही लोग जानते हैं कि देश और खासकर जमशेदपुर के श्रम आंदोलन से भी सुभाषचंद्र बोस जुड़े हुए थे।
इनके नेतृत्व में ही टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी में 12 सितंबर 1928 को हड़ताल टूटा और टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी व लेबर एसोसिएशन (वर्तमान में टाटा वर्कर्स यूनियन) के बीच सम्मानजनक समझौता हुआ।सुभाषचंद्र बोस आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहने के बावजूद इन्होंने 1928 से 1936 तक लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व किया। इनके नेतृत्व का ही परिणाम था कि तीन माह 12 दिन चले हड़ताल टूटा और प्रबंधन के साथ सम्मानजनक समझौता हुआ जो आज भी कंपनी में प्रभावी है।
इन बिंदुओं पर किया था समझौता
-विभागीय बोनस : विभागीय बोनस के वितरण पर लेबर एसोसिएशन के निवेदन पर प्रबंधन गहराई से विचार करेगी।
-सेवा शर्ते : कर्मचारियों की शिकायतों पर विचार करने के लिए, कर्मचारी व प्रबंधन के बीच मधुर संबंध स्थापित करने के लिए शीघ्र ही अंदरूनी कार्यप्रणाली विकसित की जाएगी। प्रबंधन इस पर लेबर एसोसिएशन के सुझावों का स्वागत करेगी।
-एक्टिंग भत्ता : प्रबंधन घोषणा करती है कि एक्टिंग भत्ता देने का सिद्वांत स्थापित करेगी। इस सिद्वांत का पुनर्विचार किया जाएगा।
-मासिक वेतन से दैनिक मजदूरी की सूची में स्थानांतरण : अगर किसी कर्मचारी को मासिक वेतन से दैनिक मजदूरी की सूची में तबादला किया जाता है तो वह जो विशेषाधिकार खो देता है, उसका ख्याल उसकी मजदूरी तय करते समय प्रबंधन रखेगी। जिन मामलों में ऐसी कार्रवाई नहीं हुई है उन पर अब कार्रवाई होगी।
-कर्मचारियों को उनके काम के अनुसार पदनाम मिलेंगे।
-जनरल ड्यूटी में कार्यरत कर्मचारियों की शिकायतों पर प्रबंधन ध्यान देगी।
-कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण जैसे बूट, दस्ताने, एप्रन, चश्मा आदि मिलेेंगे।
-सुरक्षा समितियों में लेबर एसोसिएशन का भी एक-एक प्रतिनिधि रहेगा।
-विशेषाधिकार वापस लिए जाने पर प्रबंधन गंभीरता से विचार करेगा।
-शिशु कक्ष व विश्राम गृह : कामकामजी मां द्वारा बच्चे को स्तनपान कराने के लिए शिशु कक्ष व श्रमिकों के विश्राम के लिए रेस्ट रूम बनेगा।
मातृत्व लाभ : प्रबंधन मातृत्व लाभ पर एक योजना तैयार कर कंपनी के निदेशकों के समक्ष प्रस्तुत करेगा।
-विज्ञापन : अगर प्रबंधन ऊंचे पदों पर बाहरी लोगों की नियुक्ति करता है तो इसकी सूचना उन्हें भारतीय अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कर देनी होगी।
-विभागीय शिकायतें : लेबर एसोसिएशन अब से जिन विभागीय शिकायतों को प्रबंधन के समक्ष रखेगा, उन पर प्रबंधन को शीघ्रता से विचार करना होगा।
ऊंचे पदों पर भारतीयों को पदस्थापित करें : लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व करते हुए सुभाषचंद्र बोस ने कंपनी प्रबंधन को सुझाव दिया था कि वे कंपनी के ऊंचे पदों पर विदेशी अफसरों के स्थान पर भारतीय लोगों को पदस्थापित करें। टाटा कंपनी फिजूलखर्ची बंद करे और कंपनी के एक निदेशक को स्थायी रूप से जमशेदपुर में रहकर कंपनी चलाए।
जी टाउन मैदान में नेताजी पर हुआ था हमला
21 सितंबर 1931 को नेताजी बिष्टुपुर स्थित जी टाउन मैदान में मजदूरों द्वारा आयोजित एक सभा की अध्यक्षता कर रहे थे, तभी उन पर कातिलाना हमला हुआ। अचानक कुछ हमलावार मंच पर आ गए और नेताजी सहित मंचासीन लोगों पर टूट पड़े। दोनों ओर से मारपीट शुरू हो गई। हालांकि उस सभा में कुछ पुलिस वाले भी उपस्थित थे, लेकिन हमलावरों की संख्या के आगे उनकी संख्या कम थी। अपने नेता की जान बचाने के लिए श्रोता बने कर्मचारी हमलावरों पर टूट पड़े। इसके बाद हमलावरों को वहां से भागना पड़ा। हमलावर नेताजी को जान से मारने की नीयत से आए थे, लेकिन सफल नहीं हो पाए। इस घटना में लगभग 40 कर्मचारी घायल हो गए थे। इसके बाद आठ अप्रैल 1929 को भी लेबर एसोसिएशन के कार्यालय पर भी हमला हुआ था।