सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ना चाहिए या नहीं, हिंदू जनजागृति समिति ने किया ऑनलाइन विमर्श

इन दिनों सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने को लेकर देश भर में विमर्श चल रहा है। इसी कड़ी में हिंदू जनजागृति समित ने ऑनलाइन विशेष संवाद किया ताकि इस मुद्दे पर सामूहिक राय बन सके। संवाद की शुरुआत विवेकानंद कार्य समिति के अध्यक्ष नीरज अत्री ने की।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 08:50 AM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 08:50 AM (IST)
सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ना चाहिए या नहीं, हिंदू जनजागृति समिति ने किया ऑनलाइन विमर्श
मुस्लिम देशों में भी सार्वजनिक स्थलों पर नमाज प्रतिबंधित।

जमशेदपुर, जासं। इन दिनों सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने को लेकर देश भर में विमर्श चल रहा है। इसी कड़ी में हिंदू जनजागृति समित ने ऑनलाइन विशेष संवाद किया, ताकि इस मुद्दे पर सामूहिक राय बन सके। संवाद की शुरुआत विवेकानंद कार्य समिति के अध्यक्ष नीरज अत्री ने कहा कि पुलिस और प्रशासन राजनीतिक नेताआें के इशारे पर कार्य करते हैं। यह हम पूरे देश में विगत अनेक वर्षों से अनुभव कर रहे हैं। सार्वजनिक स्थलों पर होने वाली नमाज पूरे देश की सभ्यता को चुनौती है। गुरुग्राम में सरेआम रास्तों पर आरंभ अवैध नमाज को वहां के हिंदू नागरिकों के साथ अन्य संगठनों ने जिस प्रकार का विरोध किया, वैसा विरोध पूरे देश में सभी ओर होना आवश्यक है।

दूसरों काे बाधा पहुंचाने की इजाजत किसी को नहीं

सवोच्च न्यायालय के अधिवक्ता गौरव गोयल ने कहा कि विगत 70 वर्षों से देश में ‘वोट बैंक’ की राजनीति के लिए संविधान का पालन न करते हुए विशिष्ट समाज को छूट दी जा रही है। भारतीय संविधान के अनुसार ‘अन्यों के लिए बाधा उत्पन्न होगी, ऐसी कृति करने का अधिकार किसी को भी नहीं’, मात्र सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ने से रास्ते से जानेवाले पदयात्री, वाहनों के यात्री सभी को प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसलिए सार्वजनिक स्थलों पर होने वाली अवैध नमाज रोकने के लिए न्यायालयीन मार्ग से संघर्ष करने की आवश्यकता है। इस विषय में याचिका प्रविष्ट करने के लिए अधिवक्ताआें को पहल करनी चाहिए।

मुस्लिम देशों में भी सार्वजनिक स्थलों पर नमाज प्रतिबंधित

हिंदू जनजागृति समिति के प्रवक्ता नरेंद्र सुर्वे ने इस संदर्भ में कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढने के लिए मस्जिद का स्थान अपर्याप्त होने का तर्क दिया जाता है, जो पूर्णत: अनुचित है। इसी प्रकार यदि हिंदुआें ने पूजा-अर्चना, आरती इत्यादि के लिए मंदिर का स्थान अपर्याप्त है, हम सार्वजनिक स्थलों का उपयोग करेंगे, ऐसा कहा तो क्या उसे स्वीकारा जाएगा। आज अनेक मुस्लिम देशों में सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध है। किसी व्यक्ति ने ऐसा किया तो उससे बड़ा आर्थिक दंड वसूल किया जाता है। तब सेक्युलर भारत में सार्वजनिक स्थानों पर अवैध पद्धति से नमाज पढने के लिए पुलिस द्वारा अनुमति क्यों दी जाती है। एक ओर हिंदुआें को सार्वजनिक गणेशोत्सव, नवरात्रोत्सव जैसे नियमित एवं वार्षिक उत्सवों की अनुमति प्राप्त करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है! वहीं दूसरी ओर गुरुग्राम जैसे आधुनिक शहर में पुलिस सुरक्षा में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज कराई जाती है, यह आश्‍चर्यजनक है। हिंदुआें को इसके विरोध में संवैधानिक मार्ग से संघर्ष करना चाहिए।

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