मां और दो बेटियों की एक साथ निकली अर्थी तो रो पड़े लोग

अंकित सोफा पर ही बैठा रहा। दीपक का एक कमरा बंद था। देखा अंकित पर हथौड़े से दीपक कुमार प्रहार कर रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 06:30 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 06:30 AM (IST)
मां और दो बेटियों की एक साथ निकली अर्थी तो रो पड़े लोग
मां और दो बेटियों की एक साथ निकली अर्थी तो रो पड़े लोग

जासं, जमशेदपुर : वीणा देवी और उसकी दोनों पुत्रियों के शव पोस्टमार्टम के बाद कदमा थाना क्षेत्र शास्त्रीनगर रोड नंबर एक वीणा देवी के मायके मंगलवार देर शाम पहुंचा। लोगों की भीड़ लगी रही। माहौल गमगीन रहा। मौजूद लोगों के आंखों से आंसू निकल आए। वीणा देवी हमेशा अपने पुत्रियों के साथ मायके आना-जाना करती थी। शवों को देख उनके माता-पिता, दोनों भाई और भतीजे दहाड़ मारकर रोते रहे। स्वजनों की चीत्कार से लोगों की आंखें नम हो गई। एक साथ सभी की अर्थी शास्त्रीनगर से पार्वती घाट के निकली। शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। हर किसी के अंदर यही सवाल उठ रहा था कि आखिर इस हंसते-खेलते परिवार को किसी नजर लग गई।

इधर, शिक्षिका रिकी घोष की शव यात्रा अंतिम संस्कार को उनके कदमा रामजन्मनगर से निकली। लोगों की काफी भीड़ लगी रही। अंतिम संस्कार पार्वती घाट पर कर दिया गया। गौरतलब है कि सोमवार को टाटा स्टील कर्मचारी दीपक कुमार ने अपनी पत्नी वीणा देवी, दो पुत्रियों की हत्या के बाद पुत्री को ट्यूशन पढ़ाने आने वाली शिक्षिका रिकी घोष की हत्या कदमा तीस्ता रोड क्वार्टर में कर दी थी।

अगर पास-पड़ोस के लोग घर से बाहर निकल हिम्मत दिखाते तो पकड़ा जाता दीपक कुमार : कदमा थाना क्षेत्र तीस्ता रोड के क्वार्टर में सोमवार सुबह तक चार हत्या को अंजाम देने वाले दीपक कुमार पकड़ा जाता। अगर पास-पड़ोस के लोग थोड़ी हिम्मत दिखाते। ये बातें वीणा देवी के भाई विनोद कुमार ने कहीं। बताया सोमवार दोपहर दो बजे के करीब दीपक कुमार के बुलावे पर उसके मित्र रौशन कुमार, अपनी पत्नी और साले अंकित कुमार के साथ कार से पहुंचा था। जैसा कि रोशन ने पुलिस को बताया है उस अनुसार उसकी बच्ची ने दीपक के घर में ही पॉटी कर दी थी। तो उसे लेकर दोनों बाथरूम की ओर चले गए। अंकित सोफा पर ही बैठा रहा। दीपक का एक कमरा बंद था। देखा अंकित पर हथौड़े से दीपक कुमार प्रहार कर रहा है। उसे बचाने लगे तो रोशन पर दीपक ने हमला कर दिया। सभी बचते हुए बाहर निकले। आस-पास के लोगों से मदद मांगी तो कोई नहीं आया। यदि लोग निकलते तो दीपक पकड़ा जाता। रौशन और अंकित पर हमला किए जाने के बाद ही दीपक घर से भाग निकला था।

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