मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम से जुड़ी है मान्‍यता, झारखंड के इस मंदिर में स्थापित हैं 100 से अधिक देवी-देवता

Temple in Jharkhand. यहां विभिन्न प्रदेशों से भक्त आते हैं और मंदिर के प्रपत्र में राम नाम लिखकर जाते हैं। अब तक यहां 2100 करोड़ से अधिक रामनाम जाम का प्रपत्र जमा हो चुका है। इन सारे प्रपत्रों को मंदिर कमेटी पूरी तरह संरक्षित कर रखती है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 10:53 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 01:29 PM (IST)
मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम से जुड़ी है मान्‍यता, झारखंड के इस मंदिर में स्थापित हैं 100 से अधिक देवी-देवता
जमशेदपुर के कदमा में स्थित श्रीराम पादूका आश्रम। जागरण

जमशेदपुर, वेंकटेश्‍वर राव। झारखंड के औद्योगिक शहर जमशेदपुर के कदमा में स्थापित श्रीराम पादूका आश्रम में 100 से अधिक देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है। इतने देवी-देवता वाला शहर का यह पहला मंदिर है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

यहां विभिन्न प्रदेशों से भक्त आते हैं और मंदिर के प्रपत्र में राम नाम लिखकर जाते हैं। अब तक यहां 2100 करोड़ से अधिक रामनाम जाम का प्रपत्र जमा हो चुका है। इन सारे प्रपत्रों को मंदिर कमेटी पूरी तरह संरक्षित कर रखती है। यहां भगवान विष्णु के सभी अवतार तथा द्वादश ज्योर्तिलिंग, गणेश, भगवान श्रीराम का पूरा परिवार, माता सरस्वती, माता दुर्गा सहित कई देवी देवताओं की मूर्तियां हैं। सभी की पूजा तमिल कैलेंडर के अनुसार होती है। यहां 58 साल से बिना रुकावट प्रभु का भजन हर सप्ताह होता है। साथ ही हर साल सीता-राम कल्याणम (विवाह उत्सव) होता है, जो देखने लायक होता है। इसके अलावा राधा कृष्ण कल्याणम भी होता है। इस मंदिर में प्रभु श्रीराम अपने पूरे परिवार के साथ एक साथ विराजमान हैं। प्रभु श्रीराम व माता सीता की प्रतिमा को अयोध्या में पूजा -अर्चना के बाद ही इस मंदिर में स्थापित किया गया था।

33 फीट की बजरंग बली बढ़ा रही मंदिर की शोभा

राम पादुका आश्रम कदमा मंदिर के सामने 33 फीट की बजरंग बली स्थापित की गई है। इतनी बड़े हनुमान की मूर्ति स्थापित की गई है। वे एक पहरेदार की भूमिका में इस मंदिर की रक्षा कर रहे हैं। सभी आगंतुक अतिथि एक नजर इसे अवश्य निहारते हैं।

मंदिर का इतिहास

इस मंदिर का अस्तित्व 1968 में आया। टूटी-फूटी झोपड़ी में प्रभु श्रीराम की तस्वीर रख पूजा- अर्चना होती थी। मंदिर के अस्तित्व में आने के पीछे भी प्रभु श्रीराम का ही हाथ बताया जा रहा है। मंदिर के पदाधिकारियों ने जानकारी दी कि मंदिर के संस्थापक टी मुथुकृष्णन को स्वपन आया कि यहां प्रभु श्रीराम का पूजन प्रारंभ कर सनातन धर्म का विस्तार करें। इसके बाद से ही उन्होंने यहां मंदिर बनाने की ठान ली। वर्ष 1987 में टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष स्व. वीजी गोपाल ने मंदिर के भव्य स्वरूप के कार्य का शिलान्यास किया। इसके बाद इसका उद्घाटन विधिवत पूजा अनुष्ठान के साथ 3 मार्च 2004 को हुआ।

मंदिर की सारी शक्तियों को वापस लाने को कुंभाभिषेकम महोत्सव शुरू

कदमा स्थित श्रीराम पादूका आश्रम में जीर्णोधारणा अंतबंधना कुभाषिकेम महोत्सव सोमवार यानि 25 जनवरी की सुबह गणपित होमम के साथ प्रारंभ हो रहा है। इस महोत्सव की जानकारी देते हुए आश्रम के अध्यक्ष वी नटराजन, सचिव एस श्रीराम, नागराज ने बताया कि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान 25 जनवरी से प्रारंभ होकर एक फरवरी तक आयोजित होंगे। प्रत्येक दिन सुबह गणपति होमम से पूजा अनुष्ठान की शुरुआत होगी। सुबह के पूजा पाठ के बाद प्रत्येक दिन शाम को भी पूजा अर्चना होगी। सोमवार को वास्तु पूजा तथा शांति रक्षा होमम और शाम को बली का कार्यक्रम हैं।

मुख्‍य पूजा 28 फरवरी को

इस महोत्सव की मुख्य पूजा 28 फरवरी को होगी। इस दिन कुभांभिषेक पूजा का आयोजन होगा। इस दिन सुबह पांच बजे से पूजा अर्चना होगा। कई तरह के हवन कार्यक्रम होंगे। प्रवेश द्वार की भी पूजा अर्चना होगा। इस दिन मंदिर में सारी देवी-देवताओं की शक्तियों को विधिवत रूप से वापस कराया जाएगा। इनकी शक्तियों को विधिवत रूप से एक माह पूर्व शिथिल करते हुए इन्हें एक कमरे में रखा गया था। इसी दिन दोपहर में प्रसाद वितरण भी होगा। आयोजन समिति की ओर से जानकारी दी गई है कि 31 जनवरी को सीता कल्याण महोत्सव मुख्य पूजा में से एक है। एक फरवरी को आचार्य भक्त सभा के साथ इस पूरे अनुष्ठान का समापन होगा। 

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