खाते में नहीं है पैसे फिर भी निकाल सकते हैं मासिक वेतन का तीन गुणा राशि, जाने बैंक की क्या है ये व्यवस्था
जब बैंक अपने ग्राहक को ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है तो वह उसके बदले संबधित ग्राहक से प्रोसेसिंग फीस सहित कुल राशि पर ब्याज भी लेता है। ओवरड्राफ्ट में ली गई कुल राशि कितने समय के लिए ली जा रही है इस पर ब्याज की दर तय होती है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर । एक मासिक वेतनभोगी कर्मचारी के लिए आपात स्थिति में पैसा जुटाना बहुत मुश्किल का काम होता है। क्योंकि जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है, पेट्रोल व रसोई गैस के दाम बढ़ रहे हैं उसके बाद कुछ बचत हो जाए, यह बहुत बड़ी बात है। इन सब के बावजूद यदि माह के अंत में कोई इमरजेंसी आ जाए या भगवान न करे कि परिवार में कोई बीमार पड़ जाए तो काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
फिर परिवार या किसी दोस्त के सामने हाथ फैलाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचता है। वेतनभोगी कर्मचारियों की इसी जरूरत को समझते हुए कुछ बैंक अपने ग्राहकों को ओवरड्राफ्ट की सुविधा देती है जिसका फायदा बैंक कस्टमर उठा सकते हैं।
क्या होता है वेतन ओवरड्राफ्ट
आजकल हर किसी का वेतन सीधे उनके बैंक खाते में जाता है। यानि बैंक को मालूम है कि संबधित कस्टमर का कब और कितना पैसा वेतन के रूप में उसके बैंक खाते में क्रेडिट होता है। बैंक को अपने कस्टमर के विषय में सारी जानकारी रहती है। ऐसे में आपात स्थिति में कोई भी बैंक कस्टमर अपने वेतन का दो से तीन गुणा राशि बैंक से ओवरड्राफ्ट स्कीम के तहत निकाल सकता है। इसे रिवॉल्विंग क्रेडिट भी कहा जाता है। लेकिन इस सुविधा का लाभ लेने से पहले आपको अपने बैंक से यह पता करना होगा कि आप ओवरड्राफ्ट की सुविधा पाने की पात्रता रखते हैं या नहीं।
कुछ बैंक देती है 90 प्रतिशत से वेतन का तीन गुणा ओवरड्राफ्ट
ओवरड्राफ्ट को लेकर सभी बैंकों के अलग-अलग नियम है और सभी बैंकों में यह सुविधा भी नहीं है। बैंक अपने ग्राहक और वे जिस कंपनी में काम कर रहे हैं उसकी क्रेडिट देखकर ही संबधित व्यक्ति को ओवरड्राफ्ट की सुविधा देती है। आइसीआइसीआई, एसबीआइ सहित दूसरे बैंक अपने ग्राहकों को उनके वेतन का 90 प्रतिशत या कुल वेतन का तीन गुणा ओवरड्राफ्ट भी देता है। इसकी अधिकतम लिमिट चार से पांच लाख रुपये तक हो सकती है।
ओवरड्राफ्ट के बदले बैंक लेता है ब्याज
जब बैंक अपने ग्राहक को ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है तो वह उसके बदले संबधित ग्राहक से प्रोसेसिंग फीस सहित कुल राशि पर ब्याज भी लेता है। ओवरड्राफ्ट में ली गई कुल राशि कितने समय के लिए ली जा रही है इस पर ब्याज की दर तय होती है। हालांकि ब्याज की दर एक से तीन प्रतिशत के बीच रहती है।
48 घंटे के अंदर मिल जाता है पैसा
यदि आप आइसीआइसीआइ के कस्टमर हैं तो आपको बैंक इंसटेंट फ्लेक्सी कैश की सुविधा मिलती है। इसके लिए आपको बैंक जाने की भी जरूरत नहीं होती है। ऑनलाइन ही इसके लिए आवेदन करना होता है। इसके बाद आवेदनकर्ता को अपने मूल वेतन का तीन गुणा ओवरड्राफ्ट मिल जाता है। ग्राहक चाहे तो 48 घंटे के अंदर ओवरड्राफ्ट सीमा का इस्तेमाल शुरू कर सकता है। इसमें एक फायदा ये है कि मान लें कि आपका वेतन 50 हजार रुपये है और बैंक आपको 1.50 लाख रुपये ओवरड्राफ्ट के रूप में दे रहा है। लेकिन आपका कुल खर्च 1.20 लाख ही हुआ है तो बैंक आपको उतना ही ब्याज चार्ज करेगा, जितनी राशि का आपने उपयोग किया है।