Molah Right: हिंदू नरसंहार के 100 वर्ष पर हिंदू जनजागृति समिति ने किया ऑनलाइन विशेष संवाद

Molah Right सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता कृष्ण राज ने कहा कि उस वक्त जिहादियों ने इसे आंदोलन बताया था। उन्होंने घोषणा की थी कि यह हमारी विजय थी। परंतु यह आंदोलन नहीं था अपितु हिंदुओं का नरसंहार था।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 01:47 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 01:47 PM (IST)
Molah Right: हिंदू नरसंहार के 100 वर्ष पर हिंदू जनजागृति समिति ने किया ऑनलाइन विशेष संवाद
हिंदू जनजागृति समिति ने आनलाइन संवाद किया।

जमशेदपुर, जासं। केरल में 1921 में हुए मोपला के दंगे की पृष्ठभूमि पहले विश्‍वयुद्ध से ही है। इस दंगे में सरकारी कर्मचारी, पुलिस और तत्कालीन अंग्रेज सैनिकों पर आक्रमण किए गए और हिंदुआें का बडा नरसंहार किया गया। यह दंगा लगभग छह महीने चला था।  इस विषय पर हिंदू जनजागृति समिति ने गुरुवार को आनलाइन संवाद किया, जिसे जमशेदपुर में भी कुछ लोगों ने सुना।

इसके बारे में शहर के सुदामा शर्मा ने बताया कि इस संवाद में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता कृष्ण राज ने कहा कि उस वक्त जिहादियों ने इसे आंदोलन बताया था। उन्होंने घोषणा की थी कि यह हमारी विजय थी। परंतु यह आंदोलन नहीं था, अपितु हिंदुओं का नरसंहार था। अधिवक्ता कृष्ण राज ने बताया कि उस वक्त मोहनदास करमचंद गांधी ने कहा था कि ‘मोपला दंगे में मुसलमानों ने हिंदुओं पर अत्याचार किए, परंतु हिंदू-मुसलमान एकता के लिए हिंदू ये अत्याचार सहन करें।’ मोपला दंगा ‘जिहाद’ का ही एक भाग था, किंबहुना दंगाखोरों ने यह ‘जिहाद’ ही है, यह स्वीकार किया था।

खिलाफत आंदोलन के नाम पर जुटे थे मुसलमान

‘दि धर्म डिस्पैच’ के संस्थापक-संपादक और लेखक संदीप बालकृष्ण ने कहा कि खिलाफत आंदोलन के नाम पर अली बंधुआें ने अंग्रेजों के विरोध में ‘जिहाद’ पुकारकर मुसलमानों को एकत्रित किया था। अंग्रेजों ने अली बंधुआें को बंदी बनाने के उपरांत मोपला में मुसलमानों ने भयानक नरसंहार किया। इन मोपलों ने केवल दंगे ही नहीं किए, अपितु सुनियोजित पद्धति से हिंदुओं का सामूहिक हत्याकांड किया। इस दंगे में मुसलमान महिलाएं भी सम्मिलित थीं। खेद की बात यह है कि मोपलाआें के इस नरसंहार को इतिहास में इसे ‘मुसलमानों द्वारा अंग्रेजों के विरोध में कार्यान्वित आंदोलन’ लिखा गया और केरल की पाठ्यपुस्तकों में भी यह सिखाया गया, परंतु अब इससे संबंधित वास्तविकता सामने आ रही है।

इस्लामी सत्ता के लिए किया गया था मोपला दंगा

अन्नपूर्णा फाउंडेशन के अध्यक्ष बिनिल सोमसुंदरम ने कहा कि, ‘मोपला नरसंहार में उजागर रूप से हिंदुआें पर अत्याचार किए गए। इस्लामी सत्ता स्थापित करने के लिए ये दंगे किए गए थे। मोपला दंगे के 100 वर्ष पूर्ण होने के निमित्त केरल के हिंदुआें ने इस दंगे में प्राण खोए हुए पूर्वजों का श्राद्ध किया तथा विविध माध्यमों से जागृति करने का प्रयत्न किया। वर्ष 2018 से शबरीमला आंदोलन के समय से केरल का हिंदू समाज बिना किसी राजकीय समूह अथवा अन्य किसी का समर्थन न होते हुए भी अब जागृत हो गया है।

आक्रमण का विरोध करने पर हिंदू कहे जाते आतंकवादी

हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा कि हमारे देश में झूठा प्रचार करने का प्रयत्न किया जाता है। गोधरा और मुंबई में भी दंगे हुए, ऐसा बताया जाता है। हिंदू जब आक्रमण का प्रतिकार करते हैं, तब हिंदुओं को आतंकवादी कहा जाता है। विदेशी इतिहासकार स्टेफन डेल ने ‘मोपला दंगा ‘जिहाद’ था’, ऐसा लिखा है। डॉ. आंबेडकर ने भी ‘पाकिस्तान ऑर द पार्टिशन ऑफ इंडिया’ पुस्तक में लिखा है कि, मोपला के दंगे मुसलमानों ने किए थे। 1920 में खिलाफत समिति की स्थापना प्रथम केरल के मलबार में की गई, ऐसा भी उन्होंने कहा था। अंग्रेजों के समय के जिलाधिकारी सी. गोपालन नायर ने भी अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में इस मोपला दंगे का वर्णन किया है। ऐसा होते हुए भी ‘मोपला दंगे’ का इतिहास छिपाने का प्रयत्न किया जाता है, ताकि हिंदू समाज अभी भी भ्रम में रहे। हिंदुआें को सतर्क और जागृत रहना चाहिए।

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