Milkha Singh ने 2004 में जमशेदपुर में टाटा एथलेटिक्स अकादमी की रखी थी नींव

फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह वर्ष 2004 में जमशेदपुर आए थे। उन्होंने यहां टाटा एथलेटिक्स अकादमी की नींव रखी थी। यह अकादमी मध्यम दूरी के धावकों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार किया गया था।

By Jitendra SinghEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 01:51 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 12:31 PM (IST)
Milkha Singh ने 2004 में जमशेदपुर में टाटा एथलेटिक्स अकादमी की रखी थी नींव
मिल्खा सिंह का 91 वर्ष की आयु में निधन, 2004 में आए थे जमशेदपुर।

जमशेदपुर, जासं महान भारतीय धावक मिल्खा सिंह का शुक्रवार को देर रात निधन हो गया। वह कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे। उनका इलाज चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में चल रहा था। 91 वर्षीय ने 19 मई को कोविड पॉजिटिव पाए गए थे। कुछ दिन पहले वह अपने घर पर ही आइसोलेट थे।

हालांकि, कुछ दिनों बाद 24 मई को, महान एथलीट को "कोविड निमोनिया" के कारण मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उन्हें 3 जून को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर ले जाया गया। पांच दिन पहले ही उनकी पत्नी निर्मल का भी कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया था। उनके परिवार ने एक बयान कहा, "यह अत्यंत दुख के साथ है कि हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि मिल्खा सिंह जी का 18 जून 2021 को रात 11.30 बजे निधन हो गया।" बयान में आगे कहा गया है, "उन्होंने बहुत संघर्ष किया लेकिन भगवान के अपने तरीके हैं और यह शायद सच्चा प्यार और साथ था कि हमारी मां निर्मल जी और अब पिताजी दोनों का निधन 5 दिनों के भीतर हो गया।" अस्पताल ने एक बयान में कहा, "13 जून तक यहां उनका इलाज किया गया, मिल्खा सिंह ने कोविड के खिलाफ बहादुरी से लड़ा। बाद में वह निगेटिव पाए गए थे। हालांकि, कोविड के बाद की जटिलताओं के कारण, उन्हें कोविड अस्पताल से मेडिकल आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था। लेकिन मेडिकल टीम के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, मिल्खा सिंह जी को उनकी गंभीर स्थिति से नहीं निकाला जा सका और एक बहादुर लड़ाई के बाद, उन्होंने 18 जून 2021 को रात 11.30 बजे यहां पीजीआईएमईआर में अंतिम सांसें ली।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने ट्वीट कर दुख जताते हुए कहा, मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया है, जिन्होंने देश के सपनों को पूरा किया। उनके लिए अनगिनत भारतीयों के दिलों में एक विशेष स्थान था। उनके प्रेरक व्यक्तित्व ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनके निधन से दुखी हूं। मैंने कुछ दिन पहले ही मिल्खा सिंह जी से बात की थी। मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बातचीत होगी। कई नवोदित एथलीटों को उनकी जीवन यात्रा से ताकत मिलेगी। उनके परिवार और दुनिया भर में कई प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।

In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28

— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021

वर्ष 2004 में आए थे जमशेदपुर

फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह वर्ष 2004 में जमशेदपुर आए थे। उन्होंने यहां टाटा एथलेटिक्स अकादमी की नींव रखी थी। यह अकादमी मध्यम दूरी के धावकों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार किया गया था। तब उन्होंने कहा था कि खिलाड़ियों का रिकॉर्ड स्कूल से ही फॉलो करना होगा, तभी वह लंबा सफर तय कर पाएंगे।

रोम ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे थे फ्लाइंग सिख

मिल्खा सिंह ने एशियाई खेलों में चार स्वर्ण पदक जीतकर ट्रैक और फील्ड में अपना नाम बनाया। उन्होंने कार्डिफ में 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था। वह 1960 के रोम खेलों के 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहते हुए ओलंपिक पदक से चूक गए। मिल्खा सिंह ने 45.73 सेकेंड के समय में दौड़ पूरी की। 1998 में परमजीत सिंह ने इसे पार करने से पहले लगभग 40 वर्षों तक यह राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना रहा। मिल्खा सिंह ने 1956 और 1964 के ओलंपिक में भी हिस्सा लिया था। उन्हें 1959 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

'फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह से जुड़ी प्रत्येक खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी