Tata Steel के खिलाफ पहली बार आया माझी-परगना महाल, 13 दिसंबर को कंपनी का हुड़का जाम करने की चेतावनी

Agitation Against Tata Steel झामुमो के बाद माझाी परगना महाल भी टाटा स्टील के खिलाफ सामने आया है। तोरोप परगना के दशमत हांसदा ने कहा कि यदि कंपनी प्रबंधन ने पांच दिन के अंदर सकारात्मक वार्ता नहीं की तो 13 दिसंबर काे हुड़का जाम कर दिया जाएगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 03:36 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 03:36 PM (IST)
Tata Steel के खिलाफ पहली बार आया माझी-परगना महाल, 13 दिसंबर को कंपनी का हुड़का जाम करने की चेतावनी
मीडिया के समक्ष एकजुटता प्रदर्शित करते माझी परगना महाल के प्रतिनिधि।

जमशेदपुर, जासं। अब तक झारखंड मुक्ति मोर्चा ही टाटा स्टील के खिलाफ आंदोलन करता आया है, लेकिन पहली बार आदिवासी स्वशासन की पारंपरिक व्यवस्था माझी परगना महाल ने आंदोलन का ऐलान किया है। तोरोप परगना के दशमत हांसदा ने कहा कि यदि कंपनी प्रबंधन ने पांच दिन के अंदर हमारे साथ सकारात्मक वार्ता नहीं की, तो 13 दिसंबर काे टाटा स्टील के जेनरल आफिस गेट का हुड़का जाम कर दिया जाएगा।

सर्किट हाउस एरिया स्थित निर्मल (स्वर्णरेखा) गेस्ट हाउस में बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में हांसदा ने कहा कि टाटा स्टील को स्थापित हुए करीब 114 वर्ष हो गए, लेकिन इस बीच कभी भी आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के लोगों ने कंपनी के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। हम सहते आए हैं। टाटा स्टील कंपनी हमारी ही जमीन पर कंपनी शुरू करके आज दुनिया भर में डंका बजा रही है, लेकिन हम वहीं के वहीं रह गए। कंपनी आदिवासियों के नाम पर सीएसआर के तहत खर्च करने की बात कहती है, लेकिन धरातल पर हमें नहीं दिखता है। कंपनी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को प्रतिवर्ष विश्व जनजातीय सम्मेलन ‘संवाद’ करती है, जिसमें करोड़ों रुपये उड़ाती है। कंपनी यह अपनी ब्रांडिंग के लिए करती है, लेकिन हम 13 दिसंबर को अपने आंदोलन के माध्यम से दुनिया को बताएंगे कि टाटा स्टील क्या करती है।

कंपनी या स्कूल में कितने आदिवासी

दशमत हांसदा ने कहा कि टाटा स्टील में आज कितने आदिवासी काम करते हैं। शहर के टॉप-25 स्कूल में एक प्रतिशत भी आदिवासी छात्र नहीं पढ़ते हैं। टाटा स्टील के ट्रेड अप्रेंटिस में कितने आदिवासी छात्र हैं, कंपनी बताए। कंपनी कहती है कि आदिवासी छात्र तकनीकी रूप से स्किल्ड नहीं हैं, इसलिए हम बाहरी को लेते हैं। मेरा सवाल यही है कि आपने 114 वर्ष में आदिवासियों को शिक्षित और तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए क्या किया। कंपनी अपना सोशल आडिट क्यों नहीं कराती है। कंपनी कभी यह नहीं बताती है कि सीएसआर के नाम पर किस मद में कितनी राशि खर्च करती है। आखिर क्यों।

जमशेदपुर प्रखंड के 100 गांव की सहमति

माझी परगना महाल के प्रवक्ता रामराय हांसदा ने कहा कि आंदोलन का ऐलान करने के पहले हमने जमशेदपुर प्रखंड के 100 गांव में इस पर बैठक की। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर चर्चा की। टाटा स्टील के एथिक्स का भी अध्ययन किया। सबकी सहमति से हमने आंदोलन का निर्णय लिया है। संवाददाता सम्मेलन में सुखराम किस्कू (गिधीझोपड़ी), दुर्गाचरण मुर्मू (तालसा), मुनीराम मार्डी (डाड़ी), बासु हांसदा (कुदादा), मोहन हांसदा (मुईगुट्टू), बीर सिंह बास्के (हाकेगोड़ा), लखन सोरेन (जगन्नाथपुर), नवीन मुर्मू (कुचूंग दिशोम सुतरेत), धानो मार्डी (माझी सुतरेत) व सुकुमार सोरेन (सोमाय झोपड़ी) भी उपस्थित थे।

chat bot
आपका साथी