महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री ने वीर सावरकर का किया अपमान, हिंदू जनजागृति समिति के विरोध पर मंत्री ने फेसबुक से पोस्ट डिलीट कर दिया
हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा है कि यदि राष्ट्रभक्तों का मूल्य डाक टिकटों से निधारित करना हो तो गांधीजी के डाक टिकटों का मूल्य डेढ आना अर्थात 9 पैसे मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू कस्तूरबा गांधी के डाक टिकटों का मूल्य 15 पैसे है।
जमशेदपुर, जासं। वीर विनायक दामोदर सावरकर का बार-बार अपमान किया जा रहा है। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितीन राऊत ने फेसबुक में अपमानजनक शब्द लिखा, जिसका हिंदू जनजागृति समिति ने पुरजोर विरोध किया है। जमशेदपुर से समिति के सदस्य सुदामा शर्मा ने बताया कि कांग्रेस के ऊर्जामंत्री नितीन राऊत का हिंदू जनजागृति समिति तीव्र निषेध करती है। वीर सावरकर के स्मरण दिन के निमित्त तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने डाक टिकट प्रकाशित किया था, परंतु आज उन्हीं के दल के मंत्री उस पर टिप्पणी करके अपने ही दल के नेताआें का अपमान कर रहे हैं। यदि इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर की तुलना में बंदर के टिकट का मूल्य अधिक रखा, ऐसा मंत्री महोदय को कहना हो, तो कांग्रेसी संस्कृति में आज देशभक्तों की तुलना में बंदरों के समान गुलाटी मारनेवालों को अधिक महत्त्व क्यों दिया जा रहा है, यह ध्यान में आता है। मंत्री को समझना चाहिए कि किसी डाक टिकट के मूल्य से राष्ट्रभक्तों का महत्त्व निर्धारित नहीं होता।
डाक टिकट के मूल्य से नहीं होता राष्ट्रभक्तों का महत्व
हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा है कि यदि राष्ट्रभक्तों का मूल्य डाक टिकटों से निधारित करना हो, तो गांधीजी के डाक टिकटों का मूल्य डेढ आना अर्थात 9 पैसे, मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, कस्तूरबा गांधी के डाक टिकटों का मूल्य 15 पैसे है। उस तुलना में वीर सावरकर के डाक टिकटों का मूल्य 20 पैसे है। इससे वीर सावरकर का मूल्य तत्कालीन कांग्रेसी नेताआें से अधिक ही है। वीर सावरकर की तुलना बंदर से करने वाले ऊर्जामंत्री ने एक प्रकार से गांधी-नेहरू के टिकटों की तुलना भी बंदरों से की है, यह उन्हें समझ में आ रहा है क्या? देश के लिए कुछ करना संभव न हो, तो कम से कम स्वतंत्रता के लिए लडने वाले हमारे महान क्रांतिकारियों का सम्मान करने का सौजन्य तो कांग्रेसी नेताआें में होना ही चाहिए। ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध दृढ़ रहकर वीर सावरकर अंडमान में दंड भोगने के लिए गए, परंतु मंत्री महोदय स्वयं की ‘फेसबुक पोस्ट’ के विषय में भी दृढ़ रहने का साहस नहीं दिखा पाए। इसीलिए उन्होंने वह पोस्ट तत्काल डिलीट कर अपना बचाव किया। तब भगौडा कौन है?