Maharana Pratap Jayanti : जमशेदपुर सहित देश-विदेश में आज मनाई जा रही महाराणा प्रताप की जयंती

Maharana Pratap Jayanti जमशेदपुर सहित देश-विदेश में शूरवीर महाराणा प्रताप की जयंती जयेष्ठ शुक्ल तृतीया तिथि के अनुसार 13 जून को मनाई जा रही है जबकि कई लोगों ने अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई को इनकी जयंती मनाई थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 11:01 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 11:01 AM (IST)
Maharana Pratap Jayanti : जमशेदपुर सहित देश-विदेश में आज मनाई जा रही महाराणा प्रताप की जयंती
महाराणा प्रताप के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित करते धर्म चंद्र पोद्दार।

जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर सहित देश-विदेश में शूरवीर महाराणा प्रताप की जयंती जयेष्ठ शुक्ल तृतीया तिथि के अनुसार 13 जून को मनाई जा रही है, जबकि कई लोगों ने अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई को इनकी जयंती मनाई थी। अखिल भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि देश भर के अनेक स्थानों पर रविवार 13 जून काे महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है।

पोद्दार ने बताया कि विक्रम संवत के मुताबिक जिन स्थानों पर जयंती मनाई जा रही है, उसमें जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम, झारखंड) के अलावा रामनगर (नैनीताल, उत्तराखंड), आदित्यपुर (सरायकेला-खरसावां, झारखंड), बेंगलुरू (कर्नाटक), नागपुर (महाराष्ट्र), सिंगापुर (विदेश), प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), भागलपुर (बिहार), गुरुग्राम (हरियाणा), कोलकाता (पश्चिम बंगाल) आदि प्रमुख हैं। पोद्दार ने कहा कि भारत के 28 राज्यों में से अभी तक नौ राज्यों में महाराणा प्रताप की जयंती ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया तदनुसार 13 जून 2021 (रविवार) को मनाए जाने की प्रामाणिक जानकारी प्राप्त हुई है। उन सभी स्थानों के लोगों ने अपने-अपने यहां की गई तैयारियों के बारे में बताते हुए महाराणा प्रताप की फोटो भेजी है।

महासभा की ये है मांग

जिन-जिन स्थानों पर जयंती मनाई जाएगी, वहां लोगों को महाराणा प्रताप के बारे में बताया जाएगा। यह भी बताया जाएगा कि इस देश में सही रूप से देखा जाए तो महाराणा प्रताप ही महान थे। विदित हो कि महाराणा प्रताप के वंशज पिछले 400 वर्ष से महाराणा प्रताप की जयंती ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को ही मनाते आ रहे हैं और यह क्रम अभी भी चल रहा है और आगे भी चलेगा। पोद्दार ने कहा कि आज आवश्यकता है कि महाराणा प्रताप को महान बताने वाला इतिहास संपूर्ण भारत के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया जाए। यही नहीं अखिल भारतीय जन महासभा ने यह संकल्प लिया है कि हम यथासंभव अपने महापुरुषों की जयंती विक्रम संवत या हिंदू कैलेंडर के अनुसार ही मनाएंगे। यही संस्कृति का मूल होना चाहिए।

chat bot
आपका साथी