कोरोना काल में भगवान जगन्नाथ दिखा रहे रास्ता

रंपरा और मान्यताओं से जुड़ा एक विशेष अनुष्ठान कोरोना काल में लोगों को खास सबक भी दे रहा है। यह है प्रभु का बीमार होकर लोगों से अलग हो एकांतवास में जाना।

By Vikas SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 08:38 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 08:38 PM (IST)
कोरोना काल में भगवान जगन्नाथ दिखा रहे रास्ता
कोरोना काल में भगवान जगन्नाथ दिखा रहे रास्ता

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। ऐसा पहली बार होगा जब बिना श्रद्धालुओं की भीड़ के प्रभु जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकाली जाएगी। आज पूरा विश्व कोरोना वायरस से भयभीत है। रथयात्रा की परंपरा और मान्यताओं से जुड़ा एक विशेष अनुष्ठान कोरोना काल में लोगों को खास सबक भी दे रहा है। यह है प्रभु का बीमार होकर लोगों से अलग हो एकांतवास में जाना। 

देवस्नान पूर्णिमा की स्नान यात्रा के बाद अब महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा बीमार हो गए हैं। शुक्रवार को ही उन्हें निरोग करने के लिए 14 दिन के एकांतवास में रखा गया। शनिवार से उनका जड़ी-बूटी से इलाज शुरू होगा। यह एकांतवास कोरोना काल के क्वारंटाइन की तरह है। इस दौरान भगवान को भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियों का काढ़ा पिलाया जा रहा है। अब महाप्रभु अणवसर गृह (प्रभु के बीमार पडऩे के बाद जहां उनका इलाज होता है, उसे अणवसर गृह कहा जाता है) में हैं। यहां पर 14 दिन तक महाप्रभु का इलाज होगा, प्रभु की गुप्त सेवा की जाएगी। देसी नुस्खों से उनका इलाज विभिन्न प्रकार के जड़ी-बूटियों का काढ़ा और मौसमी फलों के जूस से किया जाता है। इस दौरान महाप्रभु दर्शन नहीं देते हैं। मंदिरों के पट 15 दिन बाद खोले जाएंगे। इस दौरान महाप्रभु जगन्नाथ सारे जगत के कष्ट अपने ऊपर ले लेते हैं।

एकांतवास यानी क्वारंटाइन की परंपरा पुरानी

कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को सरकार व प्रशासन वर्तमान समय में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन में रख रही है। यह परंपरा काफी पुरानी है। सदियों पहले अत्याधिक स्नान से महाप्रभु जगन्नाथ बीमार पड़ गए थे तो वे भी 24 दिनों के एकांतवास में चले गए थे। वर्तमान में लोगों को समझने की आवश्यकता है कि बीमारी से निजाद पाने के लिए लोगों से दूरी बनाकर एकांतवास में रहते हुए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटी का सेवन करना होगा। 

पीतल के बर्तन में सुबह-शाम दे रहे काढ़ा

बीमार पड़े महाप्रभु के इलाज के क्रम में उन्हें सुबह शाम काढ़ा बनाकर दिया जा रहा है। यह काढ़ा दालचीनी, सौंठ, काली मिर्च, तुलसी, अजवाइन, पीपली, दशमूला, मधु और घी मिलाकर बनाया जा रहा है। दिन में दो बार गरम काढ़ा के साथ साथ ही उन्हें दो बार मौसमी फलों का रस भी दिया जा रहा है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा और कमजोरी से बचने के लिए मौसमी फलों का रस उन्हें 14 दिनों तक समयानुसार दिया जाएगा। 

काढ़ा में शामिल जड़ी-बूटियों के वैज्ञानिक गुण

तुलसी में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबियल व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। रोज तुलसी की ताजी पत्तियां खाने से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होने वाली समस्याओं ब्रोंकाइटिस व फेफड़ों में संक्रमण से भी बचाव हो सकता है।

गाय का शुद्ध घी भी रोग प्रतिरोधक गाय का शुद्ध घी भी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। ब्यूटीरिक एसिड घी में एक महत्वपूर्ण तत्व होता है जो टी सेल उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करता है, जो कि प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए ठीक से काम करने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, विटामिन ए की मौजूदगी के कारण घी की एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि शरीर में मुक्त कणों को नष्ट करने में सहायक है

शहद भी काफी लाभदायक

मधु का सेवन लाभदायक एंटीऑक्सीडेंट तत्वों की संख्या को बढ़ाता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है और हानिकारक सूक्ष्मजीवों से लड़ता है। मधु उन बैक्टीरिया से लडऩे में भी प्रभावकारी साबित हुआ है, जिन पर एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होता।

दालचीनी संक्रमण बचाने में प्रभावी

दालचीनी बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट है। विभिन्न एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, यह दिल और उसके आसपास की धमनियों को नुकसान और संक्रमण से बचाने में बहुत प्रभावी होती है।

काली मिर्च भी लाभकारी

कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर पिलाने से पुराना बुखार ठीक होता है। कीड़ों को नष्ट करती है, दर्द और खांसी को दूर करती है। यह हृदय के लिए भी लाभकारी होती है।

सोंठ कम करती है तापमान

सोंठ पसीना निकालने में सहायक है, जिससे शरीर का तापमान कम होता है और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसमें थर्मोजेनिक एजेंट नामक तत्व होता है जो वसा को जलाने में मदद करता है।

अजवाइन दूर करती है मौसमी बीमारी

अजवाइन में रोग-प्रतिरोधक छमता को बढ़ावा देने के लिए कैल्शियम, सोडियम, थायमिन, आयरन और नियासिन की अच्छी मात्रा होती है। इसके नियमित उपयोग से मौसमी बीमारियाँ, इन्फेक्शन इत्यादि जल्दी नहीं होते।

वहीं पिपली के उपयोग जीवाणु संक्रमण से बचा सकता है, विशेष रूप से गर्मी के मौसम में होने वाले संक्रमण से। इसके नियमित सेवन से लिवर भी स्वस्थ रहता है।

शरीर का तापमान नियंत्रित रखता है दशमूल हर्ब 

दशमूला हर्ब में में एंटी प्रेट्रिक गुण होते हैं जो कि तेज बुखार को ठीक करने के लिए लाभकारी होते हैं। यह शरीर के तापमान को सही रखता है। दशमूल हर्ब को बनाने के लिए इन 10 जड़ी-बूंटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें अग्निमंथ, गंभारी, बिल्व, पृश्निपर्णी, बृहती, कंटकारी, गोखरू, पटाला हर्ब, शालपर्णी और श्योनाक शामिल है। 

chat bot
आपका साथी