इंकैब कर्मियों को भटकाने का काम कर रहे लिक्विडेटर, संयुक्त मोर्चा ने लगाया आरोप Jamshedpur News
लिक्विडेटर ने मेल कर कर्मचारियों से कई अतिरिक्त दस्तावेज की मांग की है। इस पर केबुल कर्मचारियों के हितों की कानूनी लड़ाई लड़ रही इंकैब संयुक्त मोर्चा ने आपत्ति जतायी है।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। वर्षों से बंद पड़ी इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) के कर्मचारी आर्थिक तंगी व कानूनी लड़ाई में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इधर कर्मियों को बकाये राशि नहीं मिलने से उनकी परेशानी और बढ़ गई है।
इसी बीच कर्मचारियों के बकाए राशि पर किये गए दावे पर लिक्विडेटर (परिसमापक) द्वारा दोबारा दस्तावेज मांगा जा रहा है। न्यायालय द्वारा कंपनी को नीलाम करने के आदेश के बाद एक बार बकाये राशि का दावा किया जा चुका है। फिर इधर चार मई को लिक्विडेटर ने मेल कर कर्मचारियों से कई अतिरिक्त दस्तावेज की मांग की है। इस पर केबुल कर्मचारियों के हितों की कानूनी लड़ाई लड़ रही इंकैब संयुक्त मोर्चा ने आपत्ति जतायी है।
लिक्विडेटर के निर्णय को कर्मचारियों पर थोपा जा रहा
इंकैब संयुक्त मोर्चा द्वारा लिक्विडेटर के मेल पर जवाब देते हुए इसे लटकाने व भटकाने वाला कार्य बताया गया है। कहा गया है कि कर्मचारियों पर लिक्विडेटर के निर्णय को थोपा जा रहा है। पूर्व में लिक्विडेटर के आदेशानुसार कमर्चारियों ने बकाये के सभी दस्तावेज व विवरणों को तय तिथि से पहले लिक्विडेटर शशि अग्रवाल को सुपुर्द किया है। बावजूद कुछ माह बीत जाने पर फि़र से अन्य दस्तावेजों की मांग करना असंतोष की स्थिति पैदा करना है। इससे पहले भी लिक्विडेटर ने रातो- रात नोटिस चस्पाकर कमर्चारियों के बीच ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न की थी।
कर्मचारियों के बीच असंतोष व आक्रोश
इंकैब संयुक्त मोर्चा का कहना है कि वर्तमान में भी अन्य दस्तावेजों की मांग करना कर्मचारियों के बीच असंतोष व आक्रोश पैदा कर रहा है। कंपनी खुलने संबंधी मामले अभी भी कोर्ट में लंबित है। मोर्चा के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने भी इस मामले पर कमर्चारियों के रुख से लिक्विडेटर को अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि कमला मिल्स जिसने इंकैब कंपनी को टाटा के साथ मिलकर इस स्थिति तक पहुंचाया। इंकैब की करीब 100 करोड़ संपत्तियों के किराये का दुरुपयोग हो रहा है। गैर कानूनी तरीके से कमाये संपत्ति के बावजूद कर्मचारियों का बकाया वेतन न देकर उसका गबन किया गया है। इसकी जानकारी लिक्विडेटर द्वारा नेशनल कंपनी ऑफ लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) को नहीं दी गयी है। ये बातें मोर्चा के भगवती सिंह व गुप्तेश्वर सिंह ने कही है।