Jharkhand : मुश्किलों से निकली राह, कमारहातु के कई परिवारों की तस्वीर बदल दी चूना पत्थर खदान ने

चाईबासा के सदर प्रखंड के कमारहातु में स्थित चूना पत्थर खदान के मजदूरों के परिवार बेटों ने जीवन में नई आयामों को छूने में औरों के लिए प्रेरणास्रोत साबित हुए हैं।इस खदान ने कमारहातु के कई परिवारों की माली हालत सुदृढ़ करने में काफी योगदान दिया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 09:52 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 09:52 AM (IST)
Jharkhand : मुश्किलों से निकली राह, कमारहातु के कई परिवारों की तस्वीर बदल दी चूना पत्थर खदान ने
झारखंड के चाईबासा का कमारहातु गांव। जागरण

जमशेदपुर चाईबासा, जासं। मानव जीवन परिवर्तनशील है।अगर इस बात को हर इंसान अपने अंतर्मन में एहसास कर ले तो विकास की थोड़ी आहट भर से जिंदगी बदला जा सकता है। अमूमन आम मजदूर वर्ग सोचता है कि गरीबी उनकी फितरत में शामिल है।

इसलिए उन्हें लगता है कि किसी तरह दो जून की रोटी का जुगाड़ कर अपने परिवार की भरण- पोषण करना ही अपनी महान उपलब्धि मान कर चलता है। लेकिन सदर प्रखंड के कमारहातु में स्थित चूना पत्थर खदान के मजदूरों के परिवार बेटों ने जीवन में नई आयामों को छूने में औरों के लिए प्रेरणास्रोत साबित हुए हैं। इस खदान ने कमारहातु के कई परिवारों की माली हालत सुदृढ़ करने में काफी योगदान दिया है। यहां काम करने वाले विजय देवगम,दुलु देवगम, सीताराम देवगम,पुनेन्द्र पलटन देवगम आदि ने हालांकि जब खदान में मजदूरी आरंभ किया तो सोचा नहीं था कि उनके बच्चे सुदृढ़ जिंदगी जीने के काबिल हो जाएंगे।

बदलने लगी जिंदगी

कहा जाता है कि समय एक जैसा नहीं होता है,कभी न कभी यह करवट अवश्य बदलता है।मानो कमारहातु के जरुरतमंद परिवार के लिए समय ने करवट बदली और चूना पत्थर खदान ने किस्मत की नई लकीरें खींच दी और देखते ही देखते ऐसे कई नौकरी पेशा युवा नजर आने लगे जिनके माता-पिता शहर के उद्योगपति बनवारी लाल नेवटिया द्वारा संचालित गांव के इसी चूना पत्थर खदान में मजदूरी करते थे। हालांकि वर्तमान में खदान बंद हो गया है। लेकिन बंद होने से पहले इस खदान ने कमारहातु के जरुरतमंद परिवार में जन्मे प्रतिभाओं को तराशने में अहम भूमिका निभाई है। इसमें पुलिस सार्जेंट मेजर रांधो देवगम का नाम मुख्य रूप से लिया जा सकता है। इसी तरह पिता के देहांत के बाद माता ने खदान में मजदूरी कर अपने बेटे प्रधान देवगम और नारायण देवगम को किसी तरह पढ़ाया लिखाया और सेना में भर्ती होने लायक बनाया।

सरकारी नौकरी पाने में हुए कामयाब

वहीं सोनाराम देवगम और चोकरो देवगम ने माता की मजदूरी के सहारे क्रमशः सैनिक और रेलवे में नौकरी पाने में कामयाब हुए।राजू देवगम और साहू देवगम ने अपने मजदूर अभिभावकों के खून पसीने के बदौलत थोड़ी बहुत शिक्षित बनकर भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा कर अपने परिवार की स्थिति सुदृढ़ किया है। ये सभी अब उचित रहन- सहन का मालिक बन चुके हैं। चाईबासा शहर से सटे करीब दो हजार की आबादी वाले कमारहातु गांव में 50 से अधिक लोग विभिन्न सरकारी विभागों जैसे वैज्ञानिक सहायक,बैंक,रेलवे, इंजीनियरिंग,शिक्षक,नर्स, आर्मी,पुलिस,लिपिक की नौकरी करते हैं। इसके अलावा व्यवसाय के क्षेत्र में सफल युवा व्यवसायी भी मौजूद हैं। ऐसे बढ़ रहे बच्‍चे

चूना पत्थर खदान के संचालक रहे बनवारी लाल नेवटिया के सौजन्य से आयोजित होने वाली मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित करने तथा खेलकूद प्रतियोगिता कमारहातु के लोगों के बीच जीवन में आगे बढ़ने हेतु प्रेरणा देने का काम किया है। सम्मान समारोह व खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित करने की इस परंपरा को वर्तमान में गांव के बुद्धिजीवी वर्ग आगे बढ़ा रहे हैं। साथ ही,गांव के नौकरी पेशे परिवार के द्वारा पढ़ाई के प्रति जागरूक व प्रोत्साहन देने का भरसक प्रयास का बड़ा योगदान रहा है। कमारहातु में पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद का अच्छा माहौल बनाने में स्वर्गीय जोसेफ देवगम,स्व.बैगो देवगम और स्व.बेंजामिन देवगम ने खूब मेहनत की। इसमें सीआइएसएफ के सोनाराम देवगम,मुखिया लादू देवगम, शिक्षक कृष्णा देवगम, समाज सेवी मधुसुदन देवगम, युवा व्यवसायी सुरजा देवगम, पूर्व सैनिक पतोर देवगम,पूर्व मुंडा दीनबंधु देवगम व वर्तमान मुंडा बिरसा देवगम के नेतृत्व में गांव के युवाओं, बुद्धिजीवियों व बुजुर्गों का भरपूर सहयोग रहा है।

गांव शराब की ब‍िक्री से दूर

शहर से सटे होने के बावजूद गांव में शराब बिक्री से दूर रहने वाला कमारहातु आदर्श ग्राम बनने की अर्हता पूरा करने के लिए तेजी से अग्रसर है। गांव के विकास के लिए मजदूर के बेटे पुलिस सार्जेंट मेजर रांधो देवगम, सेना के जवानों नारायण देवगम,प्रधान देवगम,राजू देवगम,साहू देवगम, सोनाराम आदि ने नौकरी में आने के बाद गांव में पढ़ाई का माहौल बनाने के लिए पदस्थापित लाइब्रेरी के विकास में भरपूर सहयोग कर रहे हैं। गांव के विकास में सहयोग की भावना रखने वाले ये सभी कहते हैं कि हमें जिंदगी बदलने की प्रेरणा गांव के ही नौकरी पेशे व शिक्षितों के रहन-सहन से मिली है। हम चाहते हैं कि गांव में आगे बढ़ने का माहौल बना रहे। लिहाजा सामाजिक सरोकार की दिशा में काम करने में गांव के बुद्धिजीवियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे।ताकि गांव का हर परिवार जिंदगी भर तंगी की स्थिति से जूझे नहीं।चूंकि अभी भी कई परिवार अच्छी पढ़ाई से महरुम हैं। लिहाजा गांव के नौकरी पेशे व बुद्धिजीवियों ने गांव की तस्वीर शिक्षा के बदौलत बदलने की मुहिम छेड़ रखा है। इसके लिए लाइब्रेरी स्थापित की गई है। इसमें हर तरह की पुस्तकें रखी गई हैं।

प्रतियोगी परीक्षा की होती तैयारी

उल्लेखनीय बात यह है कि यह पुस्तकालय जिले के विभिन्न गांवों में पुस्तकालय खोलने के लिए प्रेरणास्रोत में से गिनती किया जा रहा है। इसके उद्घाटन में विधायक दीपक बिरुवा से लेकर विभिन्न प्रखंडों के बीडीओ,सीओ,प्रोफेसर, शिक्षाविद्,शिक्षकों आदि की उपस्थिति ने गांव में शैक्षणिक जागरूकता की नई परिभाषा गढ़ दिया। वर्तमान इस लाइब्रेरी में नवोदय प्रवेश परीक्षा हेतु बच्चों को गांव के युवकों राजेश देवगम तुराम देवगम मंगल सिंह तियू और राउतु सिंकु द्वारा नि:शुल्क कोचिंग दिया जा रहा है। इसके पीछे वैज्ञानिक सहायक पाईकिराय देवगम,शिक्षक कृष्णा देवगम, सार्जेंट मेजर रांधो देवगम,कोर्ट के प्रधान लिपिक सोमय देवगम,बैंककर्मी अर्जुन देवगम, सेवानिवृत्त रेलवे इंजीनियर सामु देवगम, सीआइएसएफ सोनाराम देवगम, पूर्व सैनिक पतोर देवगम, पूर्व सेना कैप्टन भीम सिंह देवगम, रेलवे इंजीनियर नरेश पाड़ेया समेत मुखिया लादू देवगम और मुंडा बिरसा देवगम की अगुवाई में गांव के हर नौकरी पेशे के लोग जुटे हैं। गांव के बुद्धिजीवियों का कहना है कि निकट भविष्य में कमारहातु में ऊंचे पदों पर आसीन होने वाले व्यक्तित्व भी देखने को मिलेंगे। चूंकि गांव में शिक्षा का माहौल बन चुका है। वर्तमान में गांव के कई बच्चे- बच्चियां एमए,पीएचडी, इंजीनियर,बीएड,डॉक्टरी की शिक्षा लेने के अलावे जेपीएससी व यूपीएससी जैसी कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु तैयार हो रहे हैं।

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